- पेंच टाइगर रिजर्व में कबाड़ से बनाई गई है दुनिया की सबसे बडी बाघ स्टेच्यू
- पन्ना को भी अपने संस्थापक बाघों के सम्मान में करना चाहिए अभिनव पहल
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| पेंच टाइगर रिजर्व में स्थापित हुई बाघ की विशाल स्टेच्यू का नजारा |
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। पेंच टाइगर रिजर्व ने कबाड़ से विश्व की सबसे बड़ी टाइगर प्रतिमा का निर्माण कराकर अनूठी मिशाल कायम की है। विगत 12 नवंबर को सिवनी आए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसका अनावरण किया। लोहे के स्क्रैप मटेरियल से बनी यह प्रतिमा 40 फीट लंबी, 17 फीट 6 इंच ऊंची और 8 फीट चौड़ी है। पेंच टाइगर रिजर्व के खवासा पर्यटन परिसर में बनाई गई टाइगर की प्रतिमा को गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज कराने की कवायद भी शुरु हो गई है। पेंच की तर्ज पर पन्ना को भी अपने संस्थापक बाघों के सम्मान में उनकी स्मृतियों को कायम रखने के लिए रचनात्मक पहल करनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि म.प्र. के पन्ना टाइगर रिजर्व ने देश और दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। बाघ पुनर्स्थापना योजना को यहाँ मिली चमत्कारिक सफलता से पन्ना विश्व गुरु के रूप में अपने को स्थापित करने में कामयाब हुआ है। बीते 15 सालों में यहां जो कुछ हुआ उसे देखकर दुनिया भर के वन्य जीव प्रेमी उत्साहित और हतप्रभ हैं। एक ऐसा वन क्षेत्र जो वर्ष 2009 में बाघ विहीन हो गया था वहां 15 साल में ही सौ से भी अधिक बाघ हैं। यहाँ घटित बाघ पुनर्स्थापना की अनूठी कामयाबी की प्रेरणादायी स्मृतियों को तरोताजा करने के लिये पार्क प्रबंधन ने अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया जिससे पन्ना में घटित चमत्कार को आने वाली पीढ़ियां याद रखें तथा उससे प्रेरणा लें।
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| पन्ना टाइगर रिजर्व का संस्थापक बाघ टी-3 |
बाघ पुर्नस्थापना के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व विश्व स्तर पर सफलता का मानक बन चुका है। यही वजह है कि दुनिया भर से लोग पन्ना आकर बाघों को फिर से आबाद करने के गुर सीखना चाहते हैं। बाघ पुर्नस्थापना योजना को यहां पर जिस तरह से शानदार सफलता मिली है, उसे द्रष्टिगत रखते हुए पन्ना में ग्लोबल टाइगर लर्निंग सेन्टर की स्थापना होनी चाहिए। यदि यहां पर टाइगर लर्निंग सेन्टर की स्थापना हो जाती है तो पूरी दुनिया के लोग यहां बाघों के संरक्षण व पुर्नस्थापना का पाठ सीखने के लिए आयेंगे, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ - साथ स्थानीय कम्युनिटी को भी लाभ मिलेगा।
पन्ना की सफलता पूरे विश्व में उत्कृष्ट श्रेणी का है, जहां सभी पुर्नस्थापित बाघिनों का सफलतम प्रजनन हुआ है। पन्ना में न सिर्फ पुर्नस्थापित बाघों ने सफलता पूर्वक प्रजनन कर वंशवृद्धि की है, अपितु दो अर्द्ध जंगली बाघिनों को भी यहां जंगली बनाने में सफलता मिली है। इन दोनों ही बाघिनों ने जंगली बनकर शावकों को जन्म भी दिया है।
पन्ना में बाघ पुर्नस्थापना की कामयाबी के शिल्पी रहे तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर.श्रीनिवास मूर्ति ने पेंच टाइगर रिजर्व के अभिनव पहल को न सिर्फ सराहा है अपितु पन्ना को भी इससे प्रेरणा लेने की सलाह दी है। उन्होंने पीटीआर प्रबंधन से अनुरोध किया है कि पन्ना के सभी संस्थापक बाघों के लिए सकारात्मक अभिनव पहल हो, जिसमें प्रतिमा का निर्माण भी शामिल है।
पन्ना टाइगर रिज़र्व को आज इस मुकाम तक लाने में सात संस्थापक बाघों का अहम् योगदान है। उनके इस योगदान को यादगार बनाया जाना चाहिए। पन्ना के संस्थापक बाघों में टी1 से टी7 तक सभी नर व मादा बाघ हैं। टी1, टी2 और टी6 मादा बाघ हैं, टी4 और टी5 अर्द्धजंगली बाघिनें थीं जिन्हे जंगली बनाया गया जबकि टी3 और टी7 नर बाघ हैं। श्री मूर्ति कहते हैं कि अपने संस्थापक बाघों के सम्मान में हम भी कुछ अभिनव पहल करें क्योंकि हम पहले ही देर कर चुके हैं।
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Thank you Arun Singh ji joining hands and highlighting thr issue.
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