- बड़े पैमाने पर सुनियोजित ढंग से होती रही कटाई और वन अमले को नहीं लगी भनक
- सागौन वृक्षों की अवैध कटाई का खुलासा होने पर मचा हड़कम्प
- क्षेत्र संचालक सहित वन अधिकारियों ने जंगल का दौरा कर लिया जायजा
- वन परिक्षेत्र पन्ना बफर के टपकनिया जंगल में हर तरफ नजर आ रहे ताजे ठूँठ
पन्ना टाईगर रिजर्व में बफर परिक्षेत्र के हर्षा बीट का प्रवेश द्वार। |
अरुण सिंह,पन्ना। म.प्र. के पन्ना टाईगर रिजर्व अन्तर्गत वन परिक्षेत्र पन्ना बफर के हर्षा बीट में बड़े ही सुनियोजित तरीके से बड़े पैमाने पर सागौन वृक्षों की कटाई का बेहद चौंकाने वाला मामला प्रकाश में आया है। मामले का खुलासा होने पर वन महकमे में हड़कम्प मचा हुआ है। पन्ना टाईगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में जहां बेरहमी के साथ हरे-भरे सैकड़ों सागौन वृक्षों को काटा गया है, वह इलाका टपकनिया जंगल के नाम से जाना जाता है। टपकनिया के इस जंगल में जिधर भी नजर दौड़ाये, हर तरफ सागौन के ताजे ठूँठ नजर आ रहे हैं। क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के.एस. भदौरिया ने बताया कि जानकारी मिलते ही उन्होंने मौके पर पहुँचकर स्थिति का जायजा लिया है। बफर क्षेत्र के इस जंगल में सागौन के कितने वृक्ष कटे हैं, इसका आँकलन कराया जा रहा है।
बफर क्षेत्र में विचरण कर रहे बाघों पर मंडराया खतरा
पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में बाघों की संख्या बढऩे से कई बाघ कोर क्षेत्र से बाहर निकलकर बफर क्षेत्र के जंगल में विचरण कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर बाघों को रेडियो कॉलर नहीं है, जिससे उनके विचरण क्षेत्र व लोकेशन की जानकारी भी वन अमले को नहीं रहती। ऐसी स्थिति में बफर क्षेत्र के जंगल जहां इतने व्यापक पैमाने पर अवैध कटाई हो रही है, वहां विचरण करने वाले बाघों पर भी गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। पार्क सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पन्ना बफर क्षेत्र के जिस इलाके में सागौन वृक्षों की कटाई हुई है वह पूरा इलाका मौजूदा समय पन्ना टाईगर रिजर्व के बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत वर्ष 2009 में पेंच से लाये गये संस्थापक नर बाघ टी-3 का रहवास है। पन्ना बाघ पुनर्स्थापना योजना को कामयाबी दिलाने वाले इस नर बाघ को फादर आफ दि पन्ना टाईगर के खिताब से भी नवाजा गया है, क्योंकि पन्ना में जितने भी बाघ हैं सब इसी की संतान हैं। इस लिहाज से टी-3 बाघ पन्ना टाईगर रिजर्व की धरोहर है, लेकिन मौजूदा समय इस बाघ की सुरक्षा भी खतरे में है।
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दैनिक जागरण में प्रकाशित रिपोर्ट |
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