Wednesday, December 7, 2022

पन्ना के जंगल में तार के फंदे से झूलता मिला युवा नर बाघ, शिकार की आशंका

  • पन्ना के बाघों पर क्या फिर मंडराने लगा खतरा ?
  • अब कोर क्षेत्र के बाहर सुरक्षा के बेहतर इंतजाम जरुरी 



।। अरुण सिंह ।।  

पन्ना। बाघों से आबाद हो चुके मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व से लगे उत्तर वन मंडल अंतर्गत पन्ना रेंज के तिलगवां बीट में एक युवा नर बाघ का शव तेंदू के पेड़ से लटकते मिला है। पन्ना के जंगल में निर्भयता से विचरण करने वाले इस शानदार वन्य प्राणी ने खुद फांसी नहीं लगाई बल्कि यह शिकारियों द्वारा जंगल में लगाये गये फंदे की चपेट में आ गया और असमय उसकी दर्दनाक मौत हो गई। मौके पर पेड़ से लटकते बाघ को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो उसे फांसी पर लटकाया गया है। शिकार की इस सनसनीखेज वारदात से पन्ना टाइगर रिज़र्व के बाघों पर  एक बार फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। मृत बाघ के शव से दुर्गन्ध आ रही है जिससे प्रतीत होता है कि इसकी मौत तीन-चार दिन पूर्व हुई होगी लेकिन बाघ के फंदे में फंसने व मौत की खबर वन अमले को मंगलवार की शाम को लगी।  

मौके पर आज सुबह पहुंचे सीसीएफ छतरपुर संजीव झा ने बताया कि तक़रीबन दो वर्ष की उम्र के इस नर बाघ की मौत तार के फंदे से हुई है। फंदा लगाने वाले शिकारियों की खोजबीन की जा रही है। इसके लिए डॉग स्क्वाड का भी सहारा लिया जा रहा है। श्री झा ने बताया कि भोपाल से एसटीएफ की टीम भी पन्ना आ रही है जो शिकार के इस मामले की तहकीकात करेगी। 


मौजूदा समय पन्ना टाइगर रिजर्व में 70 से भी अधिक बाघ हैं जो टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र सहित बफर क्षेत्र के जंगलों में स्वच्छंद रूप से विचरण कर रहे हैं। अपने लिए नए ठिकाने की तलाश में पन्ना टाइगर रिज़र्व के बाघ कोर व बफर क्षेत्र से बाहर टेरिटोरियल के जंगल में भी विचरण कर रहे हैं जहाँ वे शिकारियों द्वारा फैलाये गए जाल में फंसकर असमय काल कवलित हो जाते हैं।   

मालूम हो कि इसके पूर्व बाघों की इतनी संख्या पन्ना टाइगर रिजर्व में कभी नहीं रही, इस लिहाज से पन्ना टाइगर रिजर्व इस समय शिखर पर है। लेकिन कामयाबी की इस सफलतम कहानी को बनाये रखना वन अधिकारियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। थोड़ी सी चूक और लापरवाही भी बड़े खतरे की वजह बन सकती है। इसलिए जंगल में मॉनिटरिंग सिस्टम को और बेहतर बनाना समय की जरूरत ही नहीं अनिवार्यता भी है। 


मृत बाघ का पोस्टमार्टम पन्ना टाइगर रिज़र्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता द्वारा किया गया। तदुपरांत बाघ के शव को वहीं जंगल में ही आला वन अधिकारियों व एनटीसीए के प्रतिनिधि की मौजूदगी में जला दिया  गया।  

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