Wednesday, March 25, 2020

विज्ञान इतना बौना साबित होगा,कभी सोचा न था

  • विज्ञान को प्रकृति की  चेतावनी है कोरोना वायरस 



जब हमने होश संभाला ,प्राइमरी स्कूल में प्रवेश लिया,तब से किसी न किसी रूप में विज्ञान पढ़ते रहे!सामान्य विज्ञान, से लेकर जटिलतम चिकित्सा विज्ञान तक का सफर तय किया!इस दौरान विज्ञान पर इतना अधिक भरोसा हो गया था कि लगता था विज्ञान इतना प्रभावी है कि वह अपने आप में एक शक्ति है,जिसके सामने किसी का भी टिके रह पाना असंभव है।
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हुई परमाणु युद्ध ने इसकी विभीषिका और शक्ति से कुछ इस तरह परिचित कराया कि,विज्ञान की शक्ति कितनी डरावनी हो सकती है कि समस्त मानव जाति का विनाश एक पल में कर दे! इस विनाशक क्षमता के साथ साथ विज्ञान की सार्थक और उपयोगी उपयोग ने भी हमें अभिभूत किया,चाहे वह आधुनिक चिकित्सा विज्ञान हो,जिसमें व्यक्ति के शरीर के अंग मशीन की तरह बदले जा सकें,चाहे इंटरनेट का अपार विस्तार और क्षमता हो जिससे हम जो सोच सकें उसे कर भी सकें! धीरे धीरे समूची मानव जाति को लगने लगा कि,प्रकृति को विज्ञान नियंत्रित कर सकता है,और इस तरह के प्रयास सतत जारी रहे और हैं। लेकिन आज इस छोटे से अदृश्य कण जिसे विज्ञान वायरस के नाम से जानती है,और इस बार इसका नामकरण कोरोना किया है, इसके संभावित परिणामों ने विज्ञान को प्रकृति के सामने बौना साबित कर दिया है।
चाँद को दूषित करने के बाद,मंगल तक अपने पैर पसारने का प्रयास करने वाले विज्ञान को प्रकृति की यह चेतावनी है कि,जो अदृश्य है ,जो अपरिभाषित है,जो रहस्य है,उसे उसी अवस्था संतुलन में रहने दें,यदि ईश्वर के प्राकृतिक पर्यावरणीय संतुलन को क्षेड़ने का प्रयास करोगे तो नष्ट हो जाओगे, और एक अदृश्य सा छोटा सा कण ,समूची मानवता को समाप्त करने के लिए पर्याप्त है। अब वक्त आ गया है जब समूचे विश्व की महाशक्तियों को अपनी विनाशकारी शक्ति वर्धन को छोड़ जन कल्याणकारी और समूचे विश्व के लिए हितकारी प्रयास करें!
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