Friday, March 15, 2024

प्राचीन दुर्ग के लिए प्रसिद्ध अजयगढ़ बन चुका है अवैध रेत खनन का गढ़

  • सरकार का अवैध उत्खनन रोकने का दावा हुआ खोखला साबित
  • अवैध उत्खनन से छलनी हो रहा जीवनदायिनी केन नदी का सीना

केन नदी में पानी के भीतर से रेट निकालती दैत्याकार मशीन, जलचरों की आफत।  

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। रेत के अवैध उत्खनन को लेकर पन्ना जिले का अजयगढ़ क्षेत्र सुर्खियों में है। किसी समय चन्देल राजाओं के शक्ति का केन्द्र रहे अजेय दुर्ग के लिए प्रसिद्ध अजयगढ़ अब रेत के अवैध खनन का गढ़ बन चुका है। केन नदी में हर तरफ दैत्याकार मशीनों से बड़े पैमाने पर रेत का उत्खनन किया जा रहा है, जिससे खनिज एवं पर्यावरण संबंधी नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं। 

केन नदी में स्वीकृत रेत खदानों के अलावा उन क्षेत्रों में भी व्यापक पैमाने पर अवैध उत्खनन चल रहा है जहां कोई खदान मंजूर नहीं है। विधान सभा चुनाव के समय से अजयगढ़ क्षेत्र में रेत का अवैध कारोबार कई गुना अधिक हो गया है। दिन ढलने के साथ ही दैत्याकार मशीनें रेत निकालने में जुट जाती हैं। केन नदी की रेत खदानों में पूरी रात ट्रकों व डम्फरों की लाइन लगने से यहां पूरी रात गहमा-गहमी मची रहती है।

उल्लेखनीय है कि विलुप्त होने की कगार में पहुँच चुके विभिन्न प्रजाति के जलचरों को आश्रय प्रदान करने वाली जीवनदायिनी केन नदी का वजूद संकट में है। रेत के अवैध कारोबार में लिप्त लोगों द्वारा इस खूबसूरत नदी का सीना भारी भरकम दैत्याकार मशीनों से छलनी किया जा रहा है। नदी के प्रवाह क्षेत्र से मशीनों द्वारा बड़े पैमाने पर रेत निकाले जाने से मगर, घडिय़ाल व विभिन्न प्रजाति की मछलियों सहित अन्य जलचर और जलीय वनस्पतियां नष्ट हो रही हैं। अनियंत्रित उत्खनन से केन नदी का पूरा ईको सिस्टम तहस-नहस हो गया है, जिसके दुष्परिणाम केन किनारे बसे ग्रामों को भोगना पड़ रहा है। आलम यह है कि रेत के इस खेल में अधिक से अधिक कमाई करने की रेत माफियाओं में होड़ मची है, जिससे जीवनदायिनी केन नदी के चीथड़े उड़ रहे हैं। 

बुन्देलखण्ड क्षेत्र की जीवनरेखा कही जाने वाली केन नदी को बीते डेढ़ दशक में ही रेत कारोबारियों ने इस कदर खोखला कर दिया है कि गर्मी शुरू होते ही मार्च और अप्रैल के महीने में इस सदानीरा नदी की जलधार टूट जाती है। लगभग 427 किमी लम्बी इस नदी के कई हिस्से गर्मी के मौसम में मैदान बन जाते हैं जहां धूल के बबन्डर उठते नजर आते हैं। अविरल बहने वाली स्वच्छ नदियों में शुमार केन की ऐसी दुर्दशा की कल्पना एक-डेढ़ दशक पूर्व शायद ही किसी ने की हो। चिन्ता की बात यह है कि हम अभी भी नहीं चेत रहे, केन नदी से भारी भरकम मशीनों द्वारा बड़े पैमाने पर रेत निकालकर उसका सीना छलनी करने में जुटे हुये हैं। जिससे यह बारहमासी नदी अब बरसाती बन रही है। 

केन नदी के तटवर्ती 90 फीसदी ग्रामों के कुयें जल स्तर नीचे खिसकने के कारण जहां सूख रहे हैं, वहीं गर्मी के मौसम में हैण्डपम्पों से भी पानी निकलना बन्द हो जाता है। रेत के अधाधुन्ध उत्खनन से केन नदी का नैसर्गिक प्रवाह बाधित होने तथा पानी की मात्रा कम होने से तटवर्ती ग्रामों के मछवारों, मल्लाहों, नदी किनारे खेती करने वाले किसानों की जीवनचर्या पर बुरा असर हुआ है। इतना ही नहीं जैव विविधता की दृष्टि से समृद्ध रही केन नदी में पाई जाने वाली वनस्पतियां जहां नष्ट हो रही हैं वहीं जीव-जन्तुओं और मछलियों की विभिन्न प्रजातियों के भी नष्ट होने का खतरा मंडराने लगा है। 

अपने अस्तित्व को बचाने के लिये बीते एक दशक से संघर्ष कर रही इस जीवनदायिनी नदी की पुकार सुनने को कोई तैयार नहीं है। लालची और संवेदनशील रेत कारोबारी तथा निहित स्वार्थों की पूर्ति में रत रहने वाले राजनेताओं व अधिकारियों की सांठगांठ से केन सहित उसकी सहायक नदियों का सुनियोजित तरीके से जिस तरह से गला घोंटा जा रहा है, यह आने वाले समय में भयावह साबित हो सकता है। 

ओवर लोड ट्रकों व डम्फरों की धमाचौकड़ी से सड़कें हुई जानलेवा 


पन्ना जिले की विश्रामगंज घाटी में आज सुबह हुए हादसे का द्रश्य। 

बड़े पैमाने पर हो रहे रेत के अवैध उत्खनन से सड़कों पर रेत से भरे ट्रकों व डम्फरों की धमाचौकड़ी मची रहती है। पन्ना जिले की अजयगढ़ घाटी तो ओवर लोड ट्रकों व डम्फरों की आवाजाही के चलते दुर्घटनाओं की पर्याय बन चुकी है। आज शुक्रवार की सुबह पन्ना-अजयगढ़ के बीच विश्रामगंज घाटी में एक यात्री बस और रेत से ओवरलोड ट्रक के बीच हुई भीषण भिड़ंत में ड्राइवर-कंडक्टर सहित आधा दर्जन से अधिक यात्रियों के घायल होने की जानकारी प्राप्त हुई है। 

मिली जानकारी के अनुसार विंध्याचल यात्री बस पन्ना से रवाना होकर अजयगढ़ जा रही थी, तभी‌ सुबह लगभग 6 बजे विश्रमागंज घाटी की मोड में अजयगढ़ की तरफ आ रहे रेत से ओवरलोड ट्रक और बस में आमने-सामने की भिड़ंत हो गई। यह भिड़ंत इतनी जोरदार थी कि बस और ट्रक का अगला हिस्सा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। इस सड़क हादसे के बाद घाटी में घण्टों आवागमन ठप्प रहा, जिससे जाम में फंसे लोग हैरान और परेशान रहे। घटना के बाद यात्री बस को रस्सों से बांध कर दूसरे ट्रक से पीछे खींचा गया, तब जाकर आवागमन बहाल हुआ। हादसे के बाद 108 एंबुलेंस से कुछ घायलों को अजयगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और कुछ को जिला चिकित्सालय पन्ना पहुंचाया गया, जहाँ उनका इलाज जारी है। 

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