Thursday, December 21, 2017

पन्ना टाईगर रिजर्व में युवा बाघिन की मौत

  •  तार के मोटे फन्दे में फंसा मिला बाघिन का शव
  •   वन परिक्षेत्र गहरीघाट के बीट कोनी की घटना


 पन्ना टाईगर रिजर्व की मृत बाघिन पी-521   ( फाइल फोटो )

अरुण सिंह,पन्ना। म.प्र. के पन्ना टाईगर रिजर्व से पौने तीन वर्ष की युवा बाघिन पी-521 के मौत की खबर मिली है। इस बाघिन का शव वन परिक्षेत्र गहरीघाट के बीट कोनी में तार के मोटे फन्दे से फंसा मिला है। जाहिर है कि बाघिन की मौत प्राकृतिक नहीं अपितु उसका शिकार हुआ है जो पन्ना टाईगर रिजर्व के लिये शुभ संकेत नहीं है। रिजर्व वन परिक्षेत्र में शिकार की इस सनसनीखेज वारदात के होने से यहां के बाघों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ खड़े हुये हैं। मृत बाघिन का पोस्टमार्टम कराने के बाद आज उसके शव को जला दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 में बाघविहीन होने के बाद यहां पर बाघ पुनस्र्थापना योजना शुरू की गई थी। इस योजना को मिली उल्लेखनीय सफलता के चलते पन्ना टाईगर रिजर्व को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जहां ख्याति मिली वहीं अनेकों पुरूस्कार भी प्राप्त हुये। कई देशों ने पन्ना में हुये अभिनव प्रयोग से प्रभावित होकर अपने यहां भी बाघों की वंशवृद्धि के लिये पन्ना मॉडल को अपनाने हेतु आगे आये हैं। लेकिन बाघिन पी-521 की जिस तरह से असमय मौत हुई है, उससे पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा, मॉनीटरिंग व प्रबन्धन पर प्रश्र चिह्न खड़ा हो गया है। इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में शिकारियों की इंट्री हो चुकी है। ऐसी स्थिति में पन्ना टाईगर रिजर्व के 542 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैले कोर क्षेत्र में विचरण कर रहे बाघ अब शातिर शिकारियों के निशाने पर हैं, जो निश्चित ही वन्यजीव प्रेमियों के लिये चिन्ता की बात है।

बाघिन को लगा था रेडियो कॉलर

शिकारियों द्वारा लगाये गये तार के फन्दे में फंसकर असमय काल कवलित हुई बाघिन पी-521 रेडियो कॉलर पहने हुये थी, जिसकी चौबीसों घण्टे वन अमले द्वारा मॉनीटरिंग की जा रही थी। ऐसी स्थिति में बाघिन कैसे शिकारियों के फन्दे में फंस गई, यह एक बड़ा सवाल है। सूत्रों के मुताबिक बाघिन की मौत 18 दिसम्बर को हुई और टाईगर रिजर्व के अधिकारियों व मैदानी अमले को इसकी जानकारी 19 दिसम्बर को यानी दूसरे दिन मिल पाई। इससे पता चलता है कि बाघों की सुरक्षा व मॉनीटरिंग में लगा अमला कितना सजग और चौकन्ना है।

अर्धजंगली बाघिन टी-5 की थी संतान

पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघ पुनस्र्थापना योजना के तहत दो अर्ध जंगली पालतू बाघिनों को जंगली बनाने का अभिनव प्रयोग हुआ था, जो दुनिया में इसके पहले कहीं नहीं हुआ। यह प्रयोग न सिर्फ कामयाब रहा अपितु दोनों पालतू बाघिनों ने पूर्णरूपेण जंगली होकर वंश वृद्धि में भी अपना योगदान दिया। शिकार हुई बाघिन पी-521 पालतू से जंगली बनी बाघिन टी-5 की संतान थी। बाघिन टी-5 की मौत बीते वर्ष 10 जून 2016 को आपसी लड़ाई में हो गई थी। लेकिन बाघिन पी-521 का शिकार हो जाने के बाद अब बाघिन टी-5 का वंश ही खत्म हो गया, क्योंकि बाघिन पी-521 इकलौती जीवित संतान थी।

शिकारियों की हो रही है खोजबीन

बाघिन के शिकार की घटना के बाद से पन्ना टाईगर रिजर्व में हड़कम्प मचा हुआ है। क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व विवेक जैन ने जानकारी देते हुये बताया कि टाईगर रिजर्व में उपलब्ध डॉग स्क्वाड को बुलाकर अपराधियों की खोजबीन की जा रही है। आपने बताया कि अंधेरा होने के कारण 19 दिसम्बर को मृत बाघिन का पोस्टमार्टम नहीं हो सका। बुधवार 20 दिसम्बर को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के नामांकित प्रतिनिधि राजेश दीक्षित की मौजूदगी में वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता द्वारा बाघिन का पोस्टमार्टम किया गया। इस मौके पर क्षेत्र संचालक विवेक जैन भी मौजूद रहे।

सेम्पल की होगी फोरेंसिक जाँच

क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व विवेक जैन ने बताया कि मृत बाघिन के अवयवों के सेम्पल फोरेंसिक जाँच हेतु एकत्रित किये गये हैं। पोस्टमार्टम के उपरान्त बाघिन के शव को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के प्रतिनिधि की मौजूदगी में जलाकर नष्ट कर दिया गया है। अपराधियों को पकडऩे हेतु डाग स्क्वाड एवं विशेष टीम गठित की जाकर कार्यवाही की जा रही है।

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