- अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने जांच कर प्रतिवेदन शीघ्र प्रस्तुत करने दिए निर्देश
- केन नदी में तैरते मिले सिर विहीन बाघ के शव का अब होगा सच उजागर
अरुण सिंह,पन्ना। सच्चाई को कितना भी छिपाने और ढाकने का प्रयास किया जाये, एक न एक दिन वह पूरे तथ्यों के साथ प्रगट हो ही जाती है। ऐसा ही कुछ मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में गत माह वयस्क नर बाघ पी-123 की हुई मौत व अंगों के गायब होने के मामले में हो रहा है। राष्ट्रीय पशु बाघ की मौत तथा उसका सिर काटे जाने तथा कुछ अंगों के गायब होने के संबंध में ब्लॉग 'pannastories' पर मामले को प्रमुखता से उठाया गया था। ब्लॉग में 3 सितंबर 2020 को 'बाघ का सिर मगर ने खाया या काटा गया, बड़ा सवाल' तथा 'बाघ पी-123 का कैसे हुआ सिर गायब, हो जाँच' खबरें लिखी गई थीं। इन खबरों के आते ही पन्ना से लेकर भोपाल तक हलचल मच गई। मामले को प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी मध्यप्रदेश ने गंभीरता से लिया और 3 सितंबर को ही उच्च स्तरीय जांच दल का गठन कर दिया गया। निश्चित ही यह स्वागत योग्य पहल है क्योंकि इससे मामले की असलियत उजागर हो सकेगी।
जांच कमेटी के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी जेएस चौहान ने विधिवत आदेश जारी कर जांच दल में शामिल लोगों को निर्देश दिए हैं कि प्रकरण की विस्तृत जांच कर प्रतिवेदन प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी कार्यालय में शीघ्र प्रस्तुत करें। जारी आदेश में लेख किया गया है कि पन्ना टाइगर रिजर्व में 9 अगस्त 20 को परिक्षेत्र हिनौता के अंतर्गत एक बाघ का शव तैरता हुआ पाया गया था। उक्त बाघ के शव से कुछ अंग नहीं पाये गये। मामले की जांच हेतु स्टेट टाइगर स्ट्रॉइक फ़ोर्स को निर्देशित किया गया है। जांच दल में सुश्री मंजुला श्रीवास्तव अधिवक्ता वन्य प्राणी कानून विशेषज्ञ कटनी तथा डॉ प्रशांत देशमुख वन्य प्राणी चिकित्सक वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन ट्रस्ट भोपाल को भी शामिल किया गया है। इस आदेश की प्रति सभी संबंधों सहित क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व को भेजी गई है।
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जो स्वतंत्र प्रतिनिधि अथवा किसी एनजीओ के प्रतिनिधिमंडल मौके पर होते है पार्क उनको अपने काले कारनामों को छुपाने रबर स्टैंप की तरह इस्तेमाल करता है...इस मुद्दे को भी जांच में शामिल किया जाना चाहिए...
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