- दुनिया में जो कहीं संभव न हो सका वह पन्ना में हुआ साकार
- अभिनव प्रयोग की सफलता का कई देश कर रहे हैं अध्ययन
- बाघों को फिर से आबाद करने कम्बोडिया ने अपनाया पन्ना मॉडल
नर बाघ पी-112 के साथ दुनिया की पहली पालतू बाघिन टी-4 जो जंगली बनी। (फाइल फोटो) |
अरुण सिंह,पन्ना, 16 जुलाई। म.प्र. का पन्ना टाईगर रिजर्व दुनियाभर के वन्य जीव प्रेमियों तथा वन अधिकारियों के लिये एक तीर्थ स्थल बन चुका है। देश व दुनिया में आज तक जो कहीं संभव नहीं हो सका वह अभिनव और अनूठा प्रयोग पन्ना में साकार हुआ है। अचंभित कर देने वाली इस कामयाबी को देखने, समझने और अध्ययन करने के लिये कई देशों के प्रतिनिधि निरन्तर पन्ना टाईगर रिजर्व के दौरे पर आ रहे हैं। यहां की उल्लेखनीय सफलता से प्रभावित होकर अनेकों देशों ने पन्ना की ही तर्ज पर अपने यहां भी बाघों के उजड़ चुके संसार को फिर से आबाद करने में रूचि दिखाई है। इस दिशा में कम्बोडिया ने तो पन्ना मॉडल पर काम भी शुरू कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि सदियों से बाघों का प्राकृतिक रहवास रहा पन्ना टाईगर रिजर्व का जंगल वर्ष 2009 में बाघ विहीन हो गया था। बाघों की उजड़ चुकी दुनिया को यहां पर फिर से आबाद करने के लिये पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघ पुनस्र्थापना योजना शुरू की गई। जिसके तहत कान्हा और बान्धवगढ़ से चार बाघिन तथा पेंच टाईगर रिजर्व से एक नर बाघ पन्ना लाया गया। टी-3 नाम वाला यह नर बाघ 6 नवम्बर 2009 को पन्ना पहुँचा और तीन वर्ष की अल्प अवधि में ही इस बाघ के संसर्ग से 17 शावकों का जन्म हुआ, परिणामस्वरूप यह बाघ पन्ना टाईगर रिजर्व का सरताज बन गया। पेंच के बाघ का आबाद हुआ यह परिवार निरन्तर विस्तार ले रहा है तथा अब तक यहां पर 55 से भी अधिक बाघ शावकों का जन्म हो चुका है। यह बेमिशाल कामयाबी पन्ना टाईगर रिजर्व के तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर.श्री निवास मूर्ति के जुनून, बेहतर प्रबन्धन व अचूक सुरक्षा उपायों के चलते मिली है। आने वाले समय में भी यह व्यवस्था यदि कायम रही और पन्ना टाईगर रिजर्व के वजूद से किसी तरह की कोई छेडख़ानी नहीं हुई तो पन्ना सिर्फ हीरों के लिये ही नहीं अपितु बाघों की धरती के नाम से भी जाना जायेगा।
अनाथ पालतू दो बाघिनें बनी जंगली
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पन्ना की हुई सराहना
पन्ना में बाघ पुनस्र्थापना योजना को मिली उल्लेखनीय सफलता की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हुई है। वर्ष 2012 में जीटीआई की टीम ने पन्ना टाईगर रिजर्व का दौरा कर यहां की कामयाबी को न सिर्फ सराहा बल्कि बाघ संरक्षण के मामले में पन्ना को रोल मॉडल के रूप में चिह्नित किया। विश्व प्रकृति निधि के अध्यक्ष ने भी पन्ना मॉडल की सराहना करते हुये कहा कि पिटशवर्ग(रूस) में पुतिन द्वारा 2022 के लिये जो लक्ष्य निर्धारित किया गया है, उसे हासिल करने में पन्ना मॉडल मददगार साबित होगा। रूप के वन अधिकारी वर्ष 2013 से बाघ संरक्षण की तकनीक सीखने निरन्तर पन्ना आ रहे हैं। दुनिया के 13 देशों से आये प्रतिनिधियों की दिल्ली में आयोजित बैठक में आर. श्री निवास मूर्ति ने पन्ना की बाघ पुनस्र्थापना योजना व वंशवृद्धि पर केन्द्रित अध्ययन रिपोर्ट च्जन समर्थन से बाघ संरक्षण मॉडलज् का प्रजेन्टेशन दिया। भारत के प्रशिक्षु वन अधिकारियों के लिये तो पन्ना तीर्थ स्थल बन चुका है। प्रशिक्षु वन अधिकारी यहां आकर बाघ संरक्षण का पाठ सीखते हैं।
कम्बोडिया जायेंगे भारत के बाघ विशेषज्ञ
पन्ना बाघ पुनस्र्थापना योजना की सफलता से प्रेरित होकर डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की मदद से कम्बोडिया के रिजर्व वन क्षेत्रों में बाघ पुनस्र्थापना की योजना बनाई गई है। वष्ज्र्ञ 2007 के पूर्व तक यहां के जंगल में बाघ मौजूद थे, नवम्बर 2007 में यहां अंतिम बाघ देखा गया था। बाघों के लिये अनुकूल कम्बोडिया के वन क्षेत्र में बाघों को पुनस्र्थापित करने के लिये पन्ना मॉडल का अनुकरण किया जा रहा है। पन्ना के अनुभवों को जानने व समझने के लिये भारत से विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है जो 25 सितम्बर 2017 को आयोजित होने वाली मीटिंग में अपने ज्ञान व अनुभवों को वहां पर साझा करेंगे।
दुनिया सीख रही और हम डुबाने को तत्पर
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