- घनजीवामृत से सुधरती है मिट्टी की सेहत
- किसान सखियॉं अपना रही प्राकृतिक खेती
पन्ना। समर्थन संस्था लगातार ग्रामीण क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिये महिला समूहो को तैयार कर रहा है। प्राकृतिक खेती के तरफ संस्था जिले में राज्य ग्रमीण आजिविका मिशन, कृषि विज्ञाने केन्द्र एवं कृषि विभाग के समन्वित प्रयास से जिले की लगभग 500 से ज्यादा महिलाओं को प्रशिक्षण दे चुका है।
आज ग्राम विलखुरा एवं विल्हा की दीदियो को प्रकाश नागर एवं कीर्तनदीदी ने प्रशिक्षण दिया। ज्ञानेन्द्र तिवारी ने घनजीवामृत बनाने की विधि का प्रयोग कराया। सभी दीदी ने मिलकर घनजीवामृत बनाया एवं जहरमुक्त खेती करने की सपथ ली।
घनजीवामृत नाम से विदित होता है कि वह जीवामृत जिसमें सूक्ष्म जीवो का घनत्व अर्थात संख्या जीवामृत से ज्यादा है। यह भी जीवामृत के समान ही मिटटी में लाये जाने वाले सूक्ष्म जीवो की संख्या बढ़ाता है। इन सूक्ष्मजीवों की सक्रियता एवं कार्य करने की रफतार बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
खेत की मृदा सजीव होती है उसमें प्राण सूक्ष्म जीवों की वजह से होते हैं। ये मृदा में पाये जाने वाले सूक्ष्म जीव अपनी क्रियाशीलता के द्वारा पौधो को पोषक तत्वो के साथ विभिन्न हार्मोन जिन्हे हमारे किसान भाई बोल चाल की भाषा में टानिक कहते हैं उपलब्ध कराते हैं।
घनजीवामृत बनाने की विधि एवं सामग्री -
देशी गाय का गोबर 100 किलो,गुड़ 1 किलो,वेसन 2 किलो,1 किलो मिटटी,देशी गाय का गोमूत्र 2 लीटर मिलाकर गोवर को गूदकर छोटे छोटे उपले के रूप में बोरे में रखकर छाव में सुखा लते हैं। इसके वाद पावडर बनाकर रख लेते हैं। यह 6 माह तक भंडारित किया जा सकता है।
किसानो को इसका लाभ मिलेगा - मिटटी में सूक्ष्मजीव की सख्या, मिटटी कोमल होगी,जल धारण क्षमता बढ़गी,भूमि की संरचना में सुधार होगा, नत्रजन की मात्रा बढेगी, मित्र केचुऑं की संख्या लगातार बढेगी। फास्फोरस,पोटास जिंक जैसे तत्वो की घुलनशीलता में वृद्धि होती है।
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