Thursday, May 7, 2020

क्या अब हमें कोरोना के साथ ही जीना पड़ेगा ?

  • पन्ना जिले की स्थिति नियंत्रण में लेकिन प्रवासी मजदूरों ने बढ़ाई चिन्ता 
  • संक्रमितों की पहचान के लिये जिले में अधिक से अधिक लोगों का टेस्ट जरुरी 


 जिले की उत्तर प्रदेश सीमा से लगने वाले चैकपोस्टों का निरीक्षण करते हुये पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी। 

अरुण सिंह, पन्ना। प्रदेश सरकार के मुखिया कह रहे हैं कि कोरोना संक्रमण और कुछ नहीं बस सर्दी-जुकाम का ही एक रूप है। वहीँ कुछ सरकारों के मुखिया इस बात की आशंका जता रहे हैं कि हमें कोरोना के साथ ही जीना पड़ेगा। इन जिम्मेदारों के यह सब कहने का आशय क्या है यह तो वे ही जाने लेकिन एक बात तय है कि हम तेजी के साथ चिन्ताजनक हालातों की ओर बढ़ रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 07 मई 2020, सुबह 8 बजे तक जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में मौजूदा समय मरीजों की संख्या बढ़कर 52,952 पर पहुंच चुकी है। जिनमें 111 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। इस संक्रमण से अब तक 1,783 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। पिछले 24 घंटों में 3,561 नये मामले सामने आये हैं और 89 लोगों की मौत हुई। जबकि देश भर में 15,266 मरीज ठीक हो चुके हैं, वहीं एक विदेशी नागरिक अपने देश वापस जा चुका है। यदि देश में सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों की बात करें तो अब तक महाराष्ट्र में 16,758 मामले सामने आ चुके हैं। जबकि गुजरात में 6,625, तमिलनाडु में 4,829, राजस्थान में 3,317, तेलंगाना में 1,107, मध्यप्रदेश में 3,138 और दिल्ली में 5,532 मामलों की पुष्टि हो चुकी है।  जहाँ तक हमारे अपने गृह जिले पन्ना की बात है तो फ़िलहाल यहाँ स्थिति नियंत्रण में दिखती प्रतीत हो रही है लेकिन जिस तरह से देश के विभिन्न प्रान्तों से प्रतिदिन बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर व अन्य लोग आ रहे हैं उसे देखते हुये लोग चिंतित हैं। पन्ना में पहला कोरोना संक्रमित मरीज प्रवासी मजदूर के रूप में ही चिन्हित हुआ है। पिछले कई दिनों से प्रवासी मज़दूरों के आने का सिलसिला जारी है। बीते  06 मई को अन्य राज्यों एवं जिलों से  786 व्यक्ति आये हैं जिनका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इस प्रकार अब तक सरकारी आँकडो के मुताबिक बाहर से  कुल 18125 लोग आ चुके हैं जिनका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाकर  उनकी स्क्रीनिंग की गई है। यहाँ गौरतलब बात यह है कि स्वास्थ्य परीक्षण व स्क्रीनिंग से क्या कोरोना वायरस के संक्रमण का पता चलता है, यदि नहीं तो हमारी छोटी सी लापरवाही व अनदेखी संकट पैदा कर सकती है। जबकि यह तथ्य सर्वविदित है कि बिना लक्षणों के भी अनेकों लोग संक्रमित पाये गये हैं। ऐसी स्थिति में यह जरुरी हो जाता है कि हर हाल में संक्रमित व्यक्तियों का पता चले।  इसका एक ही रास्ता है कि अधिक से अधिक लोगों का टेस्ट हो लेकिन इस मामले में पन्ना जिले की स्थिति संतोषप्रद नहीं कही जा सकती। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 06 मई 20 तक जिले में  234 नमूने लिए जा चुके हैं। कोरोना वायरस सैम्पल रिर्पोट में एक व्यक्ति पॉजिटिव तथा 218 नमूने निगेटिव पाये गये हैं तथा 11 सेम्पल रिपोर्ट अप्राप्त हैं। अब इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि तक़रीबन 10 लाख की आबादी वाले जिले में टेस्टिंग की स्थिति क्या है। यह सब लोग जानते हैं कि लॉकडाउन से संक्रमण की रफ़्तार थमती है लेकिन बीमारी व संक्रमण की संभावना ख़त्म नहीं होती। लॉकडाउन से आगे की तैयारियों  के लिए समय जरूर मिल जाता है, ताकि लॉकडाउन खत्म होने के बाद संक्रमण पर काबू पाया जा सके। तैयारियों में सबसे महत्वपूर्ण जांच की संख्या बढ़ाना है। जानकार इस बात से सहमत दिख रहे हैं कि संक्रमण अब समुदाय में फैलने लगा है। अब यह उचित नहीं है कि सिर्फ यात्रा का इतिहास या संक्रमित मरीज के संपर्क में आने वाले की ही जांच की जाये। ऐसे समय में जब लॉकडाउन में छूट मिल रही है और मामले बढ़ने वाले हैं, अब जांच हर उस व्यक्ति की हो जिसे बुखार, खांसी हो।

 पडोसी जिलों से संक्रमण का खतरा बरक़रार, चौकसी बढ़ी  


पडोसी राज्य उत्तरप्रदेश के बांदा जिले में कोरोना पॉजिटिव कई मरीज मिले हैं इनमे कुछ मरीज पन्ना जिले की सीमा से सटे ग्रामों के हैं। चूँकि जिले के अजयगढ़ क्षेत्र में यहाँ के लोगों का आना जाना लगा रहता है इसलिए खतरा अधिक है। स्थिति की गंभीरता को समझते हुये पन्ना जिला प्रशासन ने ऐहतियाती कदम उठाये हैं तथा बार्डर में चैकपोस्टों पर चौकसी बढ़ा दी गई है। जिले की उत्तर प्रदेश सीमा से लगने वाले चैकपोस्टों का कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक द्वारा संयुक्त रूप से निरीक्षण भी किया गया है। निरीक्षण के दौरान कलेक्टर कर्मवीर शर्मा द्वारा निर्देश दिये गये हैं कि जिले की सीमा के बाहर से एवं अन्य राज्यों से आने वाले शत प्रतिशत लोगों की स्क्रीनिंग की जाये। सभी की सम्पूर्ण जानकारी पंजीबद्ध करने के साथ गुगल शीट पर दर्ज की जाये। पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी ने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि अपने अनुभाग क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में निरंतर भ्रमण कर लोगों को समझाईश देने के लिए ध्वनि विस्तारक यंत्र से आवश्यक सूचना प्रसारित करें। जिससे लोग घरों से अनावश्यक बाहर न निकलें। कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक के साथ अजयगढ अनुभाग के एसडीएम, सीईओ, बीएमओ एवं संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ अन्तर्राज्यीय पन्ना नाका नरैनी, रामनई, नहरी, बरौली, चंदौरा आदि क्षेत्रों का भ्रमण कर क्षेत्र के सभी नाकों का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान निर्देश दिए गये है कि जो भी श्रमिक अथवा अन्य लोग किसी भी रेड जोन से आ रहे हैं उन पर विशेष निगरानी रखी जाये। रेड जोन से आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को होम क्वारेंटाइन कराया जाये। ऐसे व्यक्तियों पर सतत निगरानी रखने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में पदस्थ अभ्युदल दल के सदस्यों के साथ खण्ड स्तर से चिकित्सक दल एवं पुलिस दल समय समय पर निगरानी रखें। इन लोगों को निर्देश दिए जायें कि उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्या जैसे सर्दी, जुखाम, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, बुखार आदि होने पर तत्काल चलित चिकित्सा इकाई के डॉक्टरों से अपने स्वास्थ्य की जांच करायें। उन्होंने निर्देश दिये कि उत्तर प्रदेश की सीमा से लगने वाले प्रत्येक गांव में सतत निगरानी रखी जाये। उत्तर प्रदेश की सीमा वाले जिन गांवों में कोरोना संक्रमित मरीज पाया जाये उन गांव की तीन किलो मीटर की दायरे वाले जिले के सभी ग्रामों को क्वारेंटाइन करने के साथ सर्वे कर जिनमें भी सर्दी, खांसी, बुखार आदि के लक्षण दिखाई दें उनका अनिवार्य रूप से स्वास्थ्य परीक्षण किया जाये। ऐसे व्यक्तियों को समझाईश दी जाये कि वे अनावश्यक घरों से बाहर न निकलें।

स्कूल कॉलेज बंद और शराब के ठेके खुले 


 देश में पहले कोरोना संक्रमित मामले की पुष्टि केरल में 30 जनवरी को हुई थी। फिर कोरोना संक्रमितों की संख्या जब 340 थी, उस दिन यानी 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाया गया था। जब देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 564 थी, उस दिन यानी 24 मार्च को लॉकडाउन घोषित कर दिया गया। सभी लोगों को तालाबंद करने का हुक्म जारी कर दिया गया था। अब जब  07 मई को सुबह 8 बजे तक कोरोना संक्रमितों की संख्या 52,952  पहुंच गई है। मरने वालों की संख्या 17 सौ के पार है तब तालाबंदी लगभग खुली हुई है। स्कूल, कॉलेज व लाईब्रेरी भले बंद हैं लेकिन शराब की दुकानों पर लाइनें लगी हैं। शिक्षा जागरूक बनाती है, शायद इसलिये स्कूल - कॉलेज बंद हैं। शराब गुलाम पैदा करती है इसलिये ठेके खुले हुये हैं। सरकार शराब बिक्री की आमदनी से खुश, शराबी शराब के नशे में खुश और कोरोना अपने बढ़ते विस्तार से खुश है। बाजारों में भी चहल-पहल है। अब तो तमाम जगहों पर ऐसे कोरोना संक्रमित सामने आ रहे हैं, जिनके बारे में यह भी पता नहीं चल रहा है कि आखिर उन्हें यह संक्रमण आया कहां से है। कम्युनिटी स्प्रेड के लक्षण क्या इसी को कहते हैं? क्या सरकारों ने हमें हमारे हाल पर छोड़ दिया है। लम्बे लॉकडाउन से बदहाल, खाने को तरसने वाली, बैक्टीरिया-वायरस के बारे में बेसिक जानकारी भी नहीं रखने वाली इस निहत्थी जनता को क्या उसके अपने हाल पर छोड़ दिया गया है? अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए मोहताज जनता इस संकट पूर्ण स्थिति से जूझकर अपनी जीवटता की दम पर यदि कोरोना को हराने में सफल हो जाती है तो इसका श्रेय निश्चित ही हुक्मरामों और उनकी रणनीति को दिया जायेगा। दुर्भाग्य से यदि हालात ज्यादा ख़राब हुये तो ठीकरा जनता की नासमझियों और बेवकूफियों पर फूटेगा। इसलिए समझदारी इसी में है कि हम अभी भी संभल जायें और इस वैश्विक महामारी को गंभीरता से लें तथा अपने को व अपने परिवार तथा समाज को संक्रमण से बचायें।
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