Monday, May 27, 2019

नौतपा में सूर्य देव दिखा रहे आक्रामक तेवर

  •   झुलसा देने वाली तपन में घर से निकलना हुआ खतरनाक
  •   सूर्य देव के उग्र तेवरों के आगे कूलर भी देने लगे जवाब




अरुण सिंह,पन्ना। नौतपा शुरू होने के साथ ही सूर्य देव ने आक्रामक तेवर दिखाने शुरू कर दिये हैं। मन्दिरों की नगरी पन्ना इस कदर तपने लगी है कि सुबह 10 बजे के बाद घरों से बाहर निकलना मुश्किल और खतरनाक हो गया है। रविवार को आज तापमान का पारा 45 डिग्री सेल्सियस को भी पार कर गया, जिससे लू के गर्म थपेड़े असहनीय हो गये हैं। घर से बाहर निकलने पर ऐसा प्रतीत होता है कि मानों चारो तरफ आग लगी हो और वह सब कुछ झुलसा देने को आतुर है। इस भीषण और झुलसा देने वाली तपिश में आम जन जीवन जहां बुरी तरीके से प्रभावित हो रहा है वहीं रोज कमाने खाने वाले मजदूरों के बुरे हाल हैं। भीषण तपिश भरी गर्मी के इस दौर में उल्टी-दस्त, बुखार व ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या में भी तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। आलम यह है कि पन्ना जिला अस्पताल के सभी वार्ड मरीजों से भरे हुये हैं।
उल्लेखनीय है कि मई माह के शुरूआत में ही सूर्य देव ने उग्र तेवर दिखाने शुरू कर दिये थे, लेकिन नौतपा शुरू होने के साथ ही हालात इतने खराब हो जायेंगे, इसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी। तपिश भरी गर्मी और लू के गर्म थपेड़ों ने जिन्दगी को असहज कर दिया है। गला तर करने के तुरन्त बाद फिर गला सूखने लगता है। कहर बरपाने वाली इस भीषण गर्मी में कूलर भी जवाब देने लगे हैं, पंखे तो आग उगल रहे हैं। ऐसी स्थिति में घरों में भी लोगों को चैन नहीं मिल पा रहा। आग बरसा रही इस गर्मी से बेहाल लोग यह सोचकर परेशान हैं कि नौतपा के शुरूआत में ही जब ये हाल हैं तो आने वाले दिनों में तापमान का पारा क्या गुल खिलायेगा। यदि गर्मी के तेवर इसी तरह उग्र बने रहे तो इस साल तापमान का पारा यदि 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाये तो कोई आश्चर्य नहीं।

पानी की तलाश में भटक रहे मवेशी

इस भीषण तपिश भरी गर्मी में जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में हर कहीं जल संकट ने विकराल रूप धारण कर लिया है। ज्यादातर ताल-तलैया व नदी-नाले सूख चुके हैं, जिससे पानी की तलाश में यहां-वहां भटकते मवेशी जहां दम तोड़ रहे हैं, वहीं वन्यजीवों के भी बुरे हाल हैं। राष्ट्रीय उद्यान के भीतर कोर क्षेत्र में तो वन्यजीवों के लिये जहां-तहां पानी की वैकल्पिक व्यवस्था की गई है, लेकिन बफर व सामान्य वन क्षेत्र में वन्य जीवों को अपनी प्यास बुझाने के लिये भटकना पड़ रहा है। ज्यादातर वन क्षेत्रों में मौजूदा समय हर तरफ दुर्गन्ध आती है, यह स्थिति मवेशियों व वन्य जीवों के काल कवलित होने के चलते निर्मित हुई है।

लू से बचने चिकित्सकों ने दी सलाह

भीषण तपिश और लू के गर्म थपेड़ों से बचने के लिये मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी ने सलाह दी है कि तेज धूप में घर से बाहर न निकलें। बढ़ती गर्मी में बच्चों, बुजुर्गों तथा घर के बाहर काम करने वाले लोगों और उच्च रक्तचाप वाले मरीजों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। लू से बचाव के संबंध में चिकित्सकों द्वारा लोगों को धूप से बचने, घर के अंदर हवादार ठण्डे स्थान पर रहने, धूप में जाने से पहले सिर को छाते, कपड़े अथवा टोपी से ढँकने व ढीले व पतले वस्त्रों को इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है।

गर्मी से बेहाल भगवान ने भी त्याग दिये वस्त्र



मंदिरों के शहर पन्ना में तापमान का पारा 45 डिग्री सेल्सियस को भी पार कर गया है। झुलसा देने वाली गर्मी और लू के थपेड़ों से हर कोई बेहाल है, मन्दिरों में विराजे भगवान भी इस भीषण गर्मी के असर से अछूते नहीं हैं। पन्ना के सुप्रसिद्ध श्री जुगल किशोर जी मन्दिर में भगवान श्री जुगल किशोर जी ने इस भीषण गर्मी में वस्त्र त्याग दिये हैं, अब भगवान कीमती मखमली वस्त्रों की जगह सिर्फ अगौंछा धारण कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि समूचे बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पन्ना का श्री जुगल किशोर जी मन्दिर जन आस्था का केन्द्र है। यहां भगवान की नयनाभिराम झांकी के दर्शन करने प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुँचते हैं। इन दिनों भीषण तपिश और  गर्मी में जब तापमान का पारा 45 डिग्री सेल्सियस को भी पार कर गया है, उस समय इंसान तो इंसान भगवान ने भी तपिश भरी गर्मी से विचलित होकर वस्त्र त्याग दिये हैं। मन्दिर के पुजारी बताते हंै कि गर्मियों में नृसिंह चौदस से भगवान उघारे हो जाते हैं तथा अषाढ़ की दूज से वस्त्र धारण करते हैं। गर्मियों में भगवान के वस्त्र त्यागने की यह अनूठी परम्परा पन्ना के श्री जुगल किशोर जी मन्दिर में 3सौ वर्षों से भी अधिक समय से चली आ रही है। भगवान के इस रूप को देखने दूर-दूर से श्रद्धालु पन्ना आते हैं।
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