Sunday, June 16, 2019

अभ्युदय प्रोजेक्ट से होगी विकास कार्यों व योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी


  •   जिले के नवागत कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने पत्रकारों से विभिन्न मुद्दों पर की रूबरू चर्चा
  •   प्रशासनिक कसावट लाने ग्राम, जनपद व जिला स्तर पर बनाये जायेंगे अभ्युदय दल


पन्ना के नवागत कलेक्टर कर्मवीर शर्मा। 

अरुण सिंह,पन्ना। विकास के मामले में अत्यधिक पिछड़े पन्ना जिले के लोगों को शासन की जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिले तथा विकास के कार्यों का बेहतर ढंग से क्रियान्वयन हो, इसके लिये अभिनव पहल के तहत जिले में अभ्युदय प्रोजेक्ट शुरू किया जायेगा। इस प्रोजेक्ट के शुरू होने पर जिला से लेकर ग्राम स्तर तक शासकीय योजनाओं व विकास कार्यों की बेहतर ढंग से निगरानी हो सकेगी। यह बात जिले के नवागत कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने आज नवीन कलेक्ट्रेट भवन के सभागार में आयोजित पहली प्रेसवार्ता में पत्रकारों से रूबरू चर्चा करते हुये कही। उन्होंने कहा कि शासन की प्राथमिकतायें कलेक्टर की प्राथमिकता होती हैं, लेकिन हर जिले की अपनी अलग समस्यायें व प्राथमिकतायें होती हैं, जिन्हें जानने और समझने के लिये पत्रकारों से चर्चा कर जिले की प्राथमिकतायें तय करेंगे। इसी के अनुरूप कार्य योजना बनाई जायेगी।
कार्यभार गृहण करने के बाद आयोजित हुई इस पहली प्रेसवार्ता में कलेक्टर श्री शर्मा ने बड़ी सहजता के साथ सभी से परिचय प्राप्त किया, तदुपरान्त वार्ता में मौजूद सभी पत्रकारों से उनके विचार व सुझावों को सुना। अपनी तरह की इस अनूठी परिचर्चा व संवाद में कई महत्वपूर्ण मुद्दे सामने आये, जिन्हें कलेक्टर ने अपने संज्ञान में लिया। पत्रकारों ने मुख्य रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, पर्यटन विकास और अवैध उत्खनन से पर्यावरण को होने वाली अपूर्णीय क्षति पर चर्चा करते हुये अहम सुझाव दिये। कलेक्टर को बताया गया कि पन्ना की पहचान यहां के समृद्ध पर्यावरण, खनिज संपदा और प्राचीन भव्य मन्दिरों से है। यहां नैसर्गिक  संपदा का संरक्षण करते हुये विकास की योजनायें बननी चाहिये। पत्रकारों ने कलेक्टर का ध्यान जिले की बदहाल हो चुकी शैक्षणिक व्यवस्था और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की ओर आकृष्ट करते हुये उन्हें जमीनी हकीकत से न सिर्फ अवगत कराया अपितु समस्या के निदान हेतु सुझाव भी दिये।


कलेक्टर से रूबरू चर्चा करते हुए पन्ना के पत्रकार। 

कलेक्टर श्री शर्मा को पन्ना जिले के प्राचीन जलाशयों की हो रही दुर्दशा की ओर भी ध्यान आकृष्ट कराया गया। उन्हें बताया गया कि जिला मुख्यालय में स्थिति राजाशाही जमाने के प्राचीन जलाशय आज भी यहां के जीवन के आधार हैं। इन्हीं जलाशयों का पानी शहर में पेयजल के लिये प्रदाय किया जाता है। लेकिन समुचित देखरेख के अभाव और उपेक्षा के कारण शहर के ज्यादातर तालाब अतिक्रमण से ग्रसित हैं जिससे उनका वजूद नष्ट हो रहा है। इन जीवनदायी तालाबों को बचाने और संरक्षित करने के लिये ठोस और कारगर पहल जरूरी है। इस अहम मुद्दे पर कलेक्टर ने गंभीरता से चर्चा की और तालाबों को पूरी तरह से अतिक्रमण मुक्त कराकर उन्हें संरक्षित करने पर सहमति जताई। पत्रकारों ने यह सुझाव भी दिया कि पन्ना जिले में ईको फ्रेण्डली गतिविधियों को बढ़ावा मिलना चाहिये जिनसे युवाओं को रोजगार के भी अवसर उपलब्ध हो सकें। चूँकि पन्ना की प्राकृतिक आबोहवा आज भी अन्य दूसरे जिलों की तुलना में बेहतर है, जिसे दृष्टिगत रखते हुये पन्ना को शिक्षा के हब के रूप में विकसित करने की दिशा में पहल अपेक्षित है। शिक्षा के लिये यहां का शान्तिपूर्ण वातावरण व पर्यावरण दोनों ही अनुकूल है।

केन नदी का पानी लाया जाये पन्ना


पन्ना शहर की पेयजल समस्या के स्थाई निदान हेतु केन नदी का पानी पन्ना लाने का सुझाव भी दिया गया। प्राचीन तालाबों के अतिक्रमण का शिकार होने तथा उनका पानी दूषित और गन्दा हो जाने के चलते विगत कई वर्षों से गर्मी के मौसम में पन्ना नगरवासियों को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। हर मुहल्ले में जगह-जगह बोरवेल खुदवाकर पेयजल की व्यवस्था करना समस्या का समाधान नहीं है, क्योंकि हर साल पानी तेजी से नीचे खिसक रहा है और भू-जल की स्थिति गंभीर है। इन हालातें में यदि केन नदी के पानी को पन्ना लाने के प्रभावी प्रयास हों तो यहां की पेयजल समस्या का स्थाई समाधान हो सकता है।

रेत का अवैध उत्खनन गंभीर समस्या



जिले में केन सहित उसकी सहायक नदियों में व्यापक पैमाने पर भारी भरकम मशीनों से जिस तरह नियमों को तांक में रखकर रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है, उससे नदियों का वजूद संकट में पड़ गया है। अजयगढ़ क्षेत्र में रेत माफियाओं ने बीते 5 सालों में केन नदी को छलनी कर दिया है, जिससे जलीय जन्तुओं व वनस्पतियों का अस्तित्व जहां खत्म होने की कगार पर है, वहीं केन किनारे के ग्रामों का जल स्तर भी तेजी से नीचे खिसक रहा है। गर्मी के दिनों में इन ग्रामों को भी जल संकट से जूझना पड़ता है। रेत के अवैध उत्खनन से अराजकता तथा ङ्क्षहसा को जहां बढ़ावा मिलता है वहीं इलाके की शान्ति व्यवस्था भी भंग होती है। रेत से शासन को जितना राजस्व मिलता है, उससे कई गुना अधिक लागत वाली सड़कें भारी भरकम रेत से भरे डम्फरों की धमाचौकड़ी से ध्वस्त हो जाती हैं। इस लिहाज से रेत के अवैध उत्खनन, परिवहन और भण्डारण पर सख्ती से रोक लगनी चाहिये।

निगरानी तंत्र को बनाया जायेगा सशक्त: कलेक्टर

अभ्युदय प्रोजेक्ट के बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुये कलेक्टर ने बताया कि इसके माध्यम से निगरानी तंत्र को सशक्त बनाया जायेगा। जिले के अधिकारियों को गाँव डिवाइड करेंगे, कौन अधिकारी किस गाँव में जा रहा है, किसी को इसकी जानकारी नहीं रहेगी, सिर्फ कन्ट्रोल रूम में जानकारी होगी। इसके बेहतर क्रियान्वयन हेतु ग्राम, जनपद व जिला स्तर पर अभ्युदय दल बनाये जायेंगे। क्लेक्टर श्री शर्मा ने कहा कि पत्रकारों के साथ हुई चर्चा में दीर्घ कालिक महत्व के अनेकों विषय और मुद्दे सामने आये हैं। इनका विश्लेषण करके प्राथमिकतायें तय की जायेंगी। आपने बताया कि विश्लेषण करने के बाद सामने आये मुद्दों को शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म व लाँग टर्म में विभाजित कर उसी के अनुरूप कार्य योजना बनाई जायेगी। इसमें जनप्रतिनिधियों और मीडिया की भूमिका भी अहम रहेगी।
00000

No comments:

Post a Comment