अरुण सिंह,पन्ना। बाघ पुनर्स्थापना योजना की चमत्कारिक सफलता के चलते देश और दुनिया में ख्याति अर्जित कर चुका म.प्र. का पन्ना टाईगर रिजर्व अपने अभिनव प्रयोगों और अनूठी गतिविधियों के लिये भी जाना जाता है। जनसमर्थन से बाघ संरक्षण की सोच को मूर्त रूप देने की मंशा से विगत 10 वर्ष पूर्व यहाँ पन्ना नेचर कैम्प आयोजित किये जाने का सिलसिला शुरू हुआ था, जो अब तक अनवरत रूप से सफलता पूर्वक जारी रहा। नेचर कैम्प में भाग लेकर हजारों स्कूली बच्चों तथा नागरिकों ने जंगल की निराली दुनिया से रूबरू होकर मानव जीवन में प्रकृति और पर्यावरण की महत्ता का पाठ पढ़ा। प्रकृति के बीच जाकर बच्चों ने यह जाना कि सह अस्तित्व में ही सबकी भलाई है, प्रकृति से लड़कर हम अपने वजूद को भी सुरक्षित नहीं रख पायेंगे। कोविड-19 कोरोना संक्रमण का यह दौर इस बात का संकेत है, जिसने सब कुछ उलट पलट कर दिया है।
इन बदले हुए हालातों और परिस्थितियों के बीच पन्ना नेचर कैम्प को ऑनलाइन वर्चुअल रूप में निरंतरता प्रदान करने का निर्णय निश्चित ही स्वागत योग्य है। मध्यप्रदेश स्थापना दिवस के अवसर पर वर्चुअल नेचर कैम्प का शुभारम्भ विश्व प्रकृति निधि भारत के रवि सिंह, श्रीमती संगीता सक्सेना, आर. श्रीनिवास मूर्ति, क्षेत्र संचालक उत्तम शर्मा सहित पन्ना टीम की सहभागिता में रविवार 1 नवम्बर को आज बड़े ही उत्साह जनक माहौल में किया गया। जन समर्थन से बाघ संरक्षण की सोच को गति प्रदान करने वाली गतिविधि पन्ना नेचर कैम्प के वर्चुअल रूप के शुभारम्भ अवसर पर क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिज़र्व उत्तम शर्मा ने अपने सन्देश में कहा है कि यह हर्ष की बात है कि पन्ना नेचर कैंप शुरू होकर 10 साल पूरे हुये। कोविड-19 ने पन्ना बाघ जन्मोत्सव को भी प्रभावित किया था। आयोजन कैसे करें यह बात उस समय समझ के परे थी परंतु अब कोरोना से लड़ कर अपने जीवन को संवारने का मानव के संकल्प दृढ़ हो चुके हैं। अत: पन्ना पार्क प्रबंधन ने पाक को समर्थन जताने वाले सहयोगियों से मिलकर अब ऑनलाइन वर्चुअल पन्ना नेचर कैंप के संचालन की पहल कर रहा है जो कि एक सुखद परिणाम है। विगत 10 वर्षों में पन्ना नेचर कैंप में पन्ना वासियों को पन्ना के बाघों व पार्क के करीब लाने के साथ-साथ पन्ना वासियों में इस प्राकृतिक धरोहर के प्रति स्वामित्व जगाने में अहम भूमिका निभाई है। विगत 10 वर्षों में कुल 234 कैंप आयोजित हुए जिसमें कुल 7146 प्रतिभागी सम्मिलित हुये। जबसे यह कैंप प्रारंभ हुए हैं तब से पांच क्षेत्र संचालक व पांच उप संचालक बदले फिर भी यह कार्यक्रम अपने दम पर निरंतरता के साथ संचालित हो रहे हैं। जो कि अपने आप में प्रमाण है कि यह कैंप कितने पापुलर हैं। इस प्रयास में प्रारंभ से ही हमारे पार्क प्रबंधन की सहयोगी विश्व प्राकृतिक संस्था व उनके मुखिया श्री रवि सिंह दिल्ली व श्रीमती संगीता सक्सेना को पार्क प्रबंधन की ओर से मैं धन्यवाद देता हूं साथ में वन्य प्राणी मुख्यालय भोपाल के सभी मुख्य प्राणी अभिरक्षकों व जैव विविधता बोर्ड को भी अपना आभार प्रकट करता हूं। इस कार्यक्रम को निरंतरता प्रदान करने वालों मुख्यत: अंबिका खरे एवं देवीदत्त चतुर्वेदी सहित सभी लोगों का आभारी हूं। इस कार्यक्रम को 10 साल सफलता के साथ अपनाने वाले पन्ना के छात्र छात्राओं को व पन्ना के आम व खास लोगों को मेरा प्रणाम ! इस अनूठे वर्चुअल कार्यक्रम में रवि सिंह व आर. श्रीनिवास मूर्ति सहित अन्य प्रतिभागियों ने भी अपने विचार प्रकट किये तथा वर्चुअल नेचर कैम्प के आयोजन हेतु बधाई व शुभकामना दी।
पुस्तक "पन्ना 10 वर्ष नेचर कैम्प्स" का हुआ विमोचन
पन्ना टाईगर रिजर्व व विश्व प्रकृति निधि भारत के संयुक्त तत्वाधान में पूरे 10 वर्षों तक सफलता पूर्वक संचालित हुये पन्ना नेचर कैम्प के वर्चुअल प्रारूप के शुभारम्भ अवसर पर पन्ना नेचर कैम्प पर केंद्रित पुस्तक "पन्ना 10 वर्ष नेचर कैम्प्स" का विमोचन भी हुआ। पन्ना नेचर कैम्प की शुरूआत व सफलतम 10 वर्ष पूरे होने की गाथा को समेटे यह लघु पुस्तिका काफी रोचक व आकर्षक है, जिसका विमोचन विश्व प्रकृति निधि भारत के प्रमुख रवि सिंह जी ने किया। इस मौके पर श्री मूर्ति ने कहा कि हवा, पानी व भोजन यह सब हमें जंगल से मिलता है, इसकी समझ नई पीढ़ी में आनी चाहिये ताकि वे जंगल को धरोहर की तरह संरक्षित करने के लिये प्रेरित हो सकें। मालुम हो कि हमारा बीते 10 वर्षों का सफर अत्यधिक सुखद और सुहाना रहा है। इस दौरान प्रकृति की पाठशाला में हजारों स्कूली बच्चों ने प्रकृति के विविध रूपों व उसके अनुपम सौंदर्य को न सिर्फ आत्मसात किया अपितु प्रकृति, पर्यावरण और वन्यजीवों को अहमियत को भी समझा। लेकिन अचानक कोविड-19 कोरोना वायरस ने अपने मूल रहवास से बेदखल होकर मानव को अपना नया ठिकाना बना लिया, जिससे पूरी दुनिया में मानव जीवन तथा उसकी जीवन चर्या प्रभावित हुई है। इसी का नतीजा है कि वर्ष 2019 तक जो नेचर कैम्प जंगल में बड़ी जीवंतता के साथ आयोजित होता रहा है वह वर्चुअल मोड पर आ गया। यह बदलाव प्रकृति की चेतावनी है, जिसे समझने की जरूरत है ताकि आगे अन्य कोई इस तरह की आपदा मानव जीवन के लिए मुसीबत न बने।
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Bahut khoob.
ReplyDeletethanks sir.
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