Tuesday, October 29, 2019

पन्ना में नहीं थम रहा वन्य प्राणियों के शिकार का सिलसिला

  •   दक्षिण वन मण्डल के शाहनगर रेन्ज में मिला मादा तेन्दुआ का शव
  •   फंदा से शिकार किये जाने की जताई जा रही है आशंका


जंगल में मिला मादा तेन्दुआ का शव।

अरुण सिंह,पन्ना। म.प्र. के पन्ना जिले में वन्य प्राणियों के शिकार का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। जिले के दक्षिण वन मण्डल अन्तर्गत शाहनगर वन परिक्षेत्र के टिकरिया बीट में ब्रीडिंग क्षमता वाली मादा तेन्दुआ का शव संदिग्ध परिस्थितियों में मिला है। तेन्दुये के शव को देखकर ऐसी आशंका जताई जा रही है कि इसकी मौत फंदा में फँसने के कारण हुई है। जबकि वन महकमे के अधिकारी इसे प्राकृतिक मौत बता रहे हंै। वन अधिकारियों के मुताबिक मृत पाये गये मादा तेन्दुये के शरीर पर किसी भी तरह का कोई जख्म व निशान नहीं है तथा शरीर के नाखून, दाँत सहित सभी अंग सुरक्षित हैं। जाहिर है कि इस 5-6 वर्षीय मादा तेन्दुआ का किसी वन्य प्राणी से संघर्ष नहीं हुआ, फिर उसकी मौत कैसे व किन परिस्थितियों में हुई यह रहस्य बना हुआ है। एक पूर्ण स्वस्थ युवा मादा तेन्दुुआ की अचानक हुई मौत को वन अधिकारी प्राकृतिक किन कारणों और संकेतों के आधार पर बता रहे हैं, यह भी अपने आप में एक सवाल है जिसका जवाब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मिल सकेगा।

 स्थिति का जायजा लेने पहुँची डीएफओ व मौके पर मौजूद वन कर्मी।
उल्लेखनीय है कि जिले का दक्षिण वन मण्डल मौजूदा समय अवैध उत्खनन, वनों की कटाई व शिकार को लेकर चर्चाओं में है। इसके पूर्व भी यहां पर तेन्दुआ, भालू सहित अन्य वन्य प्राणियों के शिकार की कई घटनायें हो चुकी हैं। जिससे साफ जाहिर है कि इस पूरे वन क्षेत्र में शातिर शिकारियों का जाल फैला हुआ है और मौका मिलते ही वे शिकार की घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं। शिकार के ज्यादातर मामलों का पता ही नहीं चल पाता, यदा कदा जब कोई बड़ा वन्य प्राणी फंदे में या विद्युत करंट की चपेट में आ जाता है और शिकारी उसे ठिकाने नहीं लगा पाते, तभी मामले का खुलासा हो पाता है। इसके पूर्व विद्युत करंट से तेन्दुआ और भालू के शिकार की घटनायें हो चुकी हैं। इस मादा तेन्दुये की मौत कैसे हुई अभी इस बात की प्रमाणिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई, लेकिन वन अधिकारियों के इस दावे पर कि मादा तेन्दुये की प्राकृतिक मौत हुई है, कोई यकीन नहीं कर रहा।

वन्य प्राणियों की सुरक्षा भगवान भरोसे

जिले के उत्तर व दक्षिण दोनों ही वन मण्डलों में वन्य प्राणियों की सुरक्षा भगवान भरोसे है। ज्यादा वन परिक्षेत्रों में ऐसे रेन्ज आफीसर पदस्थ हैं, जिनकी रूचि न तो वनों के संरक्षण में है और न ही वन्य प्राणियों की निगरानी व सुरक्षा में, उनका पूरा ध्यान बजट को ठिकाने लगाने में ही लगा रहता है। ज्यादातर वन अपराधों पर भी कार्यवाही नहीं होती, रफ-दफा कर दिया जाता है। यही वजह है कि वन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर जहां अवैध उत्खनन हो रहा है, वहीं जंगल भी कट रहा है। इस लापरवाही और लचर सुरक्षा इंतजामों का फायदा इलाके में सक्रिय शिकारी उठा रहे हैं। सबसे ज्यादा चिन्ता अब बाघों की सुरक्षा को लेकर है, क्योंकि पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में बाघों की संख्या बढऩे से कई बाघ कोर क्षेत्र से बाहर निकलकर सामान्य वन क्षेत्र में विचरण कर रहे हैं। यदि सामान्य वन क्षेत्र में निगरानी तंत्र सजग और चौकस नहीं हुआ तथा विचरण कर रहे बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की गई तो तेन्दुआ व दूसरे वन्य प्राणियों की तरह बाघ भी शिकारियों के फंदे में फँस सकते हैं। समय रहते आला वन अधिकारियों को इन खामियों की तरफ ध्यान देना चाहिये।

इनका कहना है...

0  मादा तेन्दुआ की नेचुरल डेथ होना प्रतीत हो रहा है, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने पर ही इसकी मौत की वजह का खुलासा हो पायेगा। रेन्ज आफीसर को घटना के हर पहलू की बारीकी से जाँच करने के निर्देश दिये हैं। 
मीना कुमारी मिश्रा, डीएफओ दक्षिण वन मण्डल पन्ना


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