- बाघों की मौजूदगी से पर्यटकों के भ्रमण पर लगी रोक
- भीषण गर्मी में भी यहां पर होता है शीतलता का अहसास
अरुण सिंह,पन्ना, 12 जून 19। भीषण तपिश भरी गर्मी से म.प्र. के पन्ना टाईगर रिजर्व में विचरण करने वाले बाघ भी बेहाल हैं। गर्मी के प्रकोप से बचने के लिये शीतलता प्रदान करने वाले स्थलों की तलाश कर वहां आराम फरमा रहे हैं। पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में स्थित सुप्रसिद्ध पर्यटल स्थल पाण्डव जल प्रपात में भी पिछले 15 दिनों से बाघ परिवार डेरा डाले हुये हैं। यहां पर बाघों की मौजूदगी को देखते हुये पार्क प्रबन्धन ने पर्यटकों के भ्रमण पर रोक लगा दिया है। प्रतिबन्ध लगने के कारण पर्यटक पिछले 15 दिनों से इस सुन्दर जल प्रपात व शीतलता का अहसास कराने वाली प्राचीन गुफाओं का लुत्फ उठाने से वंचित हो रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पन्ना शहर से लगभग 12 किमी. दूर राष्ट्रीय राजमार्ग के निकट स्थित पाण्डव जल प्रपात पूरे वर्ष पर्यटकों के भ्रमण हेतु खुला रहता है। बारिश के दौरान जब पन्ना टाईगर रिजर्व के प्रवेश द्वार पर्यटकों के लिये बन्द हो जाते हैं, उस समय भी पाण्डव जल प्रपात का देशी व विदेशी पर्यटक भरपूर लुत्फ उठाते हैं। लेकिन इस वर्ष पड़ रही प्रचण्ड गर्मी के मौसम में जब पन्ना शहर में तापमान का पारा पिछले रिकार्ड ध्वस्त करते हुये 48 डिग्री सेल्सियस को भी पार कर गया है, ऐसे समय पर पाण्डव जल प्रपात के आस-पास व प्राकृतिक गुफाओं में बाघों ने डेरा जमा लिया है। गर्मी में भी शीतलता प्रदान करने वाले इस पर्यटन स्थल में आराम फरमा रहे बाघ परिवार की जिन्दगी में किसी तरह का कोई खलल पैदा न हो तथा उनकी नाराजगी से अप्रिय स्थिति न बने इस बात को दृष्टिगत रखते हुये पर्यटकों के भ्रमण पर रोक लगाया गया है।
क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के.एस.भदौरिया ने बताया कि संस्थापक बाघ टी-3 व बाघिन टी-1 पिछले 15 दिनों से इसी इलाके पर डेरा डाले हैं, जबकि बिना कॉलर का एक नर बाघ भी इसी जल प्रपात के आस-पास मौजूद है। पर्यटक इस बाघ को कन्हैया के नाम से जानते हैं। वन परिक्षेत्राधिकारी मड़ला डी.के. नायक ने बताया कि नर बाघ कन्हैया अत्यधिक निडर है और यदा-कदा वह मुख्य सड़क मार्ग पर भी विचरण करते हुये आ जाता है। पाण्डव जल प्रपात की विशेषता यह है कि यहां कुण्ड में हर समय पानी भरा रहता है तथा भीषण गर्मी के मौसम में भी पहाडिय़ों से पानी झरता है। जिसके कारण भीषण तपिश भरी गर्मी में भी यहां शीतलता का अनुभव होता है। पाण्डव जल प्रपात की प्राचीन गुफाओं के भीतर तो गर्मी का पता ही नहीं चलता। बताया जाता है कि पाण्डवों ने अपने निर्वासन के दौरान यहां काफी वक्त गुजारा था, यही वजह है कि इन गुफाओं को पाण्डव गुफायें कहते हैं। बाघ परिवार दोपहर के समय इन्हीं गुफाओं में प्रचण्ड गर्मी और तपिश से दूर शीतल आबोहवा के बीच आराम फरमाता है।
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