Sunday, September 13, 2020

पन्ना और मड़ला के बीच घाटी में बने ऐसा अंडरपास हाइवे

  •  विकास व सुरक्षित आवागमन के साथ वन्यजीवों को भी होगी सुविधा 
  • म.प्र. के ही पेंच बाघ अभ्यारणय में बना है देश का पहला अंडरपास हाइवे 



अरुण सिंह, पन्ना। जिला मुख्यालय पन्ना और मड़ला के बीच पन्ना टाइगर रिज़र्व के घने जंगल से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग को आवागमन की द्रष्टि से बेहतर बनाने के साथ वन्यजीवों की जिंदगी को भी सहज व सुबिधा जनक की जा सकती है। म.प्र. के ही पेंच बाघ अभ्यारणय ने विकास और संरक्षण के बीच समन्वय का अनूठा रास्ता खोजा है। यहाँ वन्यजीव और विकास इन दोनों के बीच हमेशा से ही बहस होती रही है। पेंच टायगर रिजर्व इन सभी चर्चाओं को विराम देने में कामयाब हुआ है। देश में पेंच बाघ अभ्यारणय में बने 16 किलोमीटर लंबे राजमार्ग से इसका जवाब मिल गया है। पेंच टायगर रिजर्व की ही तर्ज पर यदि पन्ना और मड़ला के बीच घाटी में ऐसा अंडरपास हाइवे बन जाये तो तमाम समस्याओं का निराकरण हो सकता है। 

उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश के सिवनी-नागपुर राजमार्ग पर बना नया एलिवेटेड सडक़ संरक्षणवादियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। पेंच बाघ अभ्यारण्य के बीच से गुजरते हुए एलिवेटेड ओवरब्रिज से न केवल इन क्षेत्र के लोगों को लाभ हुआ है बल्कि राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 44 के चारों तरफ वन्यजीवों को संरक्षित करने में भी मदद मिल रही है। मध्यभारत को देश में दीर्घकालिक बाघ संरक्षण के अच्छी क्षमतावाले क्षेत्रों में से एक के रुप में देखा जाता है। पेंच बाघ अभ्यारण्य में जंगली जानवरों के लिए देश का पहला समर्पित गलियारा बनाया गया है। जिससे कि मिटिगेशन उपायों के तहत मध्य भारत में जंगली जानवरों की मृत्यु दर को कम करने और बाघों की आबादी को बढ़ाने में लंबे समय तक मदद मिलेगी। पेंच बाघ अभ्यारण्य से सटे जंगलों के बीच से गुजरते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 44 पर 16.1 किमी लंबे एलिवेटेड सडक़ और पेंच नवेगांव, नागजीरा बाघ गलियारे पर वन्य जीवों को पार करने के लिए 9 क्रॉसिंग संरचनाओं का निर्माण किया गया है।

अंडरपास से बेखौफ होकर गुजरता वनराज। 

ये देश में जानवरों के लिए बना पहला समर्पित अंडरपास है जो दुनिया में सबसे बड़ा अंडरपास भी है। इन गलियारों को जानवरों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरों से लैस किया गया है। डॉ. बिलाल हबीब वैज्ञानिक, भारतीय वन्यजीव संस्थान ने कहा कि ये अंडरपास विकास और वन्यजीवों के संरक्षण का सर्वोत्तम उदाहरण पेश करता है। जानवरों के लिए 5 अंडरपास और 4 माइनिंग पुलों समेत 9 क्रॉसिंग संरचनाएं बनाई गई हैं। रिसस मकाक और ग्रे लंगूर को छोडक़र 18 जंगली जानवरों की प्रजातियां इन अंडर पासों का उपयोग करते हुए पाई गईं। छोटे स्तनधारियों की सात प्रजातियों ने भी इस अंडरपास का उपयोग किया जिसमें भारतीय खरहे और जंगली बिल्ली के अलावा नेवले, पाम सिवेट, दुर्लभ रस्टी स्पॉटेड कैट, भारतीय साही भी शामिल हैं। इसके अलावा अंगुलेट प्रजाति के 5 जंगली जानवरों में चित्तीदार हिरण, गौर, नीलगाय, सांभर और जंगली सुअर भी इन अंडरपासों के नीचे से विचरण करते हुए नजर आए। इसके अलावा मांसाहारी वन्यजीवों में बाघ, तंदुए, जंगली कुत्ते, स्लॉथ बियर और सियार भी इन अंडरपास का कम या ज्यादा उपयोग करते हुए नजर आए। जंगली कुत्ते इन संरचनाओं को सबसे अधिक बार उपयोग करते हुए पाए गए। इसके बाद बाघ इन संरचना का उपयोग करते हुए देखे गए। नौ संरचनाओं में से 6 संरचनाओं का उपयोग करते हुए कुल 89 बार 11 बाघ इन अंडरपास और छोटे पुल के नीचे से गुजरे। ये संरचनाएं राजमार्ग के 16.1 किमी खंड के नीचे स्थित हैं। जो बाघों के रिजर्व और आसपास के जंगलों को जोड़ती हैं। ये अंडरपास भारत जैसे देश के लिए सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में मील के पत्थर साबित हो सकते हैं।

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