Saturday, February 24, 2024

वह स्थान जहाँ भगवान श्रीराम ने दैत्यों के संहार का लिया था प्रण

  • पवित्र मनोरम स्थल सारंग धाम को है विकास की दरकार
  • समुचित देखरेख के अभाव में उजड़ रही है यह तपोस्थली

पन्ना जिले में स्थित सारंगधर आश्रम का प्रवेश द्वार।

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 18 किमी. दूर धनुषाकार पहाड़ी की तलहटी में स्थित प्राकृतिक मनोरम स्थल सारंगधाम को विकास व समुचित देखरेख की दरकार है। आध्यात्मिक आबोहवा से परिपूर्ण यह खूबसूरत स्थान सुतीक्षण मुनि की तपोस्थली रही है। बताया जाता है कि वन गमन के समय मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम ने यहां पर धनुष उठाकार दैत्यों के संहार का प्रण लिया था, इसीलिए इस पवित्र तपोस्थली का नाम सारंगधर पड़ा। लेकिन धार्मिक महत्व का यह मनोरम स्थल उपेक्षित है और समुचित देखरेख के अभाव में यहां की प्राकृतिक सुषमा व आध्यात्मिक ऊर्जा तिरोहित हो रही है।

उल्लेखनीय है कि सारंगधाम प्राचीन ऋषि-मुनियों की वह तपोस्थली है जहां पहुंचने पर अपूर्व शान्ति और आनन्द की अनुभूति होती है। यहां की हरी-भरी पहाड़ी व जहां आश्रम स्थित है, हर कहीं चप्पे-चप्पे पर ऋषि मुनियों की तपश्चर्या की तरंगे आज भी महसूस की जा सकती हैं। लेकिन विगत कुछ वर्षों से यहां की आध्यात्मिक आभा व प्राकृतिक सौन्दर्य धीरे-धीरे गायब होता जा रहा है। पूर्व में सारंगधाम स्थित जलकुण्ड के निकट अक्षय वट रहा है जिसके पास बैठने से अपूर्व आत्मिक शान्ति की अनुभूति और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता था। 

लेकिन दुर्भाग्य से अब इस पावन स्थली पर अक्षय वट के दर्शन नहीं होते, क्योंकि सदियों पुराना यह अनूठा वृक्ष हमारी नासमझियों के कारण सूख गया है। जिस अक्षय वट की मौजूदगी से सारंगधाम आश्रम की एक अलग ही अलौकिक छटा देखने को मिलती थी, उस वृक्ष की गैर मौजूदगी से वही स्थल उजाड़ सा नजर आने लगा है। जिसने भी अक्षय वट के नीचे बैठने का अनुभव लिया है वह इस बात को प्रगाढ़ता के साथ महसूस कर सकता है कि बीते कुछ सालों में यहां कितना कुछ बदल गया है। 


यह स्थल हमारी अनूठी आध्यात्मिक धरोहर है जिसे हम उसके प्राकृतिक स्वरूप में सुरक्षित नहीं रख पाये। पन्ना के पूर्व कलेक्टर बसंत प्रताप सिंह ने सारंगधाम को भविष्य के अनूठे पर्यटन स्थल के रूप में पहचानकर यहां के विकास की योजना बनाई थी। उनके कार्यकाल में इस स्थल का बड़े ही सुनियोजित तरीके से कलात्मक विकास भी हुआ। उसके बाद सिर्फ एक-दो कलेक्टरों ने और ध्यान दिया फिर किसी ने भी इस तपोस्थली की सुध नहीं ली। सतत उपेक्षा व समुचित देख-रेख के अभाव में सारंगधर आश्रम में संकट के बादल मंडराने लगे और अब आलम यह है कि यहां की प्राकृतिक खूबसूरती भी तेजी से तिरोहित हो रही है।

पन्ना जिले की यही खूबी है कि प्रकृति ने यहां की धरती को अनुपम सौगातों से समृद्ध किया है। यहां के घने जंगल, हरी-भरी पहाडिय़ां, धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व के मनोरम स्थल ही पन्ना जिले की महिमा का बखान करते हैं। यदि हम इन धरोहरों को न सहेज पाये तो पन्ना जिले का नैसर्गिक व आध्यात्मिक आभा मंडल भी विलुप्त हो जायेगा, जिसकी भरपाई कर पाना संभव नहीं होगा। इस जिले में सारंगधर जैसे अनेकों पवित्र व मनोरम स्थल हैं, जिनका सही ढंग़ से यदि विकास किया जाय तो ये धार्मिक महत्व के स्थल सभी के आकर्षण का केन्द्र बन सकते हैं। यदि शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन के विकास पर योजनाबद्ध तरीके से इस जिले में काम हो तो पांच साल में ही यहां का कायाकल्प हो सकता है।

औषधीय गुणों से परिपूर्ण है रामकुण्ड

सारंगधर आश्रम में जल कुण्डों की पूरी श्रंखला है लेकिन इनमें रामकुण्ड की महिमा अपार है। इस अनूठे प्राकृतिक कुण्ड की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह हमेशा कंचन जल से लबरेज रहता है। सूखा व अकाल पडऩे पर भी इस कुण्ड पर कोई असर नहीं होता, कितना भी पानी निकाले कुण्ड का जल स्तर यथावत बना रहता है। पहाडिय़ों से रिसकर इस कुण्ड में पहुंचने वाले जल में चमत्कारिक औषधीय गुण भी मौजूद हैं। कुण्ड के जल का नियमित सेवन करने वाले को पेट से संबंधित कोई विकार नहीं होते। यहां का पानी पीने से भूख बढ़ती है तथा पाचन की क्रिया भी दुरूस्त रहती है। कुण्ड के औषधीय गुणों की ख्याति दूर-दूर तक है, फलस्वरूप अनेकों लोग यहां आकर कुण्ड का पानी लेकर जाते हैं।

रामवन गमन मार्ग में सारंग का विशेष उल्लेख



राम वनगमन मार्ग में भगवान जिन-जिन स्थानों पर पहुंचे हैं, उनमें सारंगधर का विशेष उल्लेख है। इस पूरे इलाके में आज भी ऐसे चिह्न व संकेत मिलते हैं जिससे पता चलता है कि भगवान श्रीराम वनगमन के समय यहां से होकर गुजरे हैं। सारंग के निकट स्थित बृहस्पति कुण्ड भी पावन स्थलों में से एक है, यहां पर आज भी दर्जनों ऐसी गुफाएं हैं जहां ऋषि मुनि तपस्या करते रहे हैं। 

इन गुफाओं की शान्ति व शीतलता स्थल की पवित्रता का बखान करती है। सारंग की पहाडिय़ों से लेकर बृहस्पति कुण्ड के घने जंगल व सेहों में अलौकिक वनौषधियों का भण्डार है। आर्युवेद के जानकारों का कहना है कि सारंग की पहाडिय़ों में ऐसी औषधियां भी मिल जाती हैं जो सिर्फ हिमालय में मिलती हैं। लेकिन जंगलों की हो रही अधाधुंध कटाई के कारण यह प्राकृतिक संपदा भी नष्ट हो रही है।

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