Monday, September 14, 2020

वनराज का सिर कटने के मामले की अभी नहीं सुलझी गुत्थी

  •   पांच सदस्यीय जांच टीम ने पन्ना में क्या पाया यह अभी रहस्य
  •  प्रधान मुख्य वन संरक्षक को सौंपी जाएगी रिपोर्ट तभी होगा खुलासा 


अरुण सिंह,पन्ना।
बाघों के उजड़ चुके संसार को फिर से आबाद कर नया इतिहास रचने वाले मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में वयस्क नर बाघ पी-123 का सिर काटे जाने की घटना ने वन्यजीव प्रेमियों को हिलाकर रख दिया है। इस घटना से राष्ट्रीय स्तर पर पन्ना टाइगर रिजर्व की छवि जहां धूमिल हुई है, वहीं मौजूदा प्रबंधन की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है। मामले की जांच के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी द्वारा गठित पांच सदस्यीय जांच टीम गत 4 सितंबर को पन्ना पहुंची थी, जो छानबीन करने के बाद वापस लौट गई है। यह टीम पन्ना टाइगर रिजर्व का दौरा कर तथा वन कर्मियों व अधिकारियों के बयान लेकर किस निष्कर्ष में पहुंची है यह अभी रहस्य है। जांच टीम के वापस लौटने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि अभी वनराज के सिर काटने के मामले की गुत्थी सुलझी नहीं है।

मामले के संबंध में सोमवार को सायं प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी आलोक कुमार जी से संपर्क किए जाने पर आपने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जिन बातों का उल्लेख किया गया है उससे कंफ्यूजन था। यही वजह है कि हकीकत पता करने के लिए जांच दल गठित कर पन्ना भेजा गया था ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके। आपने बताया कि इस जांच टीम ने हालातों का जायजा लेकर यह जानने का भी प्रयास किया है कि चूक और लापरवाही कहां हुई। पीसीसीएफ श्री कुमार ने बताया कि मंगलवार को जांच रिपोर्ट मेरे पास आएगी, इसका अध्ययन करने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी। आपने स्वीकार किया कि पन्ना की घटना से वह भी खासा चिंतित हैं।

 मालुम हो कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी आलोक कुमार जी से हुई चर्चा के बाद यह स्पष्ट हुआ कि जांच टीम ने पन्ना में रहकर ऐसा कुछ नहीं किया जिससे राहत महसूस की जा सके। क्योंकि वनराज का सिर काटने वाले आरोपी कौन हैं इस रहस्य पर अभी भी पर्दा पड़ा हुआ है। क्या जांच टीम इस बात की पुष्टि करने के लिए आई थी कि बाघ का सिर मगर ने खाया या काटा गया ? यह तथ्य तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्पष्ट हो गया था, जांच टीम का काम अपराधियों तक पहुंचने का था। यदि इस दिशा में उसे सफलता मिली है तब तो ठीक अन्यथा फिर जांच का कोई अर्थ नहीं निकलता। अपराधी पकड़े जाएं, उनके खिलाफ कार्यवाही हो तथा दोषी और लापरवाह अधिकारियों की जवाबदारी भी सुनिश्चित हो तभी यहां की बिगड़ी हुई व्यवस्था में सुधार की उम्मीद की जा सकती है।

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