Sunday, August 18, 2019

एशिया महाद्वीप की इकलौती हीरा खदान पर संकट के बादल

  •   सेन्ट्रल इंपावर्ड कमेटी ने की है परियोजना को बन्द करने की अनुशंसा
  •   कमेटी ने डायमण्ड माइन्स का क्लोजर प्लान 30 सितम्बर तक प्रस्तुत करने दिये निर्देश
  •   इंपावर्ड कमेटी के इस फरमान से परियोजना सहित जिले में हड़कम्प


एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना का प्रवेश द्वार।


अरुण सिंह,पन्ना। बेशकीमती हीरों के लिये विख्यात डायमण्ड सिटी पन्ना की पहचान पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 20 किमी दूर पन्ना टाईगर रिजर्व के गंगऊ अभ्यारण्य में मझगवां स्थित एशिया महाद्वीप की इकलौती मैकेनाइज्ड एनएमडीसी हीरा खदान को बन्द करने के लिये 30 सितम्बर 2019 तक क्लोजर प्लान सबमिट करने के निर्देश सेन्ट्रल इंपावर्ड कमेटी ने दिये हैं। कमेटी के इस फरमान से हीरा खनन परियोजना सहित समूचे जिले में हड़कम्प मची है। खजुराहो संसदीय क्षेत्र के सांसद वी.डी. शर्मा व पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह  ने एनएमडीसी हीरा खदान को पन्ना शहर की पहचान बताया है। इन दोनों जनप्रतिनिधियों ने कहा है कि एनएमडीसी हीरा खदान को किसी भी कीमत पर बन्द नहीं होने दिया जायेगा। मालुम हो कि हीरा खनन परियोजना द्वारा हीरा उत्खनन की अनुमति वन्य जीव संरक्षण विभाग द्वारा प्राप्त की गई थी, जिसकी वैधता 31/12/2020 तक ही है।
उल्लेखनीय है कि जंगल व खनिज सम्पदा से समृद्ध पन्ना जिले में बीते साल दशकों में ऐसी कोई बड़ी परियोजना व उद्योग स्थापित नहीं हुये जिनसे यहां के विकास को गति मिलती। यहां पर सिर्फ एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना है, जिससे पन्ना की पहचान है। इस परियोजना के कारण ही छोटे से शहर पन्ना को देश व दुनिया में डायमण्ड सिटी के रूप में जाना जाता है। दुर्भाग्य से यदि यह परियोजना बन्द होती है तो प्रतिवर्ष शासन को मिलने वाले करोड़ों रू. के राजस्व की जहां हानि होगी वहीं डायमण्ड सिटी के रूप में पन्ना की जो पहचान है वह भी खत्म हो जायेगी। एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना सिर्फ इस जिले की ही नहीं प्रदेश व देश के लिये गौरव की बात है। इस खदान से उत्तम क्वालिटी वाले उज्जवल किस्म के बेशकीमती हीरे निकलते हैं जिनकी दुनिया में सर्वाधिक माँग रहती है।

परियोजना की उत्पादन क्षमता 1 लाख कैरेट


मझगंवा स्थित खदान क्षेत्र जहां से हीरा निकलते हैं।

अत्याधुनिक संयंत्रों से सुसज्जित एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना की उत्पादन क्षमता प्रतिवर्ष 1 लाख कैरेट हीरों की है। परियोजना द्वारा खनन व हीरे के निष्पादन हेतु 113.331 हेक्टेयर भूमि का उपयोग खनि पट्टे के रूप में व 162.631 हेक्टेयर भूमि का उपयोग निष्पादन संयंत्र व कार्यालय हेतु पूरक भूमि पट्टे के रूप में किया जा रहा है। वन्य जीव संरक्षण विभाग द्वारा परियोजना संचालन हेतु 31/12/2020 तक की अनुमति प्राप्त है। परियोजना सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अभी खदान से 9.08 लाख टन किम्बर लाईट अयस्क का खनन व उससे 8.5 लाख कैरेट हीरों का उत्पादन शेष है।

अब तक 13 लाख कैरेट हीरों का हुआ उत्पादन


एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना के उत्पादन वर्ष 1968 से लेकर अब तक कुल 13 लाख कैरेट हीरे का उत्पादन किया गया है। वर्ष 1999 तक यहां हीरा की बिनाई की जाती थी, वर्ष 2001 में हीरा निष्पादन हेतु नवीनतम यंत्रीकृत तकनीकी का उपयोग कर उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 1 लाख कैरेट प्रतिवर्ष किया गया है। भारतीय खनन ब्यूरो के द्वारा खनन सुरक्षा नियमों के तहत आगामी वर्षों में 90 लाख टन किम्बर लाईट खनन का अनुमोदन किया गया है। 9.5 कैरेट प्रति 100 टन किम्बर लाईट की दर से 90 लाख टन किम्बर लाईट से 8.50 लाख कैरेट हीरे का उत्पादन अपेक्षित है। इसके लिये परियोजना संचालन की दीर्घकालीन स्थाई अनुमति आवश्यक है।

सांसद व विधायक ने खदान का लिया जायजा


हीरा खनन परियोजना का भ्रमण करते सांसद वी.डी. शर्मा  व विधायक ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह ।

क्षेत्र सांसद वी.डी. शर्मा व पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना पर छाये संकट व उत्पन्न व्यवधान की स्थिति को जानने के लिये यहां का भ्रमण किया। परियोजना प्रबन्धन द्वारा प्रजेन्टेशन के माध्यम से सांसद व विधायक को पूरी गतिविधियों से अवगत कराया गया तथा उन्हें खदान व संयंत्र का भ्रमण भी कराया गया। इस मौके पर कर्मचारी यूनियन के महामंत्री समर बहादुर सिंह व अन्य पदाधिकारियों ने सांसद और विधायक को एक ज्ञापन भी सौंपा है। जिसमें विशेष रूप से यह लेख किया गया है कि खनिज सम्पदा प्रकृति में विशेष परिस्थितियों से निर्मित होती है, जिसका स्थानांतरण असंभव होता है। खनन कार्य खनिज सम्पदा के प्राप्ति स्थल पर ही करना होता है। यह भी ध्यान रखने योग्य है कि हीरा खनन परियोजना का प्रारंभ सन् 1958 में हुआ था, जबकि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम सन् 1972 में लागू हुआ है। परियोजना द्वारा आगामी 20 वर्षों के लिये खनन पट्टे की अवधि बढ़ाने हेतु आवेदन किया है, जिस पर निर्णय होना अभी लम्बित है। इस पर क्षेत्रीय सांसद व विधायक क्या भूमिका निभाते हैं, यह भविष्य के गर्त में है।
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दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर 

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