कोरोना एक वास्तविक समस्या है इस पर मजाक नहीं बनाये। इसे मजाक समझें भी नहीं। इस पर मजाक करने का वक्त भी नहीं है ये। चीन ने इस समस्या को पूरी गंभीरता से लिया। इसे रोकने के लिए जो कुछ भी किया जा सकता था, उसने पूरी सख्ती से किया। नतीजा यह है कि चीन में कोरोना के नए केस आने कम हुए हैं। माना जा रहा है कि चीन ने इस पर काफी हद तक काबू पा लिया है। लेकिन, इटली और स्पेन इस समय इसके शिकंजे में फंस चुके हैं। कल के दिन इटली में तीन सौ 38 और स्पेन में सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। कई और देशों का भी बुरा हाल है।
इटली में पच्चीस दिन पहले कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या दस से कम थी। लेकिन, पच्चीस दिनों में ही इसने पूरे देश को अपने शिकंजे में ले लिया है। स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। डाक्टरों और नर्सों की कमी पड़ चुकी है। रिटायर हो चुके डाक्टरों को भी काम पर बुलाया गया है। लोगों को इलाज नहीं मिल रहा है। बेड नहीं मिल रहे हैं। इटली ने कुछ दिन पहले अपने कुछ जगहों को रेड जोन घोषित करके कोरेंटाइन किया था। माना जा रहा है कि ऐसे इलाकों से दस हजार से ज्यादा लोग चोरी-छिपे भाग गए। उन्होंने इस बीमारी को पूरे देश में फैला दिया।
इस बीमारी के मोटा-मोटी चार स्टेज हैं। पहले चरण में यह बीमारी विदेशों से या किसी अन्य जरिए से आती है। कुछ लोगों में लक्षण मिलते हैं। इसके अगले चरण में यह बीमारी विदेशों से आने वाले लोगों के रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों में पहुंच जाती है। यहां आने के बाद तीसरा चरण शुरू होता है। जिसमें बीमारी कम्युनिटी स्प्रेड होती है। अब बीमारी पूरी की पूरी बारात में, सिनेमा हाल में, शापिंग माल, मेट्रो, रेल में फैलती है। तीसरे स्टेज में बीमारी बेकाबू हो जाती है। इसके बाद चौथा स्टेज आता है, जिसमें बीमारी महामारी का रूप ले लेती है।
भारत में अभी तक 115 केस सामने आए हैं। हमारे यहां बीमारी अभी दूसरी स्टेज पर चल रही है। हम सभी लोग सांस रोककर बैठे हैं कि यह बीमारी तीसरे चरण में प्रवेश नहीं कर पाए। नहीं तो भारत जैसे देश में इसे रोकना लगभग नामुमकिन जैसा ही साबित होने वाला है। सरकार चाहती तो लगभग डेढ़ महीने पहले तमाम कदम उठाकर इसे देश में आने से रोक सकती थी। लेकिन, सरकार ने वह समय गंवा दिया। हमारे यहां के लोगों को गोबर-गोमूत्र और अपनी जाहिलियत पर कुछ ज्यादा ही भरोसा है। इसलिए गोबर और गौमूत्र पार्टियों का भी आयोजन किया जा रहा है।लेकिन, इस पर भी ध्यान देने की जरूरत नहीं है। सबसे ज्यादा जरूरी है कि इस बीमारी को आप लोग गंभीरता से लें। जरूरी होने पर ही घरों से निकलें। बीमारी की चपेट में आने से बचें और दूसरों को भी बचाएं।
सचमुच बड़ी विडंबना है कि जिस देश में पचास करोड़ से ज्यादा लोगों को साफ पानी और साबुन नहाने के लिए भी मयस्सर नहीं होता, उनसे बार-बार हाथ धोने को कहा जाता है। लॉकडाउन होने की स्थिति में सड़कों पर सोने वाले उन करोड़ों लोगों का क्या होगा, जिनके पास घर नहीं है। वे कहां खुद को लॉकडाउन करेंगे। कोई है, जो इन सवालों पर सोचने की जहमत ले। खैर, कोरोना वायरस का मजाक न बनाएं। यह एक वास्तविक समस्या है। इसकी फिलहाल कोई दवा नहीं है। शिकार बनने पर आपकी प्रतिरोधक क्षमता को ही इसे हराना पड़ेगा। दुनिया भर की दवा कंपनियां इसका इलाज खोजने में लगी भी हैं। लेकिन, इलाज खोजा भी गया तो हम जैसे गरीबों तक पहुंचने लायक सस्ता होने में उसे बहुत वक्त लग जाएगा।
, कोरोना वायरस को लेकर सप्ताह बेहद महत्वपूर्ण है। इस सप्ताह अगर बीमारी काबू में नहीं आती है तो इसके बेहद तेजी से बढ़ने की आशंका है। खासतौर पर इटली, स्पेन और फ्रांस के ट्रेंड ये बताते हैं। ऐसे समय में सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है। सरकार जो कर रही है। उसे करने दें। लेकिन, खुद भी अपना और अपने परिवार का खयाल रखें। जरूरत न हो तो घर में ही रहें। जरूरी सावधानी बरतें। नियमित अंतराल पर साबुन और पानी से बीस सेकेंड तक हाथ धोते रहें। हैंड सैनीटाइजर का इस्तेमाल करें। अपने चेहरे को छूने से बचें। सर्दी-जुकान से पीड़ित व्यक्ति से कम से कम एक मीटर की दूरी बनाकर बात करें। खुद को अपने घर में ही कोरेंटाइन कर लें। किताबें पढ़ें। बच्चों के साथ समय बिताएं। अच्छी फिल्में देखें। फुरसत नहीं होने के चलते जिस काम को कई सालों से नहीं कर पाए, घर पर किया जाने वाला वो काम करें।
याद रखें कि अगले सात दिन बेहद महत्वपूर्ण हैं। सवाल यह नहीं है कि बीमारी से कितने लोग मरते हैं या कितने लोगों को इलाज की जरूरत पड़ती है। यह बीमारी इतनी तेजी से फैलती है कि स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से चरमरा जाती हैं। सभी लोग खासतौर पर अपने माता-पिता और घर के बुजुर्गों का ध्यान रखें। उन पर यह खतरा हमसे ज्यादा है।
@ कबीर संजय की फेसबुक वॉल से
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