Monday, June 3, 2019

बुन्देलखण्ड में पर्यटन विकास की संभावनाओं को लगेंगे पंख

  •   अंचल से प्रहलाद पटेल के केन्द्रीय मंत्री बनने से बढ़ीं उम्मीदें
  •   मन्दिरों के शहर पन्ना में पर्यटन विकास की बेहतर संभावनायें
  •   प्राकृतिक सौन्दर्य व जैव विविधता से परिपूर्ण है पन्ना का जंगल



पन्ना स्थित प्राचीन श्री बल्देव जी का मन्दिर।

अरुण सिंह,पन्ना। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पर्यटन विकास की विपुल संभावनाओं के बावजूद प्रभावी और ठोस पहल न होने से उम्मीदों के अनुरूप यहां कार्य नहीं हुआ। लेकिन अब इस क्षेत्र के लोगों की उम्मीदें एक बार फिर जागृत हुई हैं। लगातार दूसरी बार भारी बहुमत से देश के प्रधानमंत्री बने नरेन्द्र मोदी ने अपने मंत्री मण्डल में बुन्देलखण्ड क्षेत्र को प्रतिनिधित्व देते हुये सांसद प्रहलाद पटेल को कैबिनेट में जगह देकर पर्यटन मंत्री बनाया है। श्री पटेल के मंत्री बनने से बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पर्यटन विकास की संभावनाओं को पंख लगेंगे ऐसी उम्मीदें की जा रही हैं। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो लोकसभा सीट से सांसद चुने गये विष्णुदत्त शर्मा ने अभी हाल ही में केन्द्रीय मंत्री बने श्री पटेल से मुलाकात कर क्षेत्र में पर्यटन विकास के संबंध में विस्तृत चर्चा की है जिससे यह उम्मीदें जागृत हुई हैं कि इस क्षेत्र में पर्यटन विकास की संभावनायें आने वाले समय में हकीकत बन सकेंगी।
केन्द्रीय पर्यटन मंत्री से भेंट करते खजुराहो सांसद। 

उल्लेखनीय है कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 4 वर्ष पूर्व पन्ना प्रवास के दौरान यह घोषणा की थी कि पन्ना शहर के आस-पास स्थित प्राकृतिक मनोरम स्थलों व जल प्रपातों का विकास कर यहां मानसून पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये प्रयास किये जायेंगे ताकि बारिश के मौसम में जब पन्ना टाईगर रिजर्व के गेट पर्यटकों के भ्रमण हेतु बंद हो जायें, उस समय भी पर्यटक यहां आकर प्रकृति के अद्भुत नजारों का आनन्द ले सकें। इससे यहां पर रोजगार के नये अवसरों का जहां सृजन होगा, वहीं मन्दिरों के शहर पन्ना को एक खूबसूरत पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री जी की इस सोच व घोषणा की पन्नावासियों ने सराहना की थी, लेकिन 4 वर्ष गुजर जाने के बाद भी इस दिशा में कोई सार्थक पहल व प्रयास नहीं हुये। मालुम हो कि पन्ना शहर के आस-पास 10 किमी के दायरे में प्राकृतिक व ऐतिहासिक महत्व के ऐसे अनेकों स्थल व जल प्रपात हैं, जिनको यदि पर्यटकों की दृष्टि से विकसित कर दिया जाये तो ये स्थल आकर्षण का केन्द्र बन सकते हैं। जिला मुख्यालय पन्ना से 10 किमी. की दूरी पर सड़क मार्ग के निकट स्थित लखनपुर सेहा का घना जंगल तथा ऊँची मीनार जैसा नजर आने वाला यहां का मशरूम राक देखने जैसा है। जैव विविधता से परिपूर्ण इस मनोरम स्थल में पर्यटन विकास की असीम संभावनायें मौजूद हैं। फिर भी आश्चर्य इस बात का है कि अभी तक प्रकृति की इस अनूठी और विस्मय विमुग्ध कर देने वाली इस कृति की ओर शासन व प्रशासन का ध्यान नहीं गया। यदि इस स्थल का समुचित विकास हो जाये तो यह देशी व विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन सकता है।
गौरतलब है कि पन्ना जिले को प्रकृति ने अनुपम सौगातों से नवाजा है। यहां के हरे-भरे घने जंगल, अनूठे जल प्रपात व गहरे सेहे देखकर लोग हैरत में पड़ जाते हैं कि यहां इतना सब है फिर भी यह इलाका उपेक्षित और पिछड़ा क्यों है? पन्ना शहर में जहां प्राचीन भव्य व विशाल मन्दिर हैं, वहीं इस जिले में ऐतिहासिक महत्व के स्थलों की भी भरमार है। प्रकृति तो जैसे यहां अपने बेहद सुन्दर रूप में प्रकट हुई है। यदि इन सभी खूबियों का सही ढंग से क्षेत्र के विकास व जन कल्याण में रचनात्मक उपयोग हो तो इस पूरे इलाके का कायाकल्प हो सकता है। पन्ना शहर के बेहद निकट स्थित लखनपुर का सेहा एक ऐसा स्थान है जो इस जिले को पर्यटन के क्षेत्र में सम्मानजनक स्थान दिलाने की क्षमता रखता है। लखनपुर सेहा के अलावा पन्ना शहर के ही निकट गौर का चौपड़ा, खजरी कुड़ार गाँव के पास चरही, कौआ सेहा सहित अनेकों स्थल हैं जो उपेक्षित पड़े हैं। यदि इन मनोरम स्थलों को विकसित किया जाकर सही तरीके से प्रस्तुत किया जाये तो पर्यटक यहां खिंचे चले आयेंगे।

पूरे चार माह बन्द रहता है नेशनल पार्क



मानसूनी बारिश के शुरू होते ही पन्ना टाईगर रिजर्व का प्रवेश द्वार चार महीने के लिये पर्यटकों के भ्रमण हेतु बन्द हो जाता है। सिर्फ पाण्डव जल प्रपात बारिश के मौसम में खुला रहता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुये मानसून पर्यटन को बढ़ावा देने की बात यहां उठी थी, क्योंकि पन्ना शहर के आस-पास दर्जनों छोटे-बड़े जल प्रपात व अनूठे स्थल हैं जहां बारिश के मौसम में भी पहुँचा जा सकता है। इन सभी स्थलों को चिह्नित करते हुये वहां तक सुगम मार्ग व बुनियादी सुविधायें यदि उपलब्ध करा दी जायें तो ये स्थल बारिश के मौसम में पर्यटकों से गुलजार हो सकते हैं। लेकिन इस अनूठी योजना को मुख्यमंत्री जी की घोषणा के बावजूद अभी तक मूर्तरूप नहीं दिया जा सका है, फलस्वरूप पन्ना टाईगर रिजर्व के गेट बन्द होते ही यहां का पर्यटन व्यवसाय पूरी तरह से ठप्प हो जाता है। अब बुन्देलखण्ड क्षेत्र से प्रहलाद पटेल जी के पर्यटन मंत्री बनने से यह उम्मीद की जा रही है कि मानसून पर्यटन को मूर्तरूप देने के लिये वे सार्थक पहल करेंगे।
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