Wednesday, August 21, 2019

जंगल जाने वाले मवेशी बाघों का बन रहे आसान शिकार

  •   पन्ना-मझगवां मार्ग के किनारे वनराज ने गाय को दबोचा
  •   सड़क किनारे से गाय को घसीटकर बाघ ले गया खखरी के भीतर
  •   मार्ग से गुजर रही एनएमडीसी की बस में सवार लोगों ने देखा रोमांचक नजारा




अरुण सिंह,पन्ना। म.प्र. के पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघों की तेजी से बढ़ रही संख्या के चलते यहां के बाघ अब कोर क्षेत्र से बाहर निकलकर बफर क्षेत्र के जंगल में भी विचरण करने लगे हैं। कोर क्षेत्र से लगे आस-पास के जंगलों में वनराज की मौजूदगी होने से जंगल जाने वाले मवेशी बाघों का आसान शिकार बन रहे हैं। टाईगर रिजर्व के बाघ आये दिन कोर क्षेत्र से बाहर आकर सड़क पार करके मवेशियों का शिकार करते हैं और फिर वापस चले जाते हैं। पन्ना-अमानगंज मार्ग पर सड़क मार्ग पर चहल-कदमी करते हुये बाघ अक्सर दिख जाते हैं। लेकिन बुधवार की सुबह आज पन्ना-मझगवां मार्ग पर सड़क के किनारे गाय का शिकार करते हुये वनराज को राहगीरों ने देखा। उसी समय वहां से गुजर रही एनएमडीसी की बस में सवार लोगों ने गाय के शिकार का यह रोमांचकारी दृश्य वीडियो में भी कैद किया है, जो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि 10 वर्ष पूर्व पन्ना का जंगल बाघों से विहीन हो गया था, लेकिन यहां बाघ पुनर्स्थापना  योजना को मिली चमत्कारिक सफलता के चलते बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ा है। मौजूदा समय पन्ना टाईगर रिजर्व में आधा सैकड़ा से भी अधिक लगभग 52 बाघ हैं जो कोर क्षेत्र की धारण क्षमता से अधिक हैं। ऐसी स्थिति में पन्ना टाईगर रिजर्व के युवा बाघ अपने लिये बसेरा ढूँढऩे के लिये आस-पास के जंगलों में विचरण कर रहे हैं। जाहिर है कि इन जंगलों में बीते कई वर्षों से बाघों की मौजूदगी नहीं रही है, फलस्वरूप मवेशी जंगलों में बिना किसी खतरे के चरते रहते थे। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं, जंगल में वनराज की हर तरफ मौजूदगी है, जिससे मवेशी जंगल में अब सुरक्षित नहीं हैं। चूंकि वन्य जीवों की तुलना में मवेशी बाघ का आसान शिकार होते हैं, इसलिये बाघ भी बिना ज्यादा परिश्रम किये अधिक से अधिक बायोमास प्राप्त करने मवेशियों को अपना शिकार बनाते हैं।

राहगीरों ने देखा शिकार का यह रोमांचक नजारा



 शिकार करने के बाद बाघ गाय को घसीटकर ले जाते हुये 

पन्ना-मझगवां मार्ग पर दरेरा मोड़ के पास बुधवार की सुबह जब एक बलशाली युवा बाघ ने गाय की गर्दन पकड़ कर उसे जमीन पर पटका, उस समय सड़क मार्ग से अनेकों राहगीर गुजर रहे थे। रोंगटे खड़े कर देने वाला शिकार का यह रोमांचक नजारा देख जो जहां था वहीं ठिठक गया, सड़क मार्ग पर आवागमन कुछ देर के लिये थम गया। लोग अपने मोबाइल पर इस अद्भुत दृश्य को कैद करने से भी नहीं चूके। गाय को मारने के बाद बाघ उसे घसीटते हुये पत्थर की बनी खखरी के पार घने जंगल में ले गया। भारी भरकम गाय को पत्थर की ऊँची खखरी के दूसरी ओर ले जाते हुये बाघ को देख लोग हैरत में पड़ गये और यह कहते हुये सुनाई दिये कि इस बाघ में गजब की ताकत है। बाघ द्वारा गाय का शिकार किये जाने की सूचना मिलते ही कुछ ही देर में वन कर्मी पहुँच गये। उप संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व ईश्वर रामहरि जर्राडे ने बताया कि निगरानी के लिये वहां हांथी भी तैनात किये गये हैं।

बाघों की सुरक्षा हेतु मवेशियों के किल की निगरानी जरूरी



पन्ना टाईगर रिजर्व के आस-पास आबादी क्षेत्र से लगे जंगलों में बाघों द्वारा आये दिन मवेशियों का शिकार किया जा रहा है। मवेशियों के शिकार की बढ़ती घटनाओं को देखते हुये वन अमले पर यह अतिरिक्त जिम्मेदारी भी बढ़ गई है कि वे मवेशी के किल की तब तक सघन निगरानी करें जब तक बाघ उसे खा नहीं लेता। किल की निगरानी में लापरवाही बरते जाने पर बाघ की सुरक्षा पर न सिर्फ खतरा रहता है अपितु उसके केनाइन डिस्टेम्पर जैसी घातक बीमारी से संक्रमित होने की भी संभावना रहती है। मालुम हो कि केनाइन डिस्टेम्पर आवारा कुत्तों के जरिये फैलती है। यदि आबादी क्षेत्र के आस-पास घूमने वाले आवारा कुत्ते बाघ द्वारा किये गये शिकार को खाते हैं और फिर बाघ भी उस किल को खा लेता है तो इस घातक बीfमारी के संक्रमण का खतरा उत्पन्न हो जाता है। जिसे रोकने के लिये बाघ द्वारा किये गये मवेशी के किल की निगरानी बेहद जरूरी होती है।

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