Tuesday, July 7, 2020

रहस्मयी पेड़ जिसके तने पर कट लगते ही निकलती है पानी की धार

  •  प्रकृति की गोद में छिपे हुये हैं अनगिनत रहस्य 
  •  औषधीय गुणों से भरपूर होता है इस बृक्ष का पानी 


बृक्ष के तने में कट लगते ही निकली जलधार से प्यास बुझाता युवक। 

अरुण सिंह,पन्ना। प्रकृति की गोद में न जाने कितने रहस्य आज भी छिपे हुये हैं, जिनसे हम अनजान हैं। सोसल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो को भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी दिग्विजय सिंह खाती ने कुछ दिन पूर्व अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया था जिसे लोग जमकर लाइक और शेयर कर रहे हैं। उन्होंने कैप्शन में लिखा, ‘यह पेड़ मुश्किल हालात में आपकी प्यास बुझा सकता है। आप देख सकते हैं कि एक शख्स पेड़ के तने पर कट लगाता है, जहां से पानी की तेज धार निकलती है. इसके बाद लोग बारी-बारी से उस पानी को पीते हैं। ये पानी पीने लायक तो ही औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है। जानकारी के लिए बता दें कि यह वृक्ष दक्षिण भारत के जंगल में पाये जाते हैं। तमिलनाडु के जंगलों में ये ज्यादा पाये जाते हैं। बताया जाता है कि फॉरेस्टर और बायोलॉजिस्ट भी अब तक इसके पीछे की वजह तलाश नहीं सकें हैं। वन क्षेत्र के आसपास रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोगों को इस रहस्य मय बृक्ष की खूबियों का इल्म है। गर्मियों में जल संकट के समय आदिवासी इस बृक्ष के तने में प्राकृतिक रूप से संग्रहित जल से अपनी प्यास बुझाते हैं।

पानी के लिये तने पर कट लगाता आदिवासी। 

उल्लेखनीय है कि टर्मिनेलिया फैमिली के इस बृक्ष के लिये स्थानीय लोग साज,सदौरा,बारसाज, मर्द व मट्टी आदि नामों का भी उपयोग करते हैं। मगर की पीठ जैसी दिखने वाली इस अनूठे और रहस्यमयी बृक्ष की मोटी छाल के कारण इसे क्रोकोडायल बार्क ट्री के नाम से भी जाना जाता है। इस बृक्ष की पत्तियों को मवेशी बड़े चाव से खाते हैं तथा इसमें गोंद भी निकलता है। आदिवासी समुदाय के लोग इस बृक्ष को औषधीय गुणों से युक्त मानते हैं तथा इसकी पत्ती, छाल व पानी का उपयोग ओषधि के रूप में भी करते हैं। जानकारों के मुताबिक औषधीय गुणों वाले साज बृक्ष के तने से निकलने वाले पानी से पेट सम्बन्धी कई तरह की बीमारियां ठीक हो जाती हैं। बृक्ष के तने पर थोड़ा सा कट लगते ही पेड़ से पानी निकलने लगता है, वो भी बिल्कुल नल की तरह, जिसे आप आसानी से पी सकते हैं।

धरती पर मनुष्य से ज्यादा पेड़ - पौधों का हक़  

इस धरती पर पेड़, पौधों और बनस्पतियों का वजूद लाखों वर्षों से है। मनुष्य धरती पर बहुत बाद में आया, फिर भी वह धरती पर सिर्फ अपना हक़ जता रहा है और उसी के अनुरूप व्यवहार भी करता है। जब कि सच्चाई यह है कि पेड़ - पौधे न हों तो धरती पर इंसान का अस्तित्व मिटते देर नहीं लगेगी। पेड़ हमें ऑक्सीजन देने के अलावा फल और तपती धूप में छांव देता है।  पेड़ के बिना जिंदगी की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। प्यास बुझाने के लिये हम जल का सीधे प्रयोग कर लेते हैं, जब कि जल से भोजन व ऑक्सीजन प्राप्त करने हेतु हमें पेड़ - पौधों की मदद लेनी होती है। इस तथ्य से सभी परिचित हैं कि पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा भोजन बनाते हैं। उसी भोजन से चींटी से लेकर हाथी तक का पेट भरता है। पौधों में उपस्थित हरा पदार्थ यानि क्लोरोफिल या पर्णहरित सूर्य से ऊर्जा प्राप्त कर जल के अणु को तोड़ता है। जल के अणु के टूटने से बनी हाइड्रोजन से कार्बन डाइ ऑक्साइड का अपचयन होने से कार्बोहाइड्रेट बनते हैं। इस कार्बोहाइड्रेट के रुपांतरण से ही पौधों में विविध प्रकार के पदार्थ बनते हैं, जिनमें से कई को हम भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं। पौधों में जल के अणु के टूटने से ऑक्सीजन भी बनती है। पौधे ऑक्सीजन को वायुमंडल में छोड़ देते हैं। वहीं ऑक्‍सीजन हमें जीवित रखती है। स्पष्ट है कि जल ही वह पदार्थ है जो हमारी भूख, प्यास मिटाने के साथ ही हमारे श्वांस को चलने देता है। पौधे बोलते नहीं, मगर पानी के महत्त्व को बहुत अच्छी तरह उजागर करते हैं। वे जल प्राप्त करने के लिये सभी प्रयास करते हैं, मगर पानी का दुरुपयोग नहीं करते। प्राप्त पानी को संभल-संभल कर खर्च करते हैं। पौधे पानी के महत्त्व को बहुत अच्छी तरह उजागर करते हैं। पानी को बरतने को लेकर पौधों में इतनी प्रवीणता उत्पन्न हो गई है कि हम पौधों से बहुत कुछ सीख सकते हैं।
वह वीडियो जो इन दिनों खूब शेयर किया जा रहा है -



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