Wednesday, October 2, 2019

गांधी जैसे लोगों को आलोचना व जयजयकार से कोई फर्क नहीं पड़ता

  • गांधी की सच्चाई, करुणा, अहिंसा, प्रेम और ईमानदारी सदैव जीवित रहेगी 
  • गांधीवाद मर सकता है,लेकिन गांधी को मार पाना मुमकिन नहीं 




एक अमरीकी पत्रकार ने गांधी के खिलाफ बहुत सी ऐसी बातें लिखीं, जो सरासर झूठ थीं। लिखा कि गांधी औरतों के कंधों पर हाथ रख कर सैर-सपाटा करते हैं। इस दुनिया में ऐसे कुछ बुद्धिमान लोग हैं, जिन्हें औरतों के सिवाय कुछ दिखाई नहीं पड़ता। अब वह गांधी के अपने बेटों की बेटियां हैं, अपनी भतीजियां हैं, जिनके कंधों पर गांधी हाथ रखते हैं। उनकी तस्वीरें छापीं कि गांधी बड़े अश्लील आदमी हैं। अंग्रेज सरकार ने लाखों रुपये उस सबके प्रचार के लिए दिए।
जब वह अमरीकी पत्रकार हिंदुस्तान आया तो वह डरा हुआ था। वह सारे के सारे जवाब तैयार करके लाया था। गांधीजी को खबर मिली तो उन्होंने अपने सेक्रेटरी को दिल्ली भेजा और उस पत्रकार को निमंत्रण दिया कि बिना मत चले जाना। वो वर्धा आये, वरना मुझे बहुत दुख होगा। जितना तुम मुझे जानते हो, उतना अमेरिका में मुझे बहुत कम लोग जानते हैं। वह आदमी घबड़ाया कि यह कुछ फांसने की चाल तो नहीं है? लेकिन उसे पता नहीं कि गांधी राजनीतिज्ञ नहीं थे, फंसाना वह जानते ही नहीं थे। वह डरा हुआ वर्धा आया। वह इतना घबड़ाया हुआ था कि जाते से ही वही बात पूछी जाएगी कि तुमने यह लिखा, वह लिखा। लेकिन गांधी ने पूछा कि उसका स्वास्थ्य कैसा है उसकी पत्नी-बच्चे कैसे है, अमेरिका में क्या चल रहा है? रात आ गई, वह बात नहीं हुई। दूसरा दिन हो गया, और सब बातें हुईं, सिवाए उस बात के।

फिर विदा का वक्त आ गया। लेकिन गांधी ने नही पूछा कि तुमने मेरे बाबत यह क्या लिखा है? चलते वक्त वह आदमी रोने लगा और उसने कहा, क्या बापू आप मुझसे वह नही पूछेंगे? गांधी ने कहा, तुमने लिखा है तो सोच कर ही लिखा होगा। तुम इतने बुद्धिमान आदमी हो, विचार करके ही लिखा होगा। और फिर जब से मैंने पढ़ा, मैं खुद ही सोचने लगा कि मेरे भीतर कहीं कोई वासना शेष तो नहीं है? अन्यथा यह आदमी लिखता कैसे! मेरे भीतर कोई वासना जरूर शेष होनी चाहिए, तभी इस आदमी को बात पकड़ में आई है। ठीक ही तो है, मुझे विचार का तुमने मौका दिया। और तुमसे मेरी प्रार्थना है, वहां जाकर मेरी प्रशंसा मत करने लगना। मेरी प्रशंसा करने वाले बहुत लोग हैं, थोड़े ही आलोचक हैं, उनके ही आधार से मैं विकसित होता हूं। क्योंकि वे मुझे कहते हैं कि यहां गलत है। मेरे प्रशंसक तो जयजयकार करते हैं। उनसे मुझे पता भी नहीं चलता कि मैं गलत भी हो सकता हूं। अगर मैं उनकी मैं उनकी ही बातों में पड़ा रहूं तो वो मुझे गङ्ढे में ले जाएंगे।

सब अनुयायी अपने नेताओं को गङ्ढे में ले जाने वाले सिद्ध हुए हैं। क्योंकि अनुयायी जयजयकार करते हैं। लेकिन गांधी जैसे लोगों को जयजयकार से कोई फर्क नहीं पड़ता है। तो आपको इतने बेचौन होने, घबड़ाने की जरूरत नहीं है।

मैं कुछ भी गांधी के खिलाफ नहीं कह रहा हूं, मैं गांधी की धारणाओं और उनके विचारों पर कह रहा हूँ, जो इस मुल्क पर लागू हो सकता है। गांधी तो अनूठे व्यक्ति हैं। चाहे उनके विचार कितने ही गलत सिद्ध हों, लेकिन गांधी की महानता खतम होने वाली नहीं है।

कराची की एक कॉन्फ्रेस में गांधी थे। कुछ लोगों ने उन्हें काले झंडे दिखाए और गांधीवाद मुर्दाबाद के नारे लगाए। गांधी ने माइक से बोलते हुए कहा, गांधी मर जाएगा, लेकिन गांधीवाद जीएगा। मैं गांधी से कहना चाहता हूं कि शब्दों में थोड़ी भूल हो गई।

गांधीवाद मर सकता है, गांधी जीएगा।

गांधी नहीं मर सकता है। गांधी का व्यक्तित्व ऐसा अनूठा है कि वाद वाद का कोई सवाल नहीं है। सब चला जाएगा लेकिन गांधी की सच्चाई, गांधी की करुणा, गांधी की अहिंसा, गांधी का प्रेम, गांधी की ईमानदारी, गांधी की सरलता, वह जीएगी। गांधीवाद में कोई बहुत भूल नहीं है, लेकिन गांधी में बहुत मूल्य है।

और यह मैं उदाहरण के लिए कहना चाहता हूं। जैसे हम मार्क्स को उठा कर देखें तो मार्क्स का व्यक्तित्व दो कौड़ी का भी नही है, लेकिन विचार बहुत कीमती है, अनूठा है। मार्क्स का विचार जीएगा। गांधी का विचार अनूठा नहीं है, लेकिन गांधी के व्यक्तित्व में बड़ी अनूठी खूबियां हैं। गांधी का व्यक्तित्व जीएगा।
@ ओशो 
देख कबीरा रोया-प्रवचन-27

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