Thursday, September 24, 2020

मेरा काम वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट है, मैन मैनेजमेंट नहीं : भदौरिया

  •  जनसमर्थन से बाघ संरक्षण की सोच को क्षेत्र संचालक ने किया खारिज 
  •  प्रेस वार्ता में बताया वर्ष 2017-18 की तुलना में दोगुनी हुई बाघों की संख्या

पन्ना टाइगर रिजर्व के अकोला बफर क्षेत्र में आयोजित प्रेसवार्ता का द्रश्य। 

अरुण सिंह,पन्ना।  मेरा काम वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट है, मैन मैनेजमेंट नहीं। पन्ना टाइगर रिजर्व के अकोला बफर क्षेत्र में बुधवार 23 सितंबर की शाम आयोजित प्रेसवार्ता में क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने यह बात कही। उन्होंने बताया कि कुशल प्रबंधन का ही यह परिणाम है कि वर्ष 2017-18 की तुलना में मौजूदा समय यहां दोगुने से भी ज्यादा बाघ हैं। इस तरह से क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने जनसमर्थन से बाघ संरक्षण वाली सोच को सिरे से खारिज कर दिया है।

 उल्लेखनीय है कि जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 10 किलोमीटर दूर अकोला बफर के प्रवेश द्वार पर आयोजित इस प्रेस वार्ता को लेकर मीडिया से जुड़े लोगों में भारी उत्सुकता थी। क्योंकि बीते 9 माह के दौरान पन्ना टाइगर रिजर्व में जिस तरह से 5 बाघों सहित तेंदुओं की संदिग्ध मौतें हुई हैं, उसको लेकर तमाम तरह के सवाल उठ रहे थे। विगत 9 अगस्त को केन नदी में सिर कटा वयस्क नर बाघ का शव मिलने के बाद से पन्ना टाइगर रिजर्व सुर्खियों में बना हुआ है। जिसको लेकर जांच भी शुरू हो गई है। विशेष गौरतलब बात यह है कि इस घटनाक्रम के बाद चल रही जांच के बीच प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) आलोक कुमार अचानक 22 सितंबर की रात पन्ना पहुंचते हैं और 23 सितंबर को पन्ना टाइगर रिजर्व का दौरा करते हैं। पीसीसीएफ का पन्ना दौरा और उसी दिन शाम को प्रेसवार्ता आयोजित होने पर मीडिया कर्मियों को यह उम्मीद थी कि आलोक कुमार जी प्रेस वार्ता में शिरकत करेंगे। जिससे उठ रहे सवालों तथा आशंकाओं और कुशंकाओं का पटाक्षेप हो जायेगा। निर्धारित समय पर 3 बजे पत्रकार प्रेस वार्ता स्थल अकोला बफर प्रवेश द्वार पर उत्सुकता और सवालों के साथ पहुंच गये। तकरीबन एक डेड घंटे तक इंतजार करने के बाद क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया अकेले पहुंचे। पीसीसीएफ पन्ना टाइगर रिजर्व का दौरा कर वहीं से भोपाल रवाना हो गये। इस तरह पत्रकारों को निराश होना पड़ा और क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया की प्रेस वार्ता हुई। इस प्रेस वार्ता में पत्रकारों द्वारा जो सवाल उठाए गये उनका माकूल जवाब भी उन्हें नहीं मिला। श्री भदौरिया ने अपने कार्यकाल की उपलब्धियों को जरूर सिलसिलेवार गिनाया लेकिन ज्वलंत सवालों को या तो अनसुना कर दिया या फिर उनका कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दिया।

आपसी संघर्ष में बाघों की हुई है स्वाभाविक मौत

 क्षेत्र संचालक श्री भदौरिया ने साफ शब्दों में कहा कि पन्ना टाइगर रिजर्व वापस 2009 की तरफ नहीं बल्कि आगे बढ़ रहा है। आपने बताया कि यहां बाघों की संख्या में सतत वृद्धि दर्ज की जा रही है। वर्ष 2017-18 की तुलना में मौजूदा समय यहां दोगुने से भी अधिक बाघ हैं। इसका ब्यौरा देते हुए आपने बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व में 5 संस्थापक बाघों के अलावा 58 बाघों का पन्ना में जन्म हुआ है। जिनमें 27 वयस्क बाघ (नर 14, मादा 13) तथा 27 अर्ध वयस्क (नर 9,मादा 16 एवं दो अज्ञात) तथा 9 शावक हैं। इस तरह से पन्ना टाइगर रिजर्व में मौजूदा समय 63 बाघ मौजूद हैं। बाघों की मौत के सवाल पर आपने बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में क्षमता से अधिक बाघ हैं। प्रति 100 वर्ग किलोमीटर में यहां 6 बाघों की मौजूदगी संभव है। इस लिहाज से 30 से 35 अधिकतम बाघों के लिए जगह है। अधिक बाघ होने से आपसी संघर्ष के चलते मौतें हुई हैं जो स्वाभाविक है। मानव व वन्य प्राणियों के बीच द्वन्द की स्थिति पर श्री भदौरिया ने कहा कि समन्वय बनाकर रहेंगे तो बचेंगे नहीं तो किसी एक को खत्म होना होगा।

कुशल प्रबंधन से बढ़ा हांथियों का कुनबा

पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में वृद्धि के साथ-साथ हाथियों का कुनबा भी बढ़ा है। श्री भदौरिया ने बताया कि वर्ष 2017-18 तक कुल 13 हांथी थे लेकिन कुशल प्रबंधन के कारण हथिनी मोहनकली एवं रूपकली ने एक-एक बच्चे को जन्म दिया है। जिससे हाथियों की संख्या बढ़कर 15 हो गई है। आपने बताया कि केन घड़ियाल अभयारण्य में पूर्व में मात्र एक घड़ियाल था। गत वर्ष चंबल अभ्यारण मुरैना से 25 घड़ियाल के बच्चों को केन नदी में छोड़ा गया है। जब उनसे मौजूदा समय घड़ियालों की स्थिति तथा उनकी संख्या तथा रहवास के संबंध में सवाल किया गया तो वे सवाल को टाल गये। इसकी जगह उन्होंने बताया कि मानव वन्य प्राणी द्वंद को टालने के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा ग्रामों में स्ट्रीट लाइट लगाने का नवाचार किया गया है। बफर क्षेत्र के ग्राम खमरी, मरहा एवं मझौली में स्ट्रीट लाइट लगाई गई है। आपने यह भी बताया कि वन एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा हेतु दूरस्थ अंदरूनी क्षेत्रों में 83 नवीन पेट्रोलिंग कैंप स्थापित किए गये हैं।


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