Saturday, June 15, 2019

सागौन कटाई मामले में डिप्टी रेंजर व वनरक्षक निलंबित

  •   उप संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व ने की निलंबन की कार्यवाही
  •   वन विभाग की एसटीएफ टीम ने जंगल में हुई क्षति का लिया जायजा



टपकनिया जंगल के निकट स्थित वन विभाग का पेट्रोलिंग कैम्प।

अरुण सिंह, पन्ना। सागौन वृक्षों की बड़े पैमाने पर हुई अवैध कटाई को लेकर इन दिनों पन्ना टाईगर रिजर्व सुॢखयों में बना हुआ है। बीते तकरीबन एक माह के दौरान पन्ना टाईगर रिजर्व के बफर क्षेत्र अन्तर्गत हर्षा बीट के टपकनिया जंगल में 6सौ से भी अधिक सागौन के हरे-भरे वृक्षों को बेरहमी के साथ काटा गया है। मामले का खुलासा होने पर उप संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व द्वारा तत्काल प्रभाव से हर्षा बीट के वन रक्षक अनिल कुमार प्रजापति व डिप्टी रेंजर गोविन्द दास सौर को निलंबित कर दिया है। इधर प्रदेश के वन मंत्री उमंग ङ्क्षसघार के निर्देश पर वन विभाग की एसटीएफ टीम ने भोपाल से पन्ना पहुँचकर अवैध कटाई से जंगल को हुये नुकसान का जायजा लिया है। प्रदेश स्तरीय यह जाँच टीम अपनी रिपोर्ट आला वन अधिकारियों को सौंपेगी, तदुपरान्त अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही हो सकती है।

जंगल जहां पर सागौन वृक्षों की बेरहमी से कटाई हुई।

उल्लेखनीय है कि पन्ना बफर क्षेत्र के टपकनिया जंगल में जहां सागौन वृक्षों की अवैध कटाई हुई है, वहां से बमुश्किल 2सौ मीटर की दूरी पर वन विभाग का पेट्रोङ्क्षलग कैम्प स्थित है। जाहिर सी बात है कि इस कैम्प में यदि वन कॢमयों की मौजूदगी होती तो इतने बड़े पैमाने पर सागौन वृक्षों की कटाई संभव नहीं थी। जिस तरह से वन माफियाओं ने टपकनिया जंगल के 2-3 किमी के दायरे में जंगल का विनाश किया है, उससे तो यही प्रतीत होता है कि बीते एक माह के दौरान वनरक्षक व डिप्टी रेंजर सहित अन्य कोई भी वन अधिकारी यहां नहीं पहुँचे। तकरीबन एक माह तक वन माफिया जंगल में छाँट-छाँट कर मोटे और कीमती सागौन वृक्षों को कटवाते रहे और पन्ना बफर वन परिक्षेत्र के रेंजर कौरव नामदेव सहित अन्य अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। इसी से पता चलता है कि वन संरक्षण व सुरक्षा के नाम पर जिम्मेदार लोग किस तरह से अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं।

जंगल में बिखरी पड़ी हैं वृक्षों की शाखायें


जहां-तहां बिखरी पड़ीं सागौन वृक्षों की शाखायें।

पन्ना बफर क्षेत्र के टपकनिया जंगल में मौजूदा समय न सिर्फ हर तरफ सागौन के ताजे ठूँठ नजर आ रहे हैं अपितु पूरे जंगल में सागौन वृक्षों की मोटी-मोटी शाखायें बिखरी पड़ी हैं। सागौन तस्करों ने पूरे बेफिक्री के साथ न सिर्फ पेड़ काटे अपितु वहीं जंगल में ही शाखाओं की काट-छाँट कर बोगियां बनाकर ले गये। सागौन वृक्षों की छीलन व फैली पड़ी शाखाओं को देखकर सहज ही यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि बड़े ही सुनियोजित तरीके से कटाई के कार्य को अंजाम दिया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कटाई में लिप्त ज्यादातर लोग पन्ना से कौटासेहा के रास्ते वहां पहुँचते रहे हैं। जबकि कुछ लोगों के केन नदी पारकर यहां आने के संकेत मिले हैं। सागौन की बोगियां भी इसी मार्ग से ले जाई जाती रही हैं।

वन परिक्षेत्र के अन्य बीटों में भी हुई है कटाई

अवैध सागौन कटाई को लेकर मौजूदा समय पन्ना बफर क्षेत्र की हर्षा बीट पर ही सभी का ध्यान केन्द्रित है, जबकि वन परिक्षेत्र की अन्य दूसरी बीटों की हालत बेहतर नहीं कही जा सकती। सूत्रों के मुताबिक यदि समूचे बफर क्षेत्र के जंगल का सही तरीके से जायजा लिया जाये तो पेड़ कटाई के बेहद चौंकाने वाले और अविश्वसनीय आँकड़े सामने आ सकते हैं। बफर क्षेत्र के अलावा सामान्य वन क्षेत्र में तो सागौन का जंगल खत्म होने की कगार में जा पहुँचा है। पन्ना शहर के निकट कौआसेहा का जंगल पूरी तरह से साफ हो चुका है, यहां अन्य दूसरी प्रजाति के पेड़ों के अलावा सिर्फ गुलचिटार की झाडिय़ां बची हैं, सागौन का पेड़ यहां ढूँढऩे पर भी नहीं मिलेगा। यहीं से होकर लकड़ी तस्कर बफर क्षेत्र के जंगल में पहुँचते हैं और सागौन काटकर बोगियां ठिकाने पर पहुँचा देते हैं। यह सिलसिला अनवरत् रूप से कभी कम तो कभी ज्यादा लेकिन जारी रहता है।

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