Wednesday, October 16, 2019

नवीन कलेक्ट्रेट मार्ग के निर्माण में कटेंगे हरे-भरे वृक्ष

  •   परिसर में रोपित पौधे बचे नहीं और फलते-फूलते पेड़ कटाने को तत्पर
  •   सड़क निर्माण हेतु सुगम विकल्प के रहते क्यों काटे जायें पेड़ ?
  •   प्रशासन की नियत और मंशा पर पर्यावरण प्रेमियों ने उठाये सवाल


हरे - भरे वृक्षों से अच्छादित मार्ग जहाँ से होकर सड़क बननी है।  

अरुण सिंह,पन्ना। जिला मुख्यालय पन्ना में करोड़ों रू. की लागत से निर्मित  नवीन कलेक्ट्रेट भवन को शुरू हुये तकरीबन एक वर्ष होने को है फिर भी अभी तक यहां पहुँचने के लिये सुगम पक्का मार्ग नहीं बन सका है। प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह  चौहान ने आनन-फानन विधानसभा चुनाव से पहले नवीन कलेक्ट्रेट भवन का उद्घाटन कर दिया था। इस भव्य समारोह के आयोजन में पानी की तरह पैसा खर्च करके भारी भीड़ जुटार्ई गई थी, लेकिन सड़क मार्ग का निर्माण नहीं कराया गया। अब महीनों बाद प्रशासन को सड़क निर्माण की सुध तब आई जब बारिश के समय लोगों का यहां पहुँचना मुश्किल होने लगा। सड़क निर्माण में भी समझदारी दिखाने के बजाय जो मार्ग निर्धारित किया गया है, उसमें दर्जनों की संख्या में हरे-भरे वृक्षों को धराशायी करना पड़ेगा। जबकि कुछ ही दूरी पर बिना एक भी वृक्ष काटे सड़क मार्ग का विकल्प मौजूद है। लेकिन आला अधिकारियों को यह मार्ग इसलिये रास नहीं आ रहा क्योंकि उस मार्ग पर व्यय थोड़ा अधिक आना है। हरे-भरे पेड़ कट जायें, इसकी कोई चिन्ता नहीं है लेकिन पैसा ज्यादा खर्च न हो जाये इसकी फिक्र है।
गौरतलब है कि नवीन कलेक्ट्रेट परिसर में आला अधिकारियों ओर नेताओं द्वारा महीनों पूर्व जो पौधे रोपित किये गये थे, उनमें एक भी पौधा मौजूदा समय जीवित नहीं है। जिन जगहों पर पौधे रोपित कर फोटो खिंचाई  गई थीं, वहां सिर्फ नाम लिखी तख्तियां नजर आ रही हैं। अब यहां सवाल यह उठता है कि जो लोग रोपित किये गये पौधों को सुरक्षित नहीं रख सकते उन्हें यह हक भी नहीं है कि वे हरे-भरे वृक्षों की बलि चढ़ायें। जब नवीन कलेक्ट्रेट भवन के लिये मुख्य सड़क मार्ग से सुगम रास्ता मौजूद है तो फिर एक सुरक्षित और सुन्दर मैदान से सड़क क्यों बनाई जा रही है, जहां सैकड़ों की संख्या में पेड़ लगे हुये हैं। जिला प्रशासन के इस अदूरदर्शी व पर्यावरण विरोधी निर्णय की शहर के प्रबुद्ध नागरिकों व पर्यावरण प्रेमियों द्वारा आलोचना की जा रही है तथा यह आगृह भी किया जा रहा है कि प्रशासन अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे।
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