इंडियन बटर ट्री यानि घी वाला वृक्ष। |
पेड़-पौधों के अद्भुत संसार में ऐसे अनेकों पेड़ हैं जिनके बारे में कम लोगों को जानकारी होती है। अनगिनत खूबियों और औषधीय गुणों से भरपूर ये वृक्ष मानव जीवन के लिए भी अत्यधिक उपयोगी होते हैं। यहाँ हम आपका परिचय एक ऐसे विचित्र वृक्ष से करवाते हैं, जिससे घी निकलता है। यह अनूठा वृक्ष उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है, जो कि घी, गुड़ तथा शहद देता है। इसके अलावा यह वृक्ष फल, औषधि, जानवरों के लिए चारा, इंधन और चूहों को मारने के लिए कीटनाशक भी उपलब्ध कराता है। इस पेड़ों के बीजों से इतना तैलीय पदार्थ निकलता है कि एक अंग्रेज अफसर ने इसका नाम घी वाला वृक्ष अर्थात इंडियन बटर ट्री रख दिया।
स्थानीय लोग इसे च्यूरा कहते हैं, इसका वानस्पतिक नाम डिप्लोनेमा बुटीरैशिया है। यह बहुमूल्य वृक्ष कुमाऊँ और पिथौरागढ़ जनपद तथा भारत नेपाल की सीमा पर काली नदी के किनारे 3 हजार फीट की ऊंचाई तक पाया जाता है, इसके पेड़ 12 से 21 मीटर तक ऊंचे होते हैं। वहां उसे ज्यादा तादाद में उगाने का प्रयास किया जा रहा है।
यह वृक्ष यहां की जलवायु में ही पनपता है, अतः वहां के लोगों के लिए यह कल्पवृक्ष के समान है । उन लोगों के लिए घी का यही एकमात्र साधन है। जिसके पास फल देने वाले 3-4 वृक्ष होते हैं, उसे साल भर बाजार से वनस्पति घी खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती। यह एक छायादार वृक्ष होता है, फूल आने का समय अक्टूबर से जनवरी होता है तथा जुलाई-अगस्त में इसके फल पक जाते हैं। पके हुए फल पीले रंग के होते हैं, खाने में काफी स्वादिष्ट और सुगंधित होते हैं । वातावरण में फैली इस फल की मीठी महक से ही मालूम पड़ जाता है कि फल पकने लगा है। गांव के लोग इन फलों को बड़े चाव से खाते हैं।
पहाड़ के घाटी वाले क्षेत्रों में इसके जब फूल खिलते हैं तब शहद का काफी उत्पादन होता है। इसकी पत्तियां चारे व भोजन पत्तल के अलावा धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग में लाई जाती हैं। च्यूरे की खली मोमबत्ती, वैसलीन और कीटनाशक बनाने के काम आती है। जिन क्षेत्रों में च्यूरे के पेड़ पाये जाते हैं उन क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन भी किया जाता है। च्यूरे के पुष्प मकरंद से भरे रहते हैं जिससे उच्च कोटि का शहद तैयार होता है। इंडियन बटर ट्री के नाम से जाना जाने वाला च्यूरा पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, बागेश्वर और चम्पावत जिलों के काली, सरयू, पूर्वी रामगंगा और गोरी गंगा नदी घाटियों में पाया जाता है। इसका फल बेहद मीठा होता है। फल के बीज से घी बनाया जाता है। घी वाला वृक्ष अर्थात इंडियन बटर ट्री के नाम से जाना जाने वाला च्यूरा मैदानी क्षेत्रों में पाये जाने वाले बहुपयोगी वृक्ष महुआ की पहाड़ी प्रजाति भी माना जा सकता है।
च्यूरा से प्राप्त घी के विभिन्न उपयोग
च्यूरा के बीज से प्राप्त घी का प्रयोग प्रकाश हेतु दिए जलाने में भी किया जा सकता है। अगर इस घी को मोमबत्ती की तरह मोम की जगह उपयोग किया जाता है तो यह अच्छा प्रकाश तो देता ही है साथ ही सामान मात्रा के मोम या घी से दुगुने से भी ज्यादा समय तक प्रकाश देता है। इसे जलाने पर आस-पास के वातावरण में एक मधुर सुगंध भी फ़ैल जाती है। यह घी प्रकाश हेतु तेल के रूप में इस्तेमाल करने पर बहुत कम धुआं उत्सर्जित करता है अर्थात इसमें से बहुत कम कार्बन उत्सर्जन होता है। जिस कारण इसका उपयोग पंपसेट, जनरेटर आदि में जैव ईंधन के रूप में विशेष रूप से किया जा सकता है। इस घी का प्रयोग प्राकृतिक मोम की तरह जाड़ों में त्वचा को फटने सेरोकने के लिए एंटी क्रैकिंग क्रीम के रूप में भी किया जा सकता है।
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