Friday, March 10, 2023

पकड़ में नहीं आ सकी पन्ना की बाघिन, आज पहुंचना था माधव नेशनल पार्क

  • बांधवगढ़, सतपुड़ा और पन्ना टाइगर रिजर्व से छोड़े जाने हैं तीन टाइगर
  • पूरे 27 साल बाद शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में गूंजेगी बाघों की दहाड़


।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व की युवा बाघिन को शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में ले जाने का मुहूर्त अभी नहीं बन सका है। यहाँ से ले जाने के लिए जिस बाघिन का चयन किया गया है उसकी उम्र दो-सवा दो साल के लगभग है। इस बाघिन को ट्रैंक्युलाइज करने का हरसंभव प्रयास किया गया लेकिन चंचल स्वभाव की यह बाघिन हांथी को देखकर दूर निकल जाती है जिससे उसको ट्रैंक्युलाइज नहीं किया जा सका। नतीजतन नियत समय पर इस बाघिन की पन्ना से माधव नेशनल पार्क के लिए रवानगी नहीं हो सकी। आज प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा 3 बाघों को माधव नेशनल पार्क में रिलीज करना था। लेकिन अब बांधवगढ़ से पहुंची बाघिन व सतपुड़ा के नर बाघ को ही आज छोड़ा जा सकेगा। पन्ना टाइगर रिजर्व से जिस बाघिन को शिफ्ट किया जाना है उसे पकड़ने के प्रयास जारी हैं।

उल्लेखनीय है कि शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में पूरे 27 साल बाद एक बार फिर से टाइगर की दहाड़ सुनाई देगी। माधव नेशनल पार्क में 1990-91 तक  काफी संख्या में टाइगर हुआ करते थे, लेकिन अंतिम बार1996 में यहां टाइगर देखा गया था। अब माधव नेशनल पार्क एक बार फिर से बाघों से आबाद होने जा रहा है। टाइगर प्रोजेक्ट के तहत यहां कुल पांच बाघों को बसाए जाने की योजना है। पहले चरण में यहां तीन बाघों को शिफ्ट किया जाना है। इसमें पन्ना, बांधवगढ़ से एक-एक मादा टाइगर और सतपुड़ा से एक नर टाइगर को माधव नेशनल पार्क भेजा जा रहा है। पन्ना टाइगर रिज़र्व से जिस बाघिन का चयन माधव नेशनल पार्क के लिए किया गया है वह बाघिन टी-6  की बेटी है। हर बार चार शावकों को जन्म देने वाली इस बाघिन की बेटी माधव नेशनल पार्क में बाघों की वंश वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी ऐसी संभावना जताई जा रही है। यदि यह बाघिन किन्ही कारणों से पकड़ में नहीं आई तो इसी उम्र वाली दूसरी बाघिन को माधव नेशनल पार्क भेजा जा सकता है। 



पन्ना टाइगर रिज़र्व के क्षेत्र संचालक ब्रजेन्द्र झा ने बताया कि बाघिन को ढूंढने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए हाथियों की मदद ली जा रही है। फिर भी अगर बाघिन नहीं मिली तो यहां से कोई दूसरी बाघिन को भेजेंगे। चूँकि पन्ना टाइगर रिजर्व से बाघिन को नहीं पकड़ा जा सका है इसलिए सीएम शिवराज और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया आज सिर्फ एक नर और एक मादा बाघ को ही पहली खेप में रिलीज कर सकेंगे। कुल मिलाकर अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि माधव नेशनल पार्क में 10 मार्च की दोपहर सीएम शिवराज दो मादा और एक नर बाघ को छोड़ेंगे या फिर एक नर और एक मादा को ही बाड़े में छोड़ेंगे। माधव नेशनल पार्क के सीसीएफ उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि पार्क के बीच बलारपुर के कक्ष क्रमांक 112 में बाघों के लिए 4 हजार हेक्टेयर का बड़ा एनक्लोजर (बाड़ा) बनाया गया है। इस एनक्लोजर को तीन हिस्सों में बांटा गया है। बाड़े की ऊंचाई करीब 16 फीट है। तीनों बाघों के लिए अलग-अलग बाड़े बनाए गए हैं। बाड़ों के अंदर बाघों के लिए 6-6   हजार लीटर पानी की क्षमता वाले सोसर बनाए गए हैं। करीब एक महीने तक इनमें पानी भरकर टेस्टिंग की गई है। इनमें पानी भरने के लिए बाहर से ही पाइप का कनेक्शन दिया गया है।

बाघों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम

सीसीएफ शर्मा ने बताया कि बाघों की सुरक्षा के लिए माधव नेशनल पार्क में पुख्ता इंतजाम हैं। तीनों बाघों को सैटेलाइट कॉलर बीएचपी सुविधा के साथ लाया जा रहा है। नेशनल पार्क में वायरलेस सिस्टम लगाया गया है। वायरलेस के 6 फिक्स्ड स्टेशन, 11 माउंटेन वाहन और 90 हैंडसेट के जरिए निगरानी की जाएगी। बाघों के बनाए गए एनक्लोजर के इर्द-गिर्द लगभग 6 मचान भी बनाए गए हैं। जिनके जरिए बाघों की निगरानी की जाएगी। विशेष रूप से तीन वाहनों व 18 स्टाफ को टाइगर ट्रेनिंग और मॉनिटरिंग का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इमरजेंसी में एक रेस्क्यू वाहन, एक डॉग स्क्वायड, उड़नदस्ता भी तैनात किया गया है। इसके लिए कंट्रोल रूम भी बनाया गया है। तीनों बाघों को 10 से 15 दिनों तक निगरानी में रखा जाएगा। इसके बाद स्थिति सामान्य रही, तो उन्हें पार्क में खुला छोड़ दिया जाएगा।  

मुगल सम्राटों और महाराजाओं का रहा है शिकारगाह

माधव नेशनल पार्क शिवपुरी शहर के पास स्थित है और ऊपरी विंध्यन पहाड़ियों का एक हिस्सा है। यह मुगल सम्राटों और महाराजाओं का प्रसिद्ध शिकारगाह था। इसे 1958 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला। पार्क के लिए दो प्रवेश बिंदु हैं; एक एन. एच-25 (पुराना झाँसी रोड) पर स्थित है, जो शिवपुरी शहर से लगभग 5 किमी दूर है, जबकि दूसरा एन. एच.-3  (आगरा-मुंबई रोड) पर शिवपुरी से ग्वालियर की ओर 7  किमी की दूरी पर है। पार्क झीलों, जंगलों और घास के मैदानों से युक्त एक विविध पारिस्थितिकी तंत्र के साथ उपहार में है। जंगल में नीलगाय, चिंकारा और चौसिंगा और हिरण जैसे चीतल, सांभर और बार्किंग हिरण जैसे मृग रहते हैं। तेंदुए, भेड़िया, सियार, लोमड़ी, जंगली कुत्ता, जंगली सुअर, साही, अजगर आदि जानवर भी पार्क में देखे जाते हैं।

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