Sunday, June 16, 2019

क्षेत्र संचालक की रिपोर्ट से वन सुरक्षा को लेकर उठे गंभीर सवाल

  •   कई महीनों से खाली पड़ी थी टपकनिया वन सुरक्षा चौकी
  •   सागौन वृक्षों की कटाई के लिये वन अपराधियों को मिला भरपूर अवसर
  •   डिप्टी रेंजर व वन रक्षक के बाद अब अधिकारियों पर भी हो सकती है कार्यवाही




क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व कार्यालय पन्ना।

अरुण सिंह,पन्ना। म.प्र. के पन्ना टाईगर रिजर्व में वन्य प्राणियों व जंगल की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। टाईगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हुई सागौन वृक्षों की अवैध कटाई का मामला उजागर होने के बाद ड्यूटी से नदारद रहने वाले डिप्टी रेंजर व वन रक्षक को निलंबित किया जा चुका है, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुये पीटीआर के आला अधिकारियों पर भी कार्यवाही की गाज गिर सकती है। अवैध कटाई के इस सनसनीखेज मामले पर पीटीआर के क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया द्वारा 14 जून को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) को सौंपी गई रिपोर्ट से स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि पन्ना टाईगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में जंगल व वन्य प्राणियों की सुरक्षा भगवान भरोसे है।
क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने भेजी गई अपनी रिपोर्ट में यह लेख किया है कि पन्ना बफर परिक्षेत्र के टपकनिया जंगल में सागौन वृक्षों की कटाई होने की सूचना उन्हें मुखबिर द्वारा 4 जून 2019 को मिली थी यह सूचना मिलने पर क्षेत्र संचालक द्वारा उडऩदस्ता दल क्र. 2 को अवैध कटाई की जाँच करने के लिये निर्देश दिये। तदुपरान्त उडऩदस्ता दल द्वारा 5 जून को हर्षा बीट के टपकनिया जंगल का जायजा लिया और यहां पर बड़े पैमाने पर सागौन के पेड़ कटने की पुष्टि की। उडऩदस्ता दल द्वारा 5 जून से 10 जून तक टपकनिया के जंगल में हुई अवैध कटाई के ठूँठों की गणना की गई, जिसमें 619 नग ताजे ठूँठ पाये गये। सबसे आश्चर्यजनक और चिन्ता की बात यह है कि इतने व्यापक स्तर पर सागौन वृक्षों की बेरहमी से लम्बे समय तक कटाई होती रही लेकिन इसकी भनक न तो रेंजर कौरव नामदेव को लगी और न ही पीटीआर के आला वन अधिकारियों को जंगल में चल रही विनाशलीला की खबर मिली। इससे साफ जाहिर होता है कि पीटीआर के बफर क्षेत्र में जितना भी जंगल बचा है वह किसी चमत्कार से कम नहीं है। क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने अपनी रिपोर्ट में यह स्वीकार किया है कि 8 जून को उप संचालक के साथ जब उन्होंने स्थाई कैम्प टपकनिया का निरीक्षण किया तो वहां एक भी वनकर्मी नहीं मिला, स्थाई कैम्प खाली पाया गया। श्री भदौरिया ने रिपोर्ट में यह भी लेख किया है कि निरीक्षण के दौरान यह ज्ञात हुआ कि कैम्प पर विगत कई माहों से वन कर्मचारी व श्रमिकों ने निवास नहीं किया। वन सुरक्षा कैम्प के लम्बे समय तक खाली पड़े रहने का जंगल की सुरक्षा पर विपरीत असर पड़ा और वन अपराधियों द्वारा इसका फायदा उठाते हुये बेखौफ होकर सागौन वृक्षों का सफाया कराया गया।
गौरतलब है कि पन्ना बफर के हर्षा बीट का टपकनिया जंगल उत्तर वन मण्डल पन्ना की सीमा से लगा हुआ है। यह पूरा क्षेत्र अवैध कटाई को लेकर विगत कई वर्षों से संवेदनशील बना हुआ है। वर्ष 2016 में हर्षा बीट से लगे उत्तर वन मण्डल पन्ना के जंगल में सागौन वृक्षों के बड़े पैमाने पर हुई अवैध कटाई का मामला प्रकाश में आया था। इसके बाद 2018 में भी इस क्षेत्र में अवैध कटाई हुई, जिसको दृष्टिगत रखते हुये स्थाई कैम्प टपकनिया की स्थापना की गई थी, ताकि अवैध कटाई पर प्रभावी अंकुश लग सके। लेकिन जिन वन कर्मचारियों व अधिकारियों पर जंगल को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने अपने दायित्वों का निर्वहन करना तो दूर महीनों जंगल की तरफ रुख भी नहीं किया। हमेशा सजग और चौकन्ने रहने वाले वन अपराधियों को इसकी जानकारी थी, नतीजतन सुरक्षा विहीन इस जंगल को उन्होंने तबियत से तहस-नहस किया।

क्षेत्र संचालक की रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य


 के.एस. भदौरिया क्षेत्र संचालक पन्ना  टाइगर रिज़र्व ।


  •   स्थाई कैम्प टपकनिया विगत कई माहों से बन्द पड़ा रहा एवं कर्मचारियों व श्रमिकों द्वारा कैम्प पर निवास कर सुरक्षा नहीं की गई। फलस्वरूप क्षेत्र में अवैध कटाई हुई। स्थाई कैम्प टपकनिया पर कर्मचारियों व श्रमिकों के निवास न करने के संबंध में परिक्षेत्र अधिकारी पन्ना बफर एवं सहायक संचालक मड़ला द्वारा उक्त तथ्य की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं दी गई। 
  •   स्थाई कैम्प टपकनिया पर कर्मचारी, श्रमिकों का निवास कर वन सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई।
  •   परिक्षेत्र सहायक झिन्ना विगत 3 माह से अनुपस्थित हैं एवं बीट प्रभारी वन रक्षक द्वारा टपकनिया कैम्प पर निवास नहीं किया गया। परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा उक्त वन क्षेत्र की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया।
  •   पन्ना टाईगर रिजर्व में वन कर्मचारियों द्वारा वायरलेस से प्रतिदिन खैरियत रिपोर्ट वायरलेस कन्ट्रोल रूम पन्ना को प्रदान की जाती है। लेकिन परिक्षेत्र अधिकारी पन्ना बफर एवं अधीनस्थ कर्मचारियों द्वारा प्रतिदिन खैरियत दी गई। उक्त वन क्षेत्र में अवैध कटाई की सूचना नहीं दी गई। इस प्रकार कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा कर्तव्य में लापरवाही बरती गई।
  •   प्रभारी परिक्षेत्र सहायक झिन्ना, परिक्षेत्र अधिकारी पन्ना बफर एवं सहायक संचालक मड़ला द्वारा क्षेत्र में अवैध कटाई पर कोई कार्यवाही नहीं की गई और न ही अवैध कटाई की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई। 
  •   परिक्षेत्र अधिकारी पन्ना बफर द्वारा माह मई 2019 में रोस्टर के अनुसार बीट निरीक्षण करना सुनिश्चित था किन्तु उनके द्वारा निर्धारित बीट का निरीक्षण नहीं किया गया। परिक्षेत्र सहायक झिन्ना द्वारा मई 2019 में बीट हर्षा का निरीक्षण किया गया किन्तु उनके द्वारा बीट में कोई बृहद स्तर पर कटाई संज्ञान में नहीं ली गई और न ही बीट क्षेत्र में अवैध कटाई की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई।

वन्य प्राणियों पर भी मंडरा रहा खतरा

पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र सहित बफर व उत्तर तथा दक्षिण वन मण्डल पन्ना के जंगलों में विचरण करने वाले वन्य प्राणियों की सुरक्षा पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। मालुम हो कि वर्ष 2009 में पन्ना टाईगर रिजर्व सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही और अधिकारियों की अनदेखी के चलते बाघ विहीन हो गया था। लेकिन उस समय आर.श्रीनिवास मूर्ति  व विक्रम सिंह परिहार  जैसे वन अधिकारियों ने यहां के सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाते हुये अनुकूल वातावरण बनाया, फलस्वरूप बाघ विहीन हो चुका पन्ना टाईगर रिजर्व एक बार फिर न सिर्फ बाघों से आबाद हो गया अपितु यहां जन्मे बाघ आस-पास के जंगलों में पहुँचकर वहां अपना ठिकाना बना रहे हैं। मौजूदा समय पन्ना टाईगर रिजर्व में 40 से अधिक बाघ हैं, उसके अनुरूप यहां सुरक्षा व्यवस्था नाकाफी है। वर्तमान में पन्ना टाईगर रिजर्व में वन क्षेत्रपाल के 8 पद, उप वन क्षेत्रपाल के 5 पद, वनपाल के 36 पद तथा वन रक्षक के 35 पद रिक्त हैं। कर्मचारियों व अधिकारियों की कमी के कारण 6 परिक्षेत्र, 9 परिक्षेत्र सहायक वृत्त एवं 24 बीटें रिक्त हैं। जाहिर है कि ऐसी विकट परिस्थितियों में बाघों से आबाद हो चुके पन्ना टाईगर रिजर्व में एक बार फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
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दैनिक जागरण में प्रकाशित रिपोर्ट 

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