Tuesday, January 21, 2020

चित्रकूट परिक्रमा मार्ग में प्राचीन बीहर-जलस्रोत पर महंत का कब्जा !


चित्रकूट। चित्रकूट परिक्रमा मार्ग में प्राचीन बीहर-जलस्रोत पर महंत का कब्जा है।  चित्रकूट में आधी परिक्रमा मार्ग पर राजाओं ने इस जलस्रोत बीहर का निर्माण वर्षों पूर्व जन हितार्थ,धर्मार्थ-परोपकार के लिए कराया था। ’ परिक्रमा मार्ग में उपेक्षित पड़े इस बीहर पर चित्रकूट के दिग्गज महन्त की नजरें इनायत क्या हुई आम धर्मार्थियों के लिए बने जलस्रोत पर पर्यटन विभाग के नियमों को धता बतलाकर महन्त जी के शिष्य का अनाधिकृत कब्जा हो गया है। बतलाते चले निर्मोही आखड़े के वर्तमान महंत श्री ओमकार दास हैं। इन्होंने अपना उत्तराधिकारी दीपक दास को बनाया था। पूर्व में इस अखाड़े के महंत रामआसरे दास थे। निर्मोही अखाड़ा शुरुआत से चित्रकूट के बड़े धर्माधीश की गद्दी रही है। परिक्रमा मार्ग में बिरजाकुण्ड नाम से यह स्थान आधी परिक्रमा के पहले आज भी बदहाल सूरत में मौजूद है।


उल्लेखनीय है इस स्थान पर पहले निर्मोही अखाड़ा का अघोषित कब्जा था। उसके बाद तत्कालीन महंत ने अपने एक शिष्य को वहाँ पर एक कमरा बनाकर रख दिया। कब्जे की बुनियाद रखने के लिए वहीं छोटे से कमरे में मूर्ति स्थापित की और अखंड श्री राम धुन चालू करवा दी। यह कुछ वैसा था जैसे अन्य स्थानों पर अवैध कब्जे के लिए होता है। इस स्थान पे पर्यटन विभाग ने यहाँ पर लोगो के लिए दो टीनशेड बनवाये थे। वर्तमान महंत ने पूरे परिसर को बंद करवाने के साथ ही बीहर-जलस्रोत के बाहरी ओर कमरे बनवाकर उसे बंद कर दिया है। सदर मुख्यालय कर्वी से जुड़े पत्रकार साथी व स्थानीय नागरिकों की माने तो यह रुबिरजाकुंड पर्यटन विभाग के निगरानी में है। परिक्रमा मार्ग में ऐसे छोटे बड़े कुंड मसलन सीता कुंड पर भी सरकार ने रंग-रोगन करवाने के अतिरिक्त उन्हें पुनर्जीवित-रिवाइवल करने के लिए कुछ नहीं किया है यह अलग बात है सरकार,प्रशासन अक्सर चित्रकूट को पर्यटन हब बनाकर वहां के जलस्रोतों को सहेजने का दावा करती है।


 श्रीराम की तपोवन नगरी में यूँ तो अब वनवासी भी आधुनिक हुए है लेकिन विडंबना ये है कि महन्त,मठाधीश, धर्माधीश भी भू-माफियागिरी में संलिप्त है। उन्हें सरकार के न तो एंटी भू माफिया कानून की फिक्र है और न इस राम के एजेंडे को साधने वाली राजनीति में चित्रकूट के प्राचीन स्थलों को बचाने में रुचि है। अविरल बहने वाली माता मंदाकनी पर ज़िस तरह केंद्रीय, राज्य सरकार से सम्मानित धर्म गुरुओं ने आश्रम,संस्थान बनाकर नदी,नीर,जंगल की अस्मिता पर प्रहार किया है वह यह साबित करता है कि चित्रकूट का वर्तमान कलेवर प्रभु राम के वनवासी जीवन से जुड़े तमाम अवशेषों,परिक्रमा मार्ग को कंक्रीट के विकास की चौहद्दी में कैद करने पर आतुर है। पुराने लोगों ने वर्षों पूर्व माता मंदाकनी का जो पाट-विस्तार,परिक्रमा मार्ग की प्राकृतिक सुंदरता देखी है उसे वे भावी पीढ़ी को हस्तांतरित नहीं करना चाहते। शायद अन्य व्यापारिक धर्मनगरी की तर्ज पर चित्रकूट के राम अवशेषों को बड़े होटल,धर्म गद्दी, लकदक आश्रम में तब्दील होना वक्त की मांग हो ? बड़ी बात है चित्रकूट को नगरनिगम बनाने की कवायद शुरू कर चुकी है। ऐसे में बिरजाकुंड,सीताकुंड जैसे जलस्रोत और एनजीटी,जबलपुर उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद मंदाकनी की भूमि पर खड़े भामाशाहों के अभेद भवन, आश्रम,संस्थानों पर कभी कोई कार्यवाही होगी क्या, यह बड़ा सवाल है ? अलबत्ता यह होता दिखाई तो नहीं पड़ता है।
@ बाँदा से आशीष सागर दीक्षित।

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