Monday, July 8, 2019

हल्की बारिश में कलेक्ट्रेट परिसर बन जाता है डबरा

  •   कीचड़ में तब्दील मार्ग पर वाहन चलाना मुश्किल
  •   फिसलनभरी मिट्टी में गिर चुके हैं कई बाइक चालक


पन्ना का नवीन कलेक्ट्रेट भवन तथा हल्की बारिश में ही मुख्य द्वार के सामने भरे पानी का नजारा। 
अरुण सिंह,पन्ना। हल्की बारिश होने पर जिला मुख्यालय पन्ना स्थित नवीन कलेक्ट्रेट भवन तक पहुँच पाना आसान नहीं रहता। जल निकासी की समुचित व्यवस्था न होने तथा कलेक्ट्रेट भवन के सामने वाले मैदान में जलभराव हो जाने के चलते पहुँच मार्ग फिसलनभरा और कीचड़ में तब्दील हो जाता है। ऐसी स्थिति में चार पहिया वाहन तो किसी तरह नवीन कलेक्टे्रट भवन तक पहुँच जाते हैं, लेकिन पैदल व दुपहिया वाहन से जाने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। परिसर में धरमसागर तालाब की चिकनी मिट्टी डलवाई गई थी, जो हल्की बारिश में ही चिपचिपी और फिसलनभरी हो जाती है। ऐसी स्थिति में दुपहिया वाहन से यहां जाने वाले लोग जरा सी असावधानी होने पर फिसलकर गिर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में शहर के मध्य स्थित राजाशाही जमाने की प्राचीन इमारत(पैलेस) महेन्द्र भवन में कलेक्ट्रेट संचालित होता रहा है। नवीन कलेक्ट्रेट भवन का निर्माण होने के उपरान्त प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह  चौहान द्वारा जल्दबाजी में आनन-फानन इस नवीन भवन का उद्घाटन कर दिया गया था, जबकि इस भवन तक पहुँचने के लिये अभी डामरीकृत पक्के मार्ग का निर्माण नहीं हुआ। मुख्य सड़क मार्ग से नवीन कलेक्ट्रेट भवन तक पहुँचने के लिये लोगों को होमगार्ड मैदान को पारकर कलेक्ट्रेट परिसर में पहुँचना होता है जो हल्की बारिश में ही तलैया नजर आने लगता है। चार पहिया वाहन यहां तक पहुँच सकें, इसके लिये अभी हाल ही में गिट्टी व ककरू मार्ग में डलवाई गई है लेकिन जल निकासी की माकूल व्यवस्था अभी भी नहीं हो सकी, जिससे बारिश होने पर जलभराव की समस्या यथावत बनी हुई है।
लगभग 7 करोड़ से भी अधिक लागत से निर्मित  नवीन कलेक्ट्रेट में ज्यादातर शासकीय कार्यालय महेन्द्र भवन से यहां शिफ्ट हो गये हैं। लेकिन भवन के अनुरूप साज-सज्जा व फर्नीचरों की व्यवस्था नहीं हुई। अधिकांश कार्यालयों में पुराने फर्नीचर और अलमारियां उपयोग में लाई जा रही हैं। महेन्द्र भवन स्थित कार्यालयों से आम जनता अच्छी तरह वाकिफ थी कि कौन कार्यालय कहां संचालित होता है। लेकिन इस नवीन कलेक्ट्रेट भवन की विशालकाय बिल्डिंग में लोगों को कार्यालय ढूँढऩे के लिये भटकना पड़ता है। इस दो मंजिले कलेक्ट्रेट भवन में कौन कार्यालय किस ब्लाक में और कहां स्थित है, यह पता करने के लिये ग्रामीणों को भारी मशक्कत करनी पड़ती है। बिल्डिंग में लाइन से कार्यालयों के लिये कमरे आबंटित किये गये हैं, जहां अभी बोर्ड तक नहीं लगे। ऐसी स्थिति में आबंटित कमरा नम्बर से कार्यालयों को ढूँढऩा पड़ता है।

नवीन भवन की नहीं होती नियमित सफाई


नवीन कलेक्ट्रेट भवन में साफ-सफाई की माकूल व्यवस्था न होने से यह भव्य बिल्डिंग  अभी से ही बदरंग होने लगी है। सीढिय़ों व फर्श में जहां-तहां पान व गुटखे के दाग जहां नजर आने लगे हैं, वहीं गन्दगी और कचरा भी फैला रहता है। सबसे बुरी स्थिति दूसरी मंजिल में जाने वाली सीढिय़ों की है, जहां शायद कई दिनों तक झाड़ू भी नहीं लगती। बारिश के इस मौसम में शाम के समय पंखियों व कीड़ों के यहां ढेर लग जाते हैं। सुबह सफाई न होने से इन बरसाती कीड़ों के पंख हवा में जहां-तहां उड़ते और बिखरते रहते हैं। कलेक्टर कार्यालय सहित अन्य आला प्रशासनिक अधिकारियों के दफ्तर प्रथम तल पर ही नीचे हैं, यहां तो साफ-सफाई दिखती है, लेकिन दूसरे मंजिल में स्थित कार्यालयों की हालत बेहद दयनीय है। नवीन कलेक्ट्रेट भवन के सार्वजनिक टॉयलेट भी गन्दगी और अव्यवस्था की गिरफ्त में आ चुके हैं, इनकी नियमित साफ-सफाई न होने पर ये उपयोग के लायक भी नहीं बचेंगे। आला अधिकारियों को चाहिये कि नवीन कलेक्ट्रेट भवन में साफ-सफाई की माकूल व्यवस्था के लिये जरूरी पहल करें ताकि इस भव्य इमारत की उपयोगिता व आकर्षण बना रहे।
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