- क्या सांस लेने के अधिकार की अब लड़नी पड़ेगी लड़ाई ?
- सैकड़ों वर्ष पुराने बृक्षों को काटकर खोले जा रहे विनाश के दरबाजे
सड़क चौड़ीकरण के नाम पर काटे गये पुराने आम के पेड़ का द्रश्य। |
बेशकीमती पेड़ों के काटे जाने का ताजा मामला उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश की सीमा से लगे इलाके का है। बांदा जिले के नरैनी से वाया कालिंजर होते हुए सतना तक सड़क चौड़ीकरण का कार्य होना है। इसी सड़क चौड़ीकरण कार्य हेतु एक सैकड़ा से भी अधिक आम, जामुन व शीशम के पुराने वृक्षों को काटा जा रहा है ।बांदा के पर्यावरण प्रेमी व सजग समाज सेवी आशीष सागर ने अपने स्तर पर वृक्षों के काटे जाने के इस मामले पर विरोध दर्ज करते हुए सोशल मीडिया पर भी फोटो व वीडियो डाला है। लेकिन वृक्षों की बेरहमी के साथ हो रही कटाई पर नेता, अधिकारी व आम जनमानस सभी चुप हैं। बुंदेलखंड क्षेत्र की दुर्दशा, गरीबी और शोषण की यह एक बड़ी वजह है कि यहां पर कुछ भी होता रहे किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं होती। खनन माफिया चाहे नदियों का सीना छलनी करें चाहे पहाड़ खोद डालें कोई कुछ नहीं बोलता। मालुम हो कि मुंबई में मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए जब पेड़ काटे गए तो खूब हंगामा हुआ, लोग सड़कों में उतर आए और मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा। लेकिन बुंदेलखंड क्षेत्र में पुराने फलदार वृक्षों को काटा जा रहा है फिर भी सन्नाटा है। आशीष सागर जैसे कुछ लोग ही इसका प्रतिकार करते नजर आ रहे हैं जबकि अधिसंख्य लोग चुप हैं। यह किसी न किसी रूप में मौन सहमति है कि जो मर्जी आए करो हमें इससे कोई लेना-देना नहीं।
इस इलाके के लोगों की मानसिकता बड़ी अजीबोगरीब है। जब तक उनका व्यक्तिगत नुकसान नहीं होता वह कुछ नहीं बोलते, पेड़ पौधों की कटाई, अवैध उत्खनन के मामले में तो बिल्कुल नहीं। आशीष सागर ने बताया कि एनजीटी के सख्त आदेश हैं कि फोरलेन या एक्सप्रेस वे आदि सड़क चौड़ीकरण के नाम पर नष्ट किये गए पेड़ों की जगह उसी प्रजाति के पौधों को पुनः लगाया जाएगा जबकि ऐसा होता नहीं है। उच्चन्यायालय प्रयागराज ने हाल में एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी सरकार को हाइवे पर पेड़ काटने की जगज ट्री ट्रांसप्लांट मशीन खरीदने को आदेश किया है इस पर सरकार ने हलफनामा दिया कि मशीन खरीदने की ज़िम्मेदारी राष्ट्रीय मार्ग , नेशनल हाइवे एथार्टी की है। बतलाते चले उन्नाव-रायबरेली हाइवे निर्माण पर 32 हजार पुराने शेष नए कुल 62 हजार पेड़ काटने की एनओसी यूपी सरकार - पीडब्ल्यूडी ने पर्यावरण मंत्रालय से मांगी है। वर्ष 2016 बाँदा-चिल्ला मार्ग में 3534 महुआ,शीशम के पेड़ काटे गए लेकिन उसी प्रजाति के लगे एक भी नहीं और न अन्य पौधरोपण किया गया। बाँदा जनपद के नरैनी-सतना मार्ग में हरियाली का यह उजाड़नामा विकास की बदरंग नजीर है जो आने वाले वर्षों में बुंदेलखंड के बिगड़ते पर्यावरण पर दुःख जताने काबिल भी नहीं बचेगी। मालुम हो कि लोकतंत्र में कुछ संवैधानिक मौलिक अधिकार हैं, लेकिन कथित विकास ( विनाश ) की गाड़ी अनियंत्रित तरीके से दिशाहीन होकर जिस तरह दौड़ रही है उससे तो यही प्रतीत होता है कि आने वाले कुछ सालों में ही हमें सांस लेने के अधिकार की लड़ाई लड़नी पड़ेगी।
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नरैनी - सतना वाया कालिंजर मार्ग के कथित चौडीकरण कार्य के लिए पुराने भारी भरकम बृक्षों को बेरहमी के साथ काटे जाने का वीडियो देखें -
नरैनी - सतना वाया कालिंजर मार्ग के कथित चौडीकरण कार्य के लिए पुराने भारी भरकम बृक्षों को बेरहमी के साथ काटे जाने का वीडियो देखें -
बेहतरीन
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