- जिले में पर्यटन विकास की असीम संभावनायें मौजूद: कलेक्टर
- पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये उठाये जा रहे हैं कदम
- यहां के प्राचीन मन्दिरों व मनोरम स्थलों का प्रचार-प्रसार जरूरी
पन्ना जिले में सलेहा के निकट अगस्त्य ऋषि के आश्रम में स्थित प्राचीन मन्दिर। |
अरुण सिंह,पन्ना। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना जिले में पर्यटन विकास की असीम संभावनायें मौजूद होने के बावजूद अभी तक यह जिला पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र नहीं बन सका है। यहां प्राचीन भव्य मन्दिरों के अलावा ऐतिहासिक महत्व के स्थलों, खूबसूरत जल प्रपातों व प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण मनोरम स्थलों की भरमार है। इनका समुचित ढंग से प्रचार-प्रसार न होने के कारण देशी व विदेशी पर्यटक इस जिले की खूबियों से अनभिज्ञ हैं। यही वजह है कि पर्यटकों को आकर्षित करने की खूबियों के बावजूद पन्ना पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं हो सका। देर से ही सही लेकिन अब इस ओर शासन और प्रशासन ने सकारात्मक पहल शुरू की है। जिले के प्रशासनिक मुखिया कर्मवीर शर्मा ने पर्यटन विकास की दिशा में प्रभावी और सार्थक कदम उठाये हैं जिससे मन्दिरों के शहर पन्ना को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किये जाने की उम्मीद जागी है।
उल्लेखनीय है कि पन्ना जिला विन्ध्य की ऊँची-नीची पर्वत श्रंखलाओं पर बसा हुआ हैै। जिले की सीमायें हरी-भरी, मनमोहक वादियों से आच्छादित हैं। सीमा में प्रवेश होते ही कलकल निनाद करती नदियां, झरझर के स्वर बिखेरते प्रपात एवं पक्षियों की चहचहाट सप्तस्वर लहरियां बिखेर देती हैं। तब ऐसा प्रतीत होता है कि मार्गों के दोनों तरफ वृक्षों की टहनियां हवा में लहराकर आगंतुकों का स्वागत कर रही हैं। यहां के मन्दिर लोगों को अनायाश ही अपनी ओर खींच लेते हैं जो भी मन्दिर परिसर में पहुँच जाता है वह इन मन्दिरों की स्थापत्य कला व भव्यता को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाता है। इतना ही नहीं इस जिले मेें अनेकानेक प्राकृतिक स्थल, धार्मिक स्थल, ऐतिहासिक इमारतें और विश्व प्रसिद्ध हीरा की खदानें स्थित हैं। यहां की प्रकृति और इमारतें सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुये हैं। वनवास के दौरान मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम पन्ना जिले से होकर गुजरे थे, जिसके चिह्न यहां आज भी मौजूद हैं। जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 16 किमी दूर सुतीक्षण आश्रम तथा सलेहा के निकट स्थित अगस्त ऋषि आश्रम भगवान राम के वन पथ गमन की यादों को अपने जेहन में आज भी संजोये हुये है। धार्मिक महत्व के इन प्राचीन स्थलों का यदि योजनाबद्ध तरीके से विकास किया जाये तो ये स्थल पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन सकते हैं। इस पुण्य भूमि में अनेकों ऋषि मुनियों ने भी अपने जीवन का लम्बा समय बिताया है, जिसके चलते इस भूमि को यदि तपोभूमि कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं है।
मालुम हो कि पन्ना जिला मुख्यालय सड़क मार्ग से छतरपुर एवं सतना के मध्य लगभग 70 किमी की दूरी पर स्थित है। इस खूबसूरत शहर में अनेकानेक भव्य और प्राचीन मन्दिर हैं। जिनमें श्री जुगल किशोर, श्री बल्दाऊ जी, श्री प्राणनाथ जी, श्री रामजानकी, श्री जगदीश स्वामी मन्दिर आदि प्रमुख मन्दिर हैं। मन्दिरों में मध्यकालीन शिल्प की छटा दिखाई देती है। इसके अलावा जिले की सीमा में अनेक पर्यटन महत्व के स्थल हैं। इन स्थलों की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट कराने के लिये निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। इसी क्रम में जिले में वॉक फेस्टिवल का आयोजन किया गया। वॉक फेस्टिबल का शुभारंभ 12 अक्टूबर से किया गया है। इसके प्रथम चरण में पन्ना नगर में स्थित ऐतिहासिक भवन महेन्द्र भवन से इसका शुभारंभ किया गया। इसके उपरांत महेन्द्र भवन से कमला बाई तालाब मार्ग में पडऩे वाले मन्दिरों का भ्रमण करने के साथ-साथ हीरे की उथली खदानों का भ्रमण एवं अध्ययन कराया गया। आज जिले के पुरावैभव से परिचित कराने के लिये हिन्दूपत महल में स्थित पुरातत्व संग्रहालय का भ्रमण कराया गया। यह वॉक फेस्टिवल 20 अक्टूबर को बृहस्पति कुण्ड में कराया जायेगा। वॉक फेस्टिवल कार्यक्रम के तहत 10 नवम्बर तक लोगों को जिले के प्राकृतिक, धार्मिक, पुरातात्विक, ऐतिहासिक महत्व के स्थलों का भ्रमण कराकर लोगों को उनके बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी जायेगी। वॉक फेस्टिवल में आम नागरिकों के साथ स्कूल-कॉलिजों के बच्चे भाग ले रहे हैं।
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