Monday, September 2, 2019

ईको फ्रेण्डली गणेश प्रतिमाओं का बढ़ रहा प्रचलन

  •   बच्चों और युवाओं ने बनाये मिट्टी से निर्मित  बीज गणेश
  •   प्रदर्शनी लगाकर पर्यावरण के प्रति लोगों को किया गया जागरूक




अरुण सिंह,पन्ना। पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन की गतिविधियों में अब लोग बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाने लगे हैं। बच्चों और युवाओं में पर्यावरण के प्रति अभिरूचि पैदा हुई है, जिसका सकारात्मक प्रभाव पर्व और त्यौहारों में भी दिखने लगा है। मौजूदा समय पूरे 10 दिनों तक चलने वाले गणोशोत्सव पर्व की हर तरफ धूम है। मन्दिरों, प्रमुख स्थलों व घरों में पूरे भक्ति भाव और श्रद्धा के साथ सोमवार गणेश चतुर्थी से गणेश जी की प्रतिमाओं की स्थापना का सिलसिला शुरू हो गया है। श्री गणेश की आकर्षक नयनाभिराम झांकियां भी सजाई जा रही हैं। इस सबके बीच विशेष और गौरतलब बात यह है कि पर्यावरण व पानी को दूषित होने से बचाने के लिये मिट्टी से निर्मित गणेश जी की प्रतिमाओं को स्थापित करने में लोग रूचि ले रहे हैं।


आयोजित प्रदर्शनी में मिट्टी से निर्मित गणेश जी की  मूर्तियों का अवलोकन करते गणमान्यजन। 

उल्लेखनीय है कि मिट्टी से निर्मित बीज गणेश की प्रतिमाओं को अपने घरों में स्थापित करने हेतु लोगों को प्रोत्साहित करने के लिये रविवार को शहर के मोहन राजविलास होटल में एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी में बच्चों और युवाओं द्वारा बनाई गई श्री गणेश जी की ईको फ्रेण्डली प्रतिमाओं को भी प्रदर्शित  किया गया। अपनी तरह की इस अनूठी प्रदर्शनी में दो दर्जन से भी अधिक छोटी-बड़ी प्रतिमाओं को रखा गया था। यह प्रदर्शनी पूरे दिन आकर्षण का केन्द्र रही, बड़ी संख्या में लोगों ने पहुँचकर इसका अवलोकन किया तथा बच्चों और युवाओं की सृजनात्मकता को सराहा। मालुम हो कि प्रदर्शनी में रखी गई मिट्टी से निर्मित गणेश प्रतिमाओं को स्कूल के बच्चों व पन्ना शहर के युवाओं ने बनाया था। इस प्रदर्शनी के माध्यम से नगरवासियों से यह अपील भी की गई कि वे अपने घरों में मिट्टी से निर्मित बीज गणेश की प्रतिमा स्थापित कर पर्यावरण संरक्षण के कार्य में सहभागी बनें। इस प्रदर्शनी का अवलोकन करने वालों में मुख्य रूप से केशव प्रताप सिंह , मनोज गुप्ता, मनीष शर्मा, श्रीराम गोस्वामी, मनीष अमरदीप गोस्वामी, अंजली गोस्वामी, आशुतोष कुमार, नीतू सिंह , अनीशा जैन, सुरभि जैन, अनुभा श्रीवास, शुभम रैकवार, आदित्य गोस्वामी, अलौकिक शर्मा, शौर्य सिंह  सहित बड़ी संख्या में नगरवासी शामिल रहे।

पीओपी से निर्मित मूर्तियां हानिकारक


स्वस्थ पर्यावरण के लिये जरूरी है कि हमारे जल श्रोत निर्मल बने रहें। पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) से निर्मित  प्रतिमाओं को जब नदियों, तालाबों व अन्य जल श्रोतों में विसर्जित  किया जाता है, तो इससे प्रदूषण बढ़ता है तथा पानी उपयोग के लायक नहीं बचता। पीओपी तली में सीमेण्ट की तरह जम जाता है और पानी के रिसाव को रोक देता है। म.प्र. में एनजीटी ने पीओपी से बनी प्रतिमाओं की बिक्री पर पाबन्दी लगा दी है। जानकारों का कहना है कि पीओपी की मूर्तियां पानी में घुलती नहीं हैं, इनमें रसायनिक रंगों का भी प्रयोग किया जाता है जो पानी में घुलकर नुकसान पहुँचाते हैं।

मिट्टी के गणेश से जन्मेगा नया पौधा


मिट्टी से निर्मित गणेश जी की मूर्तियां  पर्यावरण को किसी भी तरह से कोई नुकसान नहीं पहुँचातीं। अब तो मिट्टी से बनी गणेश जी की मूर्तियों को बनाते समय मिट्टी के साथ विभिन्न प्रजाति के पौधों के बीज भी रखे जा रहे हैं, बीज गणेश वाली मूर्तियां विसर्जित  होने पर एक नये पौधे को भी जन्म दे देती है जिससे पर्यावरण समृद्ध होता है। बीज युक्त गणेश प्रतिमाओं को घर में ही विसर्जित  किये जाने पर उसके अन्दर रखा बीज कुछ ही दिनों में अंकुरित होकर पौधा बन जाता है। मिट्टी से निर्मित  बीज गणेश अब लोगों को पसंद आ रहे हैं।

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