Monday, January 8, 2018

लीकेज से बर्वाद हो रहा सिंचाई तालाब का पानी

  •   रबी फसलों की सिंचाई  के लिये चिंतित  हो रहे किसान
  •   रगौली तालाब का लीकेज न सुधरने से नाले में बह जाता है पानी


 रगौली सिंचाई जलाशय तथा इसके डूब क्षेत्र में हो रही खेती का दृश्य। फोटो - अरुण सिंह 

 अरुण सिंह,पन्ना। जिले के शाहनगर जनपद क्षेत्र के रगौली गाँव के निकट स्थित रगौली सिंचाई जलाशय की उपयोगिता खत्म हो रही है। इस शानदार तालाब का स्थल चयन व जल भराव बेहतरीन होने के बावजूद क्षेत्र के किसानों को इसका अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है। तालाब में विगत कई वर्षों से लीकेज की समस्या बनी हुई है, फलस्वरूप बारिश में लबालब भरने के बावजूद भी रबी सीजन तक यह विशाल तालाब 75 फीसदी से भी ज्यादा खाली हो जाता है। तालाब की पार में नीचे से चार जगह लीकेज है, जहां से चौबीसों घण्टे पानी तेज गति से बहकर बर्वाद होता है, नतीजतन जब फसलों को पानी देने का समय आता है तब तक यह सिंचाई तालाब खाली हो चुका होता है। इस विकट समस्या से क्षेत्र के किसान विगत कई वर्षों से जूझते आ रहे हैं, लेकिन अभी तक लीकेज नहीं सुधारा जा सका है।

 सिंचाई तालाब की पार के नीचे से हो रहे लीकेज के कारण बह रहा पानी।  

मानसून पर खेती की निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से प्रदेश में हर खेत में पानी पहुंचाने के लिये प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत् हर खेत को पानी उपलब्ध कराते हुये प्रत्येक बूंद पर अधिक से अधिक फसल उत्पादन सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इसके लिये केन्द्र और प्रदेश सरकार ने पर ड्रॉप-मोर क्रॉप का नारा भी दिया है। धरातल पर सरकार की मंशा के विपरीत फसलों की सिंचाई के लिये सुरक्षित पानी की बर्वादी लगातार जारी है। पन्ना जिले के बात करें तो यहां के शाहनगर विकासखण्ड अन्तर्गत आने वाले रगौली सिंचाई तालाब का आधा पानी पिछले कई सालों से लीकेज से बेकार बह जाता है। इस तालाब में एक-दो नहीं बल्कि चार-चार लीकेज हैं । जिनसे अलग-अलग बहते पानी की धार किसी नाले से कम नहीं है। इस साल अल्प वर्षा के चलते सूखाग्रस्त धाोषित पन्ना जिले में पानी की बर्वादी को लेकर जिम्मेदारों को उदासीनता किसी अपराध से कम नहीं है। इसे विडम्बना ही कहा जायेगा कि एक तरफ  सूखा के चलते रगौली गांव की दलित और आदिवासी बस्ती के लोग कड़ाके की सर्दी में पेयजल संकट से जूझ रहे हैं  वहीं गाँव से लगभग आधा किमी की दूरी पर स्थित रगौली के सिंचाई जलाशय के लीकेज से इसका पानी बेकार बह रहा है। हर दिन हजारों लीटर पानी की बर्वादी देख रहे सूखा प्रभावित किसान खासे चिंतित और नाराज हैं। इस तालाब में चार-चार लीकेज से पानी के फिजूल बहने के कारण क्षेत्र के आधे से अधिक खेतों में पानी नहीं पहुँच  पा रहा है। मौके की स्थिति यह है कि चालू रबी सीजन में तालाब से जितनी कृषि भूमि में सिंचाई होनी चाहिये वह नहीं हो पा रही है। बड़े क्षेत्र में तालाब की नहर सूखी पड़ी है।

उपयंत्री व सहायक यंत्री कर रहे अनदेखी


जल संसाधन संभाग पवई की जल उपभोक्ता संस्था सलैया फेरन सिंह के अन्तर्गत आने वाले रगौली तालाब के लीकेज को लेकर संस्था के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह भी पिछले दो साल से काफी परेशान हैं। तालाब के सुधार कार्य हेतु उनके द्वारा प्रभारी उपयंत्री तथा सहायक यंत्री को कई बार अवगत कराया गया लेकिन किसी ने भी पानी की बर्वादी को रोकने की तरफ ध्यान नहीं दिया। तकनीकी अधिकारियों के इस रवैये से निराश जल उपभोक्ता संस्था अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह का कहना है कि पानी की बर्वादी को रोकने और किसानों के हित में जितनी बातें होती है उस पर ईमानदारी से काम नहीं होता है। रगौली तालाब की उपेक्षा इस बात का प्रमाण है। वे हैरानी जताते हुये बताते हैं कि रगौली तालाब में होने वाले कुल भराव का आधा पानी हर साल बेकार बह जाता है लेकिन इससे जिम्मेदारों की सेहत पर कोई फर्क पडऩा तो दूर उन्हें इसकी परवाह तक नहीं है। दरअसल जबाबदेही का आभाव होने से यह अराजकतापूर्ण स्थिति बनी है, जिसका खामियाजा क्षेत्र के उन निर्दोष किसानों को उठना पड़ रहा है जिनके खेतों से नहर तो निकली है लेकिन वह सूखी पड़ी है।

नहर को मरम्मत की दरकार


रगौली तालाब के लीकेज भरने के साथ-साथ इसकी क्षतिग्रस्त हो चुकी नहर का सुधार होना भी बेहद जरूरी है, ताकि इस तालाब से निर्धारित रूपांकित क्षमता तक अथवा अधिकतम सिंचाई संभव हो सके। रगौली तालाब से निकली मुख्य नहर कचरा, खरपतवार और मिट्टी से भर चुकी है। जगह-जगह से इसमें भी कटाव होने से कई खेतों में नहर का पानी भर जाता है। नहर की बदहाली के चलते होने वाले जल भराव से कई किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं। जल उपभोक्ता संस्था के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह ने बताया कि नहर का निर्माण करीब डेढ़ दशक पूर्व हुआ था जोकि अब काफी  जर्जर स्थिति में पहुंच चुकी है। उन्होंने ने बताया कि संस्था के अन्तर्गत 5 सिंचाई तालाब आते हैं, उन्हें इतना बजट भी नहीं मिलता कि उससे नहर का सुधार कार्य संभव हो सके। श्री सिंह का मानना है कि रगौली तालाब की ध्वस्त होती नहर का सुधार कार्य के साथ लाईनिंग कराने की आवश्यकता है। इसका लाभ यह होगा कि तालाब से नहर में छोड़ा जाने वाला पूरा पानी दूर-दूर तक खेतों में सुगमता से पहुंच सकेगा।

तालाब के डूब क्षेत्र में हो रही खेती


रगौली सिंचाई तालाब का बड़ा भाग लीकेज के चलते अक्टूबर-नवम्बर माह में ही खाली हो जाता है। परिणामस्वरूप तालाब के डूब क्षेत्र जहां इस समय पानी भरा होना चाहिये, वहां विगत 3-4 सालों से खेती की जाने लगी है। जिन किसानों की भूमि डूब में आई थी, वे पानी खाली होने पर गेंहू की फसल बो देते हैं और पम्प से सिंचाई करके अच्छी पैदावार भी लेते हैं। लेकिन दूसरे किसानों को सिंचाई के लिये पानी नहीं मिल पाता जिससे उनकी खेती प्रभावित होती है। किसानों का कहना है कि यह बहुत अच्छा तालाब है, कम बारिश में भी यह भर जाता है क्योंकि पूरे पहाड़ों का पानी गुरगुटा नाला के जरिये इसी तालाब में आता है। यदि लीकेज सुधर जाये और बहकर पानी बर्वाद न हो तो इस पूरे क्षेत्र की खेती सिंचाई हो सकती है।

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