Thursday, August 27, 2020

पन्ना के बडौर निवासी श्यामलिया गौंड की सिलीकोसिस से मौत

  • इस लाइलाज बीमारी से अब तक हो चुकी है 25 मजदूरों की मौत 

 बीमारी से काल कवलित ग्राम बडौर निवासी श्यामलिया गौंड।  

अरुण सिंह,पन्ना। फेफड़ों की लाइलाज बीमारी सिलीकोसिस से मध्यप्रदेश के जिले में फिर एक पत्थर खदान मजदूर की मौत हुई है। जिला मुख्यालय पन्ना के नजदीकी ग्राम बडौर निवासी श्यामलिया गौंड लम्बे समय से सिलीकोसिस बीमारी से पीडित था, जिसने  गुरुवार 27 अगस्त को अपरान्ह अन्तिम साँस ली। पत्थर खदान मजदूरों की समस्याओं को लेकर संघर्ष करने वाले समाजसेवी यूसुफ बेग ने बताया कि वर्ष 2010-11 में हॉलेण्ड से आये डॉ व्ही मुरली नें श्यामलिया गौंड की जॉच कर सिलीकोसिस होने की रिपोर्ट दी थी। इसके बाद बुन्देलखण्ड मैडिकल कालेज की टीम ने सघन जॉचकर सिलीकोसिस बीमारी से ग्रसित होने की पुष्टि की थी। तभी से श्यामलिया गौंड जिन्दगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे थे जिनकी आज मौत हो गई ।

उल्लेखनीय है कि सिलिकोसिस फेफड़ों की एक लाइलाज बीमारी है, जो धूल में मौजूद मुक्त सिलिका के कणों को अंतरूश्वसन करने के कारण होती है। यह बीमारी होने के बाद इसमें सुधार होने की संभावना नहीं रहती मगर इस रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यह रोग सिलिका मिश्रित धूल के संपर्क के कारण होता है। इसलिए व्यक्ति जितने लम्बे समय तक सिलिका मिश्रित धूल के संपर्क में रहता है, उतना ही अधिक इस रोग के चपेट में आता है। ऐसा तभी होता है जब उनका कार्य स्थल ऐसा हो, जहाँ पर उन्हें चट्टानों को तोड़ना हो, रेत एकत्रित करना हो, पत्थर, अयस्क आदि को तोड़ना या बारीक चुरा करना शामिल होता है। इन सभी कार्यों में सिलिका उत्सर्जित होती है। समाजसेवी यूसुफ बेग ने बताया कि वर्ष 2010-11 में पत्थर खदान मजदूर संघ नें इन्विरानिक्स ट्रस्ट दिल्ली के सहयोग से पन्ना जिले के पत्थर खदान मजदूरों की जाँच कराई थी जिसमें 162 मजदूरों के सिलीकोसिस बीमारी से पीड़ित होने की पुष्टि की गई थी। अधिकृत तौर पर बुन्देलखण्ड मेडिकल कालेज सागर और जिला चिकित्सालय पन्ना ने 39 मजदूरों को सिलीकोसिस पीडित माना है।  इन चिन्हित मजदूरों में से अब तक  25 सिलीकोसिस पीडित मजदूरों की मौत हो चुकी है । 11 मजदूरों को मृत्यु उपरान्त उनके परिवारो को मानव अधिकार आयोग के निर्देशन में 3-3 लाख रू की सहायता राशि भी मिली है । मध्स प्रदेश में एक सिलीकोसिस पुनर्वास नीति बनाई गई थी लेकिन अभी तक उसे लागू नहीं किया गया । जिले में कोई भी डाक्टर सिलीकोसिस जॉच स्पेस्लिस्ट नहीं है और न ही जॉच और उपचार की व्यवस्था है। यूसुफ बेग बताते हैं कि पन्ना जिले में  हीरा, पत्थर एवं क्रेशर गिट्टी के खनन क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूरों में सिलीकोसिस बीमारी है । पन्ना जिले के ग्राम बडौर, पन्ना, मडैयन, दरेरा, मनौर, माझा, गॉधीग्राम, सुनारा, जनकपुर, तिलगवॉ, खजरी कुडार, कल्याणपुर, पुरूषोत्तमपुर, मानशनगर, जरधोबा, मनकी, जरूआपुर, पटी, जमुनहाई में सिलीकोसिस का प्रकोप है।

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