- पन्ना कोर के झलाई बफर में बनाया गया अस्थाई कैम्प
- क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने किया कैम्प का उद्घाटन
अस्थाई कैम्प का अवलोकन करते क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया,साथ में सहा. संचालक श्री शर्मा व अन्य । |
।। अरुण सिंह,पन्ना ।।
बाघों के पुराने रहवासों व विचरण क्षेत्र में निगरानी बढ़ाने तथा वन्य प्राणियों सहित बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये बफर क्षेत्र के जंगलों में अस्थाई कैम्प बनाये जा रहे हैं। यह अभिनव पहल कोर जैसी सुरक्षा बफर क्षेत्र के जंगल में मुहैया कराये जाने की मंशा से शुरू की गई है। बुधवार 22 जनवरी को अकोला बफर क्षेत्र से लगे झलाई बीट में क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के.एस. भदौरिया ने अस्थाई कैम्प झाल नाला का उद्घाटन किया। यह इलाका सदियों से बाघों का प्रिय रहवास रहा है तथा आज भी कोर क्षेत्र से निकलकर बाघ यहां आते रहते हैं। अस्थाई कैम्प के बन जाने से इस पूरे इलाके की चौबीसों घण्टे जहां निगरानी हो सकेगी वहीं बाघों सहित वन्य प्राणियों व जंगल की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।
उल्लेखनीय है कि पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में बाघों की निरंतर बढ़ रही संख्या के चलते अनेकों बाघ अपने लिये इलाके की तलाश में बाहर निकल रहे हैं। कोर से लगे बफर क्षेत्र के तकरीबन एक हजार वर्ग किमी के जंगल में मौजूदा समय पन्ना टाईगर रिजर्व के कई बाघ विचरण कर रहे हैं। इन बाघों को बफर क्षेत्र में अनुकूल वातावरण तथा कोर जैसी सुरक्षा प्रदान करने के लिये संवेदनशील स्थलों पर अस्थाई सुरक्षा कैम्प बनाने का सिलसिला शुरू किया गया है, जो अनवरत् जारी है।
कोर से लगे बफर क्षेत्र के जंगल में इस तरह की प्रक्रिया विगत एक वर्ष पूर्व अकोला बफर से शुरू की गई थी, जिसके उत्साहजनक परिणाम सामने आये हैं। कुछ वर्ष पूर्व तक यह वन क्षेत्र पूरी तरह से उजड़ा हुआ था, जंगल की जगह मैदान नजर आ रहे थे। लेकिन बीते एक साल में ही यह उजड़ा हुआ वन क्षेत्र पेेड़-पौधों और झाडिय़ों से आच्छादित हो गया है। हरियाली बढऩे तथा छिपने की पर्याप्त व्यवस्था होने से अब अकोला बफर में बाघ, तेंदुआ व भालू जैसे वन्य जीवों के साथ-साथ चीतल, सांभर, नीलगाय जैसे शाकाहारी वन्य प्राणी भी प्रचुरता के साथ दिखने लगे हैं। इस बफर क्षेत्र में पर्यटन भी शुरू किया गया है, बाघों का दीदार होने तथा अनेकों प्राकृतिक मनोरम स्थलों की मौजूदगी के चलते बफर क्षेत्र का यह इलाका अब पर्यटकों को आकर्षित करने लगा है।
पानी की उपलब्धता के मामले में बीट झलाई बफर का जंगल काफी समृद्ध है। यहां पर जहां 5 पुराने तालाब हैं, वहीं अमझिरिया की पहाड़ी से शुरू होने वाला झाल नाला भी निकलता है। गर्मी के दिनों में भी इस जंगल में पानी की उपलब्धता बनी रहती है, यही वजह है कि वन्य प्राणियों की मौजूदगी के लिहाज से झलाई बीट का जंगल खासा महत्व रखता है।
झलाई बीट में हैं 5 पुराने तालाब व नाला
नाले के किनारे घनी झाडिय़ां जहां विचरण करते हैं वन्य प्राणी। |
पानी की उपलब्धता के मामले में बीट झलाई बफर का जंगल काफी समृद्ध है। यहां पर जहां 5 पुराने तालाब हैं, वहीं अमझिरिया की पहाड़ी से शुरू होने वाला झाल नाला भी निकलता है। गर्मी के दिनों में भी इस जंगल में पानी की उपलब्धता बनी रहती है, यही वजह है कि वन्य प्राणियों की मौजूदगी के लिहाज से झलाई बीट का जंगल खासा महत्व रखता है।
परिक्षेत्र अधिकारी लालबाबू तिवारी ने बताया कि यहां दो तालाब ऐसे हैं जहां पूरी गर्मी पानी रहता है। पूर्व में यह वन क्षेत्र सामान्य वन मण्डल के अन्तर्गत था, फलस्वरूप पर्याप्त सुरक्षा प्रबन्ध न होने के कारण जंगल व वन्य प्राणियों की माकूल सुरक्षा नहीं हो पाती थी। लेकिन अब अस्थाई चौकी के बन जाने से जंगल भी नहीं कटेगा और वन्य प्राणी भी सुरक्षित रहेंगे।
ग्रामीण भी संरक्षण में निभा रहे भूमिका
बफर क्षेत्र में स्थित ग्रामों के अनेकों लोग सुरक्षा श्रमिक के रूप में लगन और मेहनत से कार्य कर रहे हैं। अस्थाई कैम्प झाल नाला का निर्माण सुरक्षा श्रमिक स्वामी प्रसाद यादव ने अपने साथियों के साथ मिलकर किया है, जिसके निर्माण में जंगल में सहजता से उपलब्ध सामग्री का ही उपयोग किया गया है। शून्य बजट वाला यह अस्थाई कैम्प अब जंगल तथा वन्य प्राणियों की सुरक्षा हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।
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