Tuesday, July 28, 2020

पन्ना के श्री अवध बिहारी जू मंदिर प्रकरण में महत्वपूर्ण फैसला

  •  दानपत्र के आधार पर मालिक घोषित करने की अपील को न्यायालय ने किया निरस्त 
  •  मंदिर में प्रतिष्ठित मूर्तियां बहुमूल्य धरोहर, प्रहरकालों में बदलती हैं अपना स्वरूप



पन्ना शहर के सुप्रसिद्ध श्री अवध बिहारी जू मंदिर की नयनाभिराम झांकी। 

अरुण सिंह,पन्ना। शहर के सुप्रसिद्ध प्राचीन श्री अवध बिहारी जू मंदिर कटरा बाजार के संबंध में अपर जिला न्यायाधीश ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। धार्मिक जन आस्था से जुड़े इस मामले में न्यायलय का फैसला आने से बहुमूल्य धरोहर अब सुरक्षित हो गई है। मालुम हो कि केशरी प्रसाद गोस्वामी बगैरह द्वारा भगवान की सम्पत्ति को स्वयं की सम्पत्ति बताकर कब्जा प्राप्त के लिए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश पन्ना श्री अनुराग द्विवेदी के न्यायालय में अपील की गयी थी। मंदिर शासन संधारित होने के कारण इसका प्रबंधन कलेक्टर के पास था।
अपील निरस्त होने के उपरांत केशरी प्रसाद गोस्वामी द्वारा शासन के विरूद्ध जिला न्यायालय में अपील प्रस्तुत की गयी। जिसमें 20 मार्च 2014 व्यवहार न्यायालय द्वारा निरस्त अपील संबंधी निर्णय को इस आशय पर चुनौती दी गयी कि उनका लम्बे समय से इस सम्पत्ति पर कब्जा है एवं कथाकथित दानपत्र के आधार पर स्वयं को मालिक घोषित करने की अपील का निवेदन किया गया। यह प्रकरण माननीय न्यायालय में लंबित रहा। प्रकरण में अपर जिला न्यायाधीश श्री अनुराग द्विवेदी द्वारा प्रतिदिन सुनवाई करते हुए उपरोक्त तथ्यों को सिरे से नकारते हुए अपील को निरस्त कर दिया। ज्ञातव्य हो कि उपरोक्त मंदिर शहर के मध्य स्थित है। जिसकी कीमत आज लगभग करोडो रूपये में होगी। इस प्रकरण में न्यायालय के समक्ष शासकीय अधिवक्ता  किशोर श्रीवास्तव द्वारा प्रखरता पूर्वक पैरवी की गई  तथा न्यायालय को छोटे से लेकर बडे बिन्दुओं तक अवगत कराया गया। इस पर अपर सत्र न्यायाधीश द्वारा अपने निर्णय में इस बात का उल्लेख किया गया कि उक्त भूमि किसी भी प्रकार से केशरी प्रसाद गोस्वामी बगैरह की नही है और उन्हें किसी प्रकार का स्वत्व किसी भी दस्तावेज से प्राप्त नहीं होता। न्यायालय के इस महत्वपूर्ण निर्णय से शासन की बहुमूल्य धरोहर सुरक्षित हुई है। प्रकरण में वर्तमान कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के संज्ञान में शासकीय अधिवक्ता द्वारा जब समीक्षा के दौरान जानकारी लाई गई तो उनके द्वारा लगातार इस प्रकरण में शासकीय अभिभाषक एवं शासन के पक्ष के प्रभारी अधिकारी को लगातार शासन हित में अपना पक्ष उचित रीति से एवं प्रभावी ढंग से रखने हेतु प्रेरित किया गया, जिसके परिणाम स्वरूप शासन की बहुमूल्य सम्पत्ति बची रही। उक्त मन्दिर में किवदंतियां हैं कि मन्दिर करीब 100 साल से भी अधिक पुराना होगा और उसकी मूर्तियां प्रहरकालों में अपना स्वरूप बदलती रहती हैं। इस प्राचीन मंदिर में प्रतिष्ठित मूर्तियां पन्ना जिले की बहुमूल्य धरोहर भी हैं। शासन की ओर से  व्यवहार न्यायालय एवं अपील न्यायालय अपर जिला न्यायालय में लगातार प्रकरण को सूक्ष्मता से अध्ययन करते हुए पैरवी किशोर श्रीवास्तव शासकीय अधिवक्ता के द्वारा की गई।
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