Friday, March 1, 2024

मध्यप्रदेश में तेंदुओं की संख्या पन्ना और सतपुड़ा में सबसे ज्यादा

  • टाइगर स्टेट के साथ तेंदुआ स्टेट का दर्जा बरक़रार 
  • समूचे देश में मध्य प्रदेश पहले पायदान पर कायम 


पन्ना। जंगल का शहजादा कहे जाने वाले तेंदुओं की संख्या मध्यप्रदेश में बढ़ी है, परिणाम स्वरूप मध्य प्रदेश का तेंदुआ स्टेट का दर्जा बरकरार है। विशेष उल्लेखनीय बात यह है कि मध्य प्रदेश में पन्ना और सतपुड़ा तेंदुओं की आबादी के मामले में सबसे अग्रणी हैं। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा गुरुवार को भारत में तेंदुओं की स्थिति पर जारी की गई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। 

रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में तेंदुओं की आबादी लगभग 13,874 है। तेंदुओं की यह आबादी 2018 में 12,852 दर्ज की गई थी। लेकिन मौजूदा गणना के उपरांत तेंदुओं की आबादी में 7.95 फीसदी का इजाफा हुआ है। पूरे देश की बात की जाए तो सबसे ज्यादा 3,907 तेंदुओं के साथ मध्य प्रदेश पहले पायदान पर हैं। देश में तेंदुओं की सर्वाधिक संख्या मध्य प्रदेश में है। इसके बाद महाराष्ट्र में 1985, कर्नाटक में 1879 और तमिलनाडु में 1070 तेंदुआ हैं। वहीं साल 2018 की बात की जाए तो मध्यप्रदेश में तेंदुओं की संख्या 3421 थी। 

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने तेंदुओं की संख्या पर रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि टाइगर रिजर्व या सबसे अधिक तेंदुए की आबादी वाले जगहों की बात की जाए तो आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में नागार्जुन सागर और इसके बाद मध्य प्रदेश में पन्ना और सतपुड़ा हैं। राज्य के वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार ने कहा कि वन्य जीव हमारे जंगल की शान हैं।

मालुम हो कि मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व में जहाँ बाघों की संख्या में इजाफा हो रहा है, वहीं जंगल के राजकुमार तेंदुओं की भी अच्छी खासी तादाद है। टाइगर रिज़र्व के अलावा जिले के उत्तर व दक्षिण वन मंडल क्षेत्र में भी तेंदुओं की मौजूदगी पाई गई है। जाहिर है कि मध्यप्रदेश को तेंदुआ स्टेट का दर्जा दिलाने में पन्ना जिले की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

टाइगर रिज़र्व के बाहर तेंदुओं को मिले सुरक्षित रहवास 

जंगल का शहजादा कहा जाने वाला तेंदुआ पन्ना टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र से बाहर बफर व टेरिटोरियल के जंगल में सुरक्षित नहीं है। यहां स्थित पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र को यदि अलग कर दें तो बफर क्षेत्र व उत्तर तथा दक्षिण वन मंडल का जंगल तेंदुओं के लिए सुरक्षित नहीं बचा है। तकरीबन 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौडऩे की क्षमता रखने वाला यह खूबसूरत वन्य जीव शातिर शिकारियों के निशाने पर रहता है। 

पन्ना शहर से लगे उत्तर वन मंडल के विश्रामगंज वन परिक्षेत्र तथा अजयगढ़ से लगे धरमपुर वन परिक्षेत्र में जिस तरह से बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन और जंगल की कटाई हो रही है, उससे इन वन क्षेत्रों में वन्यजीवों के रहने लायक स्थान का तेजी से क्षरण हुआ है। आबादी वाले इलाकों के आसपास तेंदुओं की मौजूदगी होने से इंसानों और तेंदुओं के बीच संघर्ष की घटनाएं भी बढ़ी हैं। संघर्ष की यह स्थिति तेंदुओं के वजूद को बनाये रखने के लिए एक बड़ी चुनौती है।  

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