Saturday, September 5, 2020

बुन्देली लोकविद्या के उस्ताद देशराज पटेरिया का निधन

  •   लोकगायकी की गंवई परंपरा को इन्होने दी है नई ऊंचाई 
  •  बुंदेलखण्ड क्षेत्र के इस लोक शिक्षक की कमी हमेशा खलेगी   



अरुण सिंह,पन्ना। बुन्देली लोकविद्या के सरताज, लोकगायकी की गंवई परंपरा के उस्ताद व शिक्षक मशहूर बुंदेलखंडी लोक गायक देशराज पटेरिया का बीती रात हृदय गति रुकने से निधन हो गया है। लोकगायकी की गंवई परंपरा को नई ऊंचाई देने वाले देशराज पटेरिया के निधन से जो रिक्तता पैदा हुई है उसकी भरपाई संभव नहीं  है। शिक्षक दिवस को आज सुबह जैसे ही लोकविद्या के इस शिक्षक के निधन की खबर फैली, समूचे बुंदेलखण्ड क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। बुंदेलखण्ड क्षेत्र में इस अनूठे लोकगायक को पसंद करने वालों की खासी तादाद है, उनके लिये यह खबर किसी सदमे से कम नहीं है। सोसल मीडिया में सुबह से ही शोक संवेदना व्यक्त करने वालों का तांता लगा हुआ है। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार बुधवार को देशराज पटेरिया को दिल का दौरा पड़ा था, उसके बाद इलाज के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान शनिवार की सुबह 3.15 बजे उन्हें फिर दिल का दौरा पड़ा और उनकी हृदय गति रुक गई, जिससे उनका निधन हो गया। बताया गया है कि वे 4 दिन से छतरपुर के मिशन अस्पताल में वेंटिलेटर पर थे। श्री पटेरिया अपने गायन में श्रृंगार, भक्ति और वीर रस का अद्भुत मिश्रण कर निराले अंदाज में प्रस्तुत करते थे, जिसे सुनकर लोग दीवाने हो जाते थे। लोकगायक देशराज पटेरिया की आवाज बुंदेलखण्ड की जनता के बीच अपनापन का बोध कराती थी। मुकेश कुमार को आदर्श मानने वाले देशराज पटेरिया का ऐसे चला जाना बुंदेलखण्ड ही नहीं अपितु समूचे मध्य प्रदेश के लिए एक अपूर्णीय क्षति है। श्री पटेरिया का जन्म छतरपुर जिले के नौगांव कस्बे के पास तिटानी गांव में हुआ था। 18 साल की उम्र से ही वो कीर्तन मंडलियों में भाग लेकर गांव-गांव गायन करने जाते थे। गायन कला के साथ-साथ उन्होंने प्रथम श्रेणी में हायर सेकंडरी की परीक्षा पास की. गायन कला में उनकी रूचि जागती गई और वे कीर्तनकार से लोक गीतकार हो गये। सबसे पहले उन्होंने 1976 में लोकगीत गाया था। लाखों दिलों पर राज करने वाले देशराज पटेरिया का सबसे पसंदीदा लोकगीत है- वो किसान की लली, खेत खलियान को चली... मगरे पर बोल रहा था कऊआ लगत तेरे मायके से आ गए लिबऊआ.. ऐसे सैकड़ों गीत हैं जो आज भी लोगों को मुंह जुबानी याद हैं। अनूठी प्रतिभा के धनी इस लोकगायक को प्रदेश की जनता हमेशा याद रखेगी। 

खनिज मंत्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह ने जताया शोक 

प्रदेश के खनिज मंत्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह ने लोक गायक देशराज पटेरिया के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा है कि  बुंदेलखंड को लोकगीतों के माध्यम से पहचान दिलाने वाले लोकगीत सम्राट श्री देशराज पटेरिया जी के निधन की खबर सुनकर दुखी हूं।भगवान श्री जुगल किशोर जी से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को शांति दे एवं परिवार को दुख सहन करने की शक्ति दे।

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