Wednesday, August 28, 2019

गाय के शिकार की दावत उड़ाने तेंदुओं के बीच हुई जंग

  •   आपसी संघर्ष में 3 वर्षीय मादा तेंदुआ की मौत
  •   कौआसेहा के जंगल में बाघ ने किया था गाय का शिकार
  •   पन्ना शहर से लगे जंगल में बाघ व तेंदुआ का रहवास 


कौआसेहा के जंगल में मिला मादा तेंदुआ का शव।

अरुण सिंह,पन्ना। वनराज द्वारा किये गये गाय के शिकार की दावत उड़ाने को लेकर दो तेंदुओं के बीच हुई भीषण जंग में तीन वर्षीय मादा तेंदुआ को अपनी जान गंवानी पड़ी। मामला पन्ना शहर से लगे उत्तर वन मण्डल के विश्रामगंज वन परिक्षेत्र अन्तर्गत कौआसेहा बीट के जंगल का है। जिस जगह पर मादा तेंदुआ का शव मिला, उसके निकट ही गाय का किल भी पड़ा हुआ था। इस भारी भरकम गाय का शिकार बाघ या बाघिन द्वारा किया गया रहा होगा, जिसे खाने के बाद जब वनराज वहां से चला गया तो इस बचे हुये किल को खाने के लिये तेंदुओं के बीच आपसी जंग हुई जिसमें कम उम्र की मादा तेंदुआ बुरी तरह से जख्मी होने के चलते दम तोड़ दिया। इस मादा तेंदुआ की मौत के तकरीबन 40 घण्टे बाद जंगल से उसका शव बरामद हुआ है।


वनराज द्वारा जंगल में किल की गई गाय।

उल्लेखनीय है कि पन्ना शहर से लगभग 3 किमी दूर कौआसेहा का जंगल हमेशा से बाघों व तेंदुओं का प्रिय रहवास स्थल रहा है। इस वन क्षेत्र में सागौन वृक्षों की बड़े पैमाने पर अवैध कटाई होने  व मानवीय दखल के बावजूद वन्य प्राणियों की मौजूदगी बनी हुई है। पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघों की तेजी से बढ़ रही तादाद के चलते कई बाघ कोर क्षेत्र से बाहर निकलकर आस-पास के जंगल में विचरण कर रहे हैं। पन्ना शहर से लगे कौआसेहा के जंगल में सागौन वृक्ष का भले ही सफाया हो गया है, लेकिन यहां दूसरी प्रजाति के पेड़-पौधे व वनस्पतियां तथा झाडिय़ां बहुतायत में हैं। यही वजह है कि इस जंगल में बाघ और तेंदुआ सहित शाकाहारी वन्य जीव सांभर, नीलगाय, चीतल, चिंकारा  और चौसिंगा  नजर आते हैं। गर्मी के मौसम में भी सैकड़ों फिट गहरे कौआसेहा में हमेशा पानी बना रहता है तथा इस सेहा में दर्जनों प्राकृतिक गुफायेंं भी हैं, जहां बाघ सहित अन्य दूसरे मांसाहारी जीव तेंदुआ और भालू मजे से रहते हैं। लेकिन यहां पर कोर क्षेत्र जैसी मॉनिटरिंग और सुरक्षा व्यवस्था न होने के कारण मानवीय दखलंदाजी बढऩे तथा शिकारियों की सक्रियता को देखते हुये वन्य प्राणियों पर हर समय खतरा मंडराता रहता है।

पोस्टमार्टम से हुआ जंग होने का खुलासा


जंगल में मृत पाये गये मादा तेंदुये के शव का पोस्टमार्टम होने पर इस बात का खुलासा हुआ कि मादा तेंदुआ की मौत आपसी संघर्ष में हुई है। यह संघर्ष क्यों हुआ, इसका सबूत भी वहीं निकट पड़े गाय के किल को देखकर मिल गया है। गाय का यह किल भी तकरीबन दो दिन पुराना था, जिससे दुर्गन्ध आ रही थी। जाहिर है कि इस गाय का शिकार किसी बाघ या फिर बाघिन ने किया होगा। मालुम हो कि गाय काफी बड़ी और तंदरुस्त थी, जिसे तेंदुआ नहीं मार सकता। आमतौर पर तेंदुआ चीतल, चौसिंगा, बकरी, गाय का छोटा बछड़ा या छोटी और कमजोर गाय का ही शिकार करता है। ऐसी स्थिति में इसकी पूरी संभावना है कि बड़ी गाय का शिकार बाघ ने किया होगा और भरपेट खाने के बाद जब वह चला गया तो तेंदुआ उस किल को खाने पहुँचे और उसी दौरान विवाद की स्थिति निर्मित  होने पर संघर्ष हुआ जिसमें मादा तेंदुआ की मौत हुई।

गर्दन में मिले केनाइन दाँत के निशान


वन मण्डलाधिकारी उत्तर पन्ना नरेश सिंह यादव ने बताया कि जंगल में मृत पाई गई मादा तेंदुआ की गर्दन में पोस्टमार्टम के दौरान केनाइन दाँत के चार निशान पाये गये हैं। तेंदुआ के गर्दन की हड्डी टूटी हुई थी तथा शरीर सड़ चुका था, जिससे भीषण दुर्गन्ध आ रही थी। मृत मादा तेंदुआ के शव को देखकर यह प्रतीत हो रहा था कि इसकी मौत दो दिन पूर्व हुई होगी। मौके पर तेंदुआ के सभी अंग पूरी तरह सुरक्षित पाये गये। मृत तेंदुआ का पोस्टमार्टम करने वाले वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि जाँच रिपोर्ट आने के बाद ही पता लगेगा कि मादा तेंदुआ की मौत कैसे हुई। आपने बताया कि जाँच हेतु सेम्पल आईवीआरआई बरेली केनाइन डिस्टेम्पर टेस्ट के लिये, एसडब्ल्यूएफएच जबलपुर हिस्टो पैथोलॉजिकल एग्जामिनेशन के लिये तथा रिजनल राज्य न्यायालयिक प्रयोगशाला ग्वालियर डॉक्सीकोलोजिकल एग्जामिनेशन के लिये भेजा गया है।

स्मृति वन में किया गया दाह संस्कार


स्मृति वन में मृत तेंदुआ के दाह संस्कार का दृश्य।

जंगल की निरानी दुनिया में अपना वजूद कायम रखने के लिये हर समय खतरों का सामना करने के साथ-साथ वन्य प्राणियों को प्रतिद्वन्दियों से भीषण संघर्ष भी करना पड़ता है। तीन वर्षीय मादा तेंदुआ की आपसी संघर्ष में हुई मौत इसका जीता-जागता उदाहरण है। नई संतति को जन्म देने से पूर्व ही यह युवा मादा तेंदुआ असमय काल कवलित हो गई। मालुम हो कि चार वर्ष की होने पर मादा तेंदुआ शावक के जन्म देने योग्य हो पाती है। लेकिन इससे पहले ही यह संघर्ष में मारी गई। इस मृत मादा तेंदुआ के शव का दाह संस्कार नियमानुसार स्मृति वन में किया गया। इस मौके पर क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्र्व के.एस. भदौरिया, उप वन मण्डलाधिकारी विश्रामगंज नरेन्द्र सिंह  परिहार सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

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दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर 

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