Friday, October 4, 2019

पन्ना शहर के निकट हरे-भरे पेड़ हो रहे कुल्हाडिय़ों के शिकार

  •   धार्मिक व पर्यटन महत्व के स्थल भी नहीं बचे सुरक्षित
  •   झोर के चौपड़ा मन्दिर मार्ग में कट गये दर्जनों पेड़


 पन्ना शहर के निकट स्थित मनोरम स्थल गौर का चौपड़ा।

अरुण सिंह,पन्ना। मन्दिरों के शहर पन्ना के आस-पास धार्मिक महत्व के ऐसे अनेकों मनोरम स्थल हैं, जिनके संरक्षण व विकास पर यदि थोड़ा सा ध्यान दे दिया जाये तो ये पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन सकते हैं। लेकिन प्रशासनिक उदासीनता और अनदेखी तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों की अरूचि के चलते पन्ना के प्राकृतिक मनोरम स्थलों का विकास होना तो दूर उनकी सुरक्षा तक नहीं हो पा रही है। इन सुन्दर स्थलों के नैसर्गिक सौन्दर्य को नष्ट किया जा रहा है। पन्ना शहर के आस-पास महज 5 किमी के दायरे में ही वन महकमे की नाक के नीचे खुलेआम हरे-भरे पेड़ कातिल कुल्हाडिय़ों का शिकार हो रहे हैं। यह स्थिति उन स्थलों की है जहां प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोग घूमने-टहलने जाते हैं।
यहां पर बात की जा रही है पन्ना शहर के बेहद करीब धार्मिक महत्व वाले मनोरम स्थल गौर के चौपड़ा की, जहां तक पहुँचने के लिये बीते साल सीसी रोड का निर्माण कराया गया है। प्राचीन काल में यह खूबसूरत स्थल ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रही है, जिसके चिह्न यहां आज भी मौजूद हैं। यहां पर एक अतिप्राचीन हनुमान मन्दिर सहित विभिन्न देवी-देवताओं के कई अन्य मन्दिर भी हैं। परिसर में मौजूद विशाल वट वृक्ष यहां के सौन्दर्य को कई गुना बढ़ा देता है। मन्दिरों के बीचों-बीच प्राचीन चौपड़ा है, जिसमें पहाड़ों व जंगल से रिसकर पानी आता है। औषधीय गुणों से भरपूर इस चौपड़ा के कंचन जल का सेवन करने से पेट संबंधी व्याधियां स्वमेव दूर हो जाती हैं। भीषण गर्मी के मौसम में भी यहां पर न सिर्फ शीतलता का अहसास होता है, अपितु वट वृक्ष के नीचे बैठने से अभूतपूर्व शान्ति व सुकून का भी अनुभव होता है। ऐसे अनूठे और अति प्राचीन मनोरम स्थल की प्राकृतिक सुषमा व सौन्दर्य को नष्ट करने का कुत्सित प्रयास हो रहा है, जिस पर यदि प्रभावी रोक नहीं लगी तो यह मनोरम स्थल भी उजड़ जायेगा।

अचानक गायब हो गया विशाल वृक्ष


 मार्ग में ताजे काटे गये वृक्ष का ठूँठ।
दो दिन पूर्व गौर के चौपड़ा मन्दिर मार्ग पर सीसी रोड के किनोर लहलहाता हरा-भरा वृक्ष अचानक लापता हो गया है। दो दिन पूर्व ही इस वृक्ष पर बैठा राष्ट्रीय पक्षी मोर अपने प्रियतम को आवाज देकर बुला रहा था। वृक्ष की शाखायें हवा में झूम-झूमकर नाच रही थीं, लेकिन अब वहां पर सिर्फ एक ठूँठ और क्षत-विक्षत हालत में जहां-तहां बिखरी पड़ीं वृक्ष की शाखायें नजर आ रही हैं। मालुम हो कि गौर के चौपड़ा मन्दिर के आस-पास का इलाका राष्ट्रीय पक्षी मोर का प्रिय रहवास है। यहां के जंगल में सैकड़ों की संख्या में मोर रहते हैं। इसलिये यदि इस जंगल को मोर वन कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। सुबह की सैर में यहां जाने वाले लोग जब वृक्षों पर मोर बैठे देखते हैं और उनकी सुमधुर आवाज सुनते हैं तो मन प्रफुल्लित हो जाता है। लेकिन हम उनके प्राकृतिक रहवास को उजाडऩे पर उतारूँ हैं। जाहिर है कि इसी तरह बेरहमी के साथ यदि हम पेड़ काटते रहे तो यहां के मोरों को अपने लिये नया ठिकाना ढूँढऩा पड़ेगा। फिर सुबह की सैर में जाने वाले लोगों को मोर की आवाज नहीं सुनाई देगी।

नहीं बचे सागौन के बड़े पुराने पेड़

शहर से लगे प्राकृतिक मनोरम स्थल कौआसेहा, गौर के चौपड़ा सहित आस-पास के जंगल में सागौन के बड़े पुराने पेड़ ढूँढऩे पर भी नहीं मिलते। पर्यावरण के दुश्मनों ने अपने निहित स्वार्थों के चलते इन बेशकीमती पेड़ों को काट डाला है। जंगल में जिधर भी नजर डालो सागौन वृक्षों के ठूँठ नजर आते हैं। शहर के आस-पास सागौन के अलावा आम, महुआ, नीम, अर्जुन, तेन्दू, बहेरा सहित अन्य कई प्रजातियों के पेड़ हैं। सागौन का खात्मा करने के बाद लकड़ी चोरों की कुल्हाडिय़ां अब इन वृक्षों पर भी चलने लगी हैं। विगत अगस्त के महीने में चौपड़ा मन्दिर के पास सड़क के किनारे एक सागौन का वृक्ष कटा था, जिसकी जानकारी व कटे ठूँठ की फोटो वन मण्डलाधिकारी उत्तर पन्ना नरेश सिंह यादव को भेजी गई थी। जिस पर उन्होंने आश्वस्त किया था कि संबंधितों से पूछताछ कर कार्यवाही की जायेगी तथा अवैध कटाई को रोका जायेगा। लेकिन आश्वासन के बावजूद अवैध कटाई बदस्तूर जारी है और पन्ना शहर के इन धड़कते फेफड़ों की हवा बेरहमी के साथ निकाली जा रही है।
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