- उन्नत तकनीक व नवाचार के जरिये हासिल की कामयाबी
- आर्थिक रूप से सशक्त बनकर समाज के लिए बने मिसाल
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मछली पालन कर प्रतिवर्ष कमा रहे 6 लाख रू. से अधिक,पशुपालन व खेती में अतिरिक्त आय। |
पन्ना। ग्रामीण इलाकों के पढ़े लिखे ज्यादातर युवक सरकारी अथवा निजी कंपनियों में नौकरी पाने के लिए वर्षों जी तोड़ मेहनत करते हैं, इसके बावजूद बहुत ही कम लोगों को सम्मानजनक नौकरी मिल पाती है। जिन युवकों को कामयाबी नहीं मिल पाती, वे हताशा की गिरफ्त में आकर मानसिक तनाव झेलने के साथ-साथ हीनभावना के भी शिकार हो जाते हैं। लेकिन समाज में ऐसे युवा भी हैं जो विपरीत माहौल में भी कोई न कोई रास्ता खोज लेते हैं और सम्मान की जिंदगी जीते हैं।
ऐसा ही एक युवक मध्यप्रदेश के पन्ना जिले का है, जिन्होंने खेती को अपने रोजगार का जरिया बनाकर कामयाबी हासिल की है। गुनौर विकासखण्ड के ग्राम पटना तमोली निवासी युवा कृषक सुमित चौरसिया ने उन्नत तकनीक के जरिए मछली पालन, पशुपालन एवं पान की खेती कर आर्थिक रूप से सशक्त हुए हैं। 38 वर्षीय सुमित ने स्नातक स्तर की शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत आजीविका के लिए परंपरागत खेती के स्थान पर नवाचार और उत्पादन में बढ़ोत्तरी के लिए कृषि विभाग एवं कृषि विज्ञान केन्द्र की मदद ली और आर्थिक रूप से सशक्त बनकर समाज के लिए भी मिसाल बने हैं।
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बुन्देलखण्ड क्षेत्र में प्रसिद्ध पान की उन्नतशील प्रजाति बंग्ला एवं कटक की भी करते हैं खेती। |
प्रगतिशील किसान सुमित प्रधानमंत्री मत्स्य पालन संपदा योजना का लाभ प्राप्त कर बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन कर प्रतिवर्ष 6 लाख रूपए से अधिक की आय अर्जित कर रहे हैं। साथ ही पशुपालन, पान की खेती व अनाज एवं दलहन की खेती कर पृथक से लगभग 5 लाख रूपए की शुद्ध आय अर्जित कर रहे हैं। उन्होने बताया कि समन्वित फसल प्रणाली मॉडल अपनाकर खेती को लाभ का धंधा बनाया जा सकता है।
इस युवक ने वर्ष 2022-23 में मत्स्य पालन की शुरूआत सात तालाबों से की थी। वर्तमान में मछलियों की विभिन्न प्रजातियों जैसे ग्रॉस कार्प, सिल्वर कार्प, कॉमन कार्प, रोहू एवं कतला इत्यादि का पालन कर रहे हैं। बाजार में इन मछलियों की मांग अधिक है। आगामी दिवसों में बकरी एवं मुर्गी पालन प्रारंभ करने की योजना भी बनाई है।
इसके अलावा सुमित द्वारा बुन्देलखण्ड क्षेत्र में अत्यधिक प्रसिद्ध पान की उन्नतशील प्रजाति बंग्ला एवं कटक की खेती भी की जा रही है। 2.2 हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान, गेहूं, चना व मसूर की खेती सहित गिर एवं साहीवाल नस्ल की गाय का पालन कर प्रतिदिन औसतन 12 लीटर दूध की बिक्री भी की जाती है। सुमित चौरसिया को जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय द्वारा कृषक फैलो सम्मान सहित कृषि के क्षेत्र में अन्य पुरस्कार भी मिले हैं।
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