- रमखिरिया हीरा खदान क्षेत्र से 10 एलएनटी मशीनें हुईं जब्त
- छापामार कार्यवाही से हीरा खदान संचालकों में मचा हड़कम्प
हीरा खदानों में छापामार कार्यवाही के दौरान मौके पर मौजूद अधिकारी। |
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। बेशकीमती रत्न हीरों की उपलब्धता के लिये शहूर पन्ना जिले के बृजपुर क्षेत्र में अवैध रूप से चलने वाली उथली हीरा खदानों में दबिश देकर प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा बुधवार को सुबह छापामार कार्यवाही की गई। अचानक हुई इस कार्यवाही से हीरा खदान संचालकों में हड़कम्प मचा हुआ है। कलेक्टर पन्ना मनोज खत्री के निर्देशन में एसडीएम विनय द्विवेदी, थाना प्रभारी बृजपुर अवधेश प्रताप ङ्क्षसह बघेल व हीरा इन्स्पेक्टर द्वारा पुलिस बल की मौजूदगी में मौके से 10 एलएनटी मशीनें जब्त की गई हैं। इन भारी भरकम मशीनों द्वारा अवैध रूप से चलाई जा रही हीरा की खदानों में उत्खनन का कार्य किया जा रहा था।
मामले के संबंध में जानकारी देते हुये एसडीएम पन्ना विनय द्विवेदी ने चर्चा करते हुये बताया कि कलेक्टर के निर्देश पर आज सुबह 8 बजे से कार्यवाही शुरू की गई। बृजपुर से लगभग 1 किमी दूर रमखिरिया हीरा खदान क्षेत्र में बाघिन नदी के किनारे अमला स्थित खदानों से एलएनटी मशीनें जब्त की गई हैं। श्री द्विवेदी ने बताया कि यहां संचालित होने वाली अधिकांश खदानें निजी भूमि पर चल रही हैं, जिनके लिये हीरा कार्यालय से कोई पट्टा जारी नहीं हुआ। जाहिर है कि खदानें अवैध रूप से चलाई जा रही थीं।
मामले के संबंध में जानकारी देते हुये एसडीएम पन्ना विनय द्विवेदी ने चर्चा करते हुये बताया कि कलेक्टर के निर्देश पर आज सुबह 8 बजे से कार्यवाही शुरू की गई। बृजपुर से लगभग 1 किमी दूर रमखिरिया हीरा खदान क्षेत्र में बाघिन नदी के किनारे अमला स्थित खदानों से एलएनटी मशीनें जब्त की गई हैं। श्री द्विवेदी ने बताया कि यहां संचालित होने वाली अधिकांश खदानें निजी भूमि पर चल रही हैं, जिनके लिये हीरा कार्यालय से कोई पट्टा जारी नहीं हुआ। जाहिर है कि खदानें अवैध रूप से चलाई जा रही थीं।
सूत्रों के मुताबिक इस क्षेत्र में उत्खनन के जितने पट्टे हीरा कार्यालय से जारी हुये हैं, उससे चार गुना से भी अधिक खदानें मौके पर चल रही हैं। इन सभी खदानों में उत्खनन के लिये जेसीबी व एलएनटी मशीनों का उपयोग किया जाता है। जिसके चलते स्थानीय मजदूरों को हीरा खदानों में कोई काम नहीं मिल पाता। चूंकि इलाके में चलने वाली अधिकांश खदानें बिना पट्टे के अवैध रूप से चलाई जा रही हैं, इसलिये यहां से जो भी हीरे निकलते हैं, उन्हीं हीरा कार्यालय में जमा कराने के बजाय चोरी छिपे विक्रय कर दिया जाता है। जिससे शासन को प्रति माह लाखों रू. के राजस्व की हानि भी होती है।
पन्ना जिले में हीरा धारित पट्टी का विस्तार लगभग 70 किमी है, जो पहाड़ीखेरा से लेकर मझगवां तक फैली है। इस हीरा धारित पट्टी की चौड़ाई 30 किमी है। हीरे के प्राथमिक श्रोतों में मझगवां किम्बर लाइट पाईप एवं हिनौता किम्बर लाइट पाईप पन्ना जिले में ही स्थित है। यह हीरा उत्पादन का प्राथमिक श्रोत है, जो पन्ना शहर के दक्षिण-पश्चिम में 20 किमी की दूरी पर है। यहां अत्याधुनिक संयंत्र के माध्यम से हीरों के उत्खनन का कार्य सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) द्वारा संचालित किया जा रहा है। एनएमडीसी के अलावा पन्ना के आस-पास हीरा धारित क्षेत्रों में स्थानीय लोगों द्वारा उथली हीरा खदानें चलाई जाती हैं।
वन संरक्षण अधिनियम लागू होने के बाद से अधिकांश हीरा धारित क्षेत्र वन सीमा के भीतर आ जाने के कारण वहां पर वैधानिक रूप से हीरों का उत्खनन बन्द हो गया है। शासकीय राजस्व भूमि बहुत ही कम है जहां हीरों की उपलब्धता है। ऐसी स्थिति में निजी पट्टे की भूमि व वन क्षेत्र में ही अधिकांश खदानें संचालित हो रही हैं जिनमें ज्यादातर अवैध हैं। हीरा की उपलब्धता वाले प्रमुख क्षेत्रों में सकरिया, नरेन्द्रपुर, जनकपुर, खिन्नीघाट, पटी, राधापुर, महुआ टोला, पुखरी, हर्रा चौकी, इमला डाबर, रानीपुर, गोंदी करमटिया, विजयपुर, बाबूपुर, हजारा, मडफ़ा, मरका, रमखिरिया, सेहा सालिकपुर, सिरसा, द्वारी, थाड़ी पाथर, पतालिया, चांदा, जमुनहाई, डाबरी, व गऊघाट आदि हैं। इन इलाकों में सदियों से हीरों का उत्खनन हो रहा है, लेकिन हीरों की उपलब्धता के बावजूद यहां भीषण गरीबी है।
पन्ना की धरती से निकलने वाला हीरा विश्व में श्रेष्ठतम गुणवत्ता का माना जाता है, यही वजह है कि अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में पन्ना की खदानों से निकलने वाले हीरों की सर्वाधिक माँग रहती है। लेकिन इस दुर्भाग्यजनक पहलू यह है कि बेशकीमती रत्न हीरा की उपलब्धता के बावजूद इसकी चमक यहां के गाँवों में कहीं दिखाई नहीं देती। अंचल के गरीब हरिजन आदिवासियों और ग्रामीणों से तस्कर व हीरों के व्यापारी बेशकीमती हीरे अत्यधिक कम कीमत पर हथिया लेते हैं, फलस्वरूप व्यापारी व तस्कर मालामाल हो रहे हैं और हीरों के मालिक आज भी फटेहाल और गरीब हैं। कुछ दशक पूर्व तक हीरा खदानों में मजदूरों को काम भी मिल जाता था लेकिन अब मजदूरों की जगह मशीनों ने ले ली है, जिससे हीरा खदानों के द्वारा मिलने वाला रोजगार भी ठप्प हो गया है।
70 किमी. क्षेत्र में फैली है हीरा धारित पट्टी
हीरा धारित क्षेत्र में चलने वाली उथली खदान का दृश्य। |
पन्ना जिले में हीरा धारित पट्टी का विस्तार लगभग 70 किमी है, जो पहाड़ीखेरा से लेकर मझगवां तक फैली है। इस हीरा धारित पट्टी की चौड़ाई 30 किमी है। हीरे के प्राथमिक श्रोतों में मझगवां किम्बर लाइट पाईप एवं हिनौता किम्बर लाइट पाईप पन्ना जिले में ही स्थित है। यह हीरा उत्पादन का प्राथमिक श्रोत है, जो पन्ना शहर के दक्षिण-पश्चिम में 20 किमी की दूरी पर है। यहां अत्याधुनिक संयंत्र के माध्यम से हीरों के उत्खनन का कार्य सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) द्वारा संचालित किया जा रहा है। एनएमडीसी के अलावा पन्ना के आस-पास हीरा धारित क्षेत्रों में स्थानीय लोगों द्वारा उथली हीरा खदानें चलाई जाती हैं।
सैकड़ों की संख्या में चल रहीं अवैध खदानें
खदान से निकली चाल में हीरों की तलाश करते मजदूर। |
वन संरक्षण अधिनियम लागू होने के बाद से अधिकांश हीरा धारित क्षेत्र वन सीमा के भीतर आ जाने के कारण वहां पर वैधानिक रूप से हीरों का उत्खनन बन्द हो गया है। शासकीय राजस्व भूमि बहुत ही कम है जहां हीरों की उपलब्धता है। ऐसी स्थिति में निजी पट्टे की भूमि व वन क्षेत्र में ही अधिकांश खदानें संचालित हो रही हैं जिनमें ज्यादातर अवैध हैं। हीरा की उपलब्धता वाले प्रमुख क्षेत्रों में सकरिया, नरेन्द्रपुर, जनकपुर, खिन्नीघाट, पटी, राधापुर, महुआ टोला, पुखरी, हर्रा चौकी, इमला डाबर, रानीपुर, गोंदी करमटिया, विजयपुर, बाबूपुर, हजारा, मडफ़ा, मरका, रमखिरिया, सेहा सालिकपुर, सिरसा, द्वारी, थाड़ी पाथर, पतालिया, चांदा, जमुनहाई, डाबरी, व गऊघाट आदि हैं। इन इलाकों में सदियों से हीरों का उत्खनन हो रहा है, लेकिन हीरों की उपलब्धता के बावजूद यहां भीषण गरीबी है।
व्यापारी व तस्कर हो रहे मालामाल
खदानों से प्राप्त अनगढ़ हीरे। |
चोरी छिपे होती है हीरों की बिक्री
जिले में चलने वाली उथली हीरा खदानों से निकलने वाले 90 फीसदी से भी अधिक हीरे चोरी छिपे विक्रय कर दिये जाते हैं। हीरा कार्यालय में सिर्फ नाम मात्र के ही हीरे जमा होते हैं। इन जमा होने वाले हीरों से शासन को इतना राजस्व भी नहीं मिल पाता कि हीरा कार्यालय का स्थापना व्यय निकल सके। मशीनों के उपयोग का चलन होने से अब उथली खदानें गहरी खदानों में तब्दील हो गई हैं, जिनकी लागत अधिक होने के चलते अब खदानों पर प्रभावशाली लोगों और दबंगों का ही बर्चस्व है।आर्थिक रूप से कमजोर गरीबों की पहुँच से हीरा खदानें दूर हो गई हैं। उनकी पट्टे की जमीनों पर भी दबंगों द्वारा ही खदानें चलाई जा रही हैं। जानकार बताते हैं कि मजदूरों की जगह मशीनों का उपयोग इसलिये किया जाता है क्योंकि मशीनों से कम समय में अधिक काम होता है तथा मजदूरों की तुलना में लागत भी कम आती है। यही वजह है कि हीरा धारित क्षेत्रों में हर तरफ जेसीबी व एलएनटी मशीनें धुंआधार उत्खनन करते नजर आती हैं।
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