Saturday, July 8, 2017

पन्ना टाइगर रिजर्व में तितलियों का अद्भुत संसार

  • सौ से भी अधिक प्रजातियों की हो चुकी है पहचान 
  • प्रदूषण के प्रति होती हैं अत्यधिक संवेदनशील 



अरुण सिंह, पन्ना। जैव विविधता एवं दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों के लिए प्रसिद्ध पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर व बफर क्षेत्र के जंगल में खूबसूरत तितलियों का भी एक अद्भुत संसार है. चंचल और कोमल सी दिखने वाली रंग बिरंगी तितलियों के झुण्ड को देखकर पर्यटक मंत्र मुग्ध हो जाते हैं. वनस्पति की दृष्टि से देश के सबसे ज्यादा महत्व वाले इस रिजर्व वन क्षेत्र में सौ से भी अधिक प्रजाति वाली रंग - बिरंगी तितलियों की पहचान की जा चुकी है.
तितलियों की तिलस्मी दुनिया के बारे में वर्षों से अध्ययन कर रहे पन्ना नेशनल पार्क के डिप्टी डायरेक्टर रह चुके ए.के. नागर ने बताया कि तितलियां सिर्फ देखने में ही सुन्दर नहीं होतीं बल्कि मानव जीवन के लिए भी अत्यधिक उपयोगी होती हैं. एक फूल से दूसरे फूल पर मंडराने वाली तितलियां परागण जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया को सम्पन्न कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. यदि तितलियां न हों तो कई प्रजातियों की वनस्पतियों में फल ही नहीं बन पायेंगे, परिणाम स्वरूप पुनरूत्पादन प्रभावित होगा. श्री नागर का कहना है कि वन्य जीवों की श्रंखला में टाइगर भले ही सबसे अहम हो लेकिन इस श्रंखला की एक महत्वपूर्ण कड़ी तितलियां भी हैं. तितलियों की कई प्रजातियां ऐसी हैं जिनके खूबसूरत पंखों का रंग व धारियां टाइगर से मेल खाता है. यही वजह है कि ऐसी तितलियों का नाम भी टाइगर से जोड़कर रखा गया है. पन्ना नेशनल पार्क में पाई जाने वाली ऐसी तितलियों में प्लेन टाइगर, स्ट्राइब्ड़ टाइगर, ब्लू टाइगर, ग्लासी टाइगर प्रमुख हैं. इनके अलावा कैबेस व्हाइट, स्पाट स्वार्ड टेल, कामन रोज, लाइम बटर फ्लाई, कामन जेजेबल, जेबर ब्लू, ब्लू पेन्जी, लाइन पेन्जी, कामन लेपर्ड, पेन्टेड लेड़ी व बैरोनेट आदि प्रमुख हैं जो बड़ी संख्या में दिखाई देती हैं.
अध्ययन से यह ज्ञात हुआ है कि जीवन चक्र के दौरान तितलियों का लार्वा वनस्पतियों का तेजी के साथ भक्षण करता है और अनियंत्रित वृद्धि को रोकता है. यही लार्वा विभिन्न प्रकार के पक्षियों, मकड़ी, मेंटिस एवं वास्प प्रजाति के छोटे जन्तुओं का भोजन बनता है. इस तरह से भोजन श्रंखला की एक कड़ी के रूप में तितलियों की भूमिका को अनदेखा नहीं किया जा सकता. श्री नागर ने बताया कि प्रदूषण के प्रति भी तितलियां बहुत अधिक संवेदनशील होती हैं. जिन क्षेत्रों में तितलियों की उपलब्धता न्यून होती है उससे यह पता चलता है कि यहां प्रदूषण का स्तर अधिक है. प्राकृतिक संतुलन के लिए रंग - बिरंगी तितलियों का वजूद निहायत जरूरी है. इसके लिए आवश्यक है कि तितलियों का वास स्थल सुरक्षित रहे तथा वातावरण प्रदूषण से मुक्त रहे.

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