Friday, December 18, 2020

पन्ना के सबसे उम्रदराज बाघ टी-3 का निकाला गया रेडियो कॉलर

  •  अत्यधिक कसावट के कारण बाघ के गले में हो चुके थे कई घाव
  •  18 वर्षीय बाघ टी-3 को कहा जाता है फादर ऑफ द पन्ना टाइगर रिजर्व 
  •  पेंच टाइगर रिजर्व से आया था पन्ना को आबाद करने वाला यह बाघ 

बाघ टी-3 को बेहोश कर उसका रेडियो कॉलर निकालकर घाव का उपचार करते चिकित्सक व टीम। 

।। अरुण सिंह ।।

 पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व को आबाद करने वाले सबसे उम्रदराज बाघ टी-3 को बेहोश कर आज उसके गले से रेडियो कॉलर सफलतापूर्वक निकाला गया है। बाघ के गले में रेडियो कॉलर अत्यधिक टाइट हो गया था, जिससे गले में तीन-चार घाव भी हो गए थे। गले में हो चुके इन जख्मों के कारण यह बुजुर्ग बाघ पिछले कई दिनों से परेशान व पीड़ा में था। कैमरा ट्रैप के जरिये मिले छायाचित्र से पार्क प्रबंधन को जैसे ही इस बात की जानकारी हुई तो उसका रेडियो कॉलर निकालने का निर्णय लिया गया। 

क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि शुक्रवार 18 दिसंबर को परिक्षेत्र चंद्रनगर कोर के बीट भुसौर में बाघ टी-3 को बेहोश किया जाकर उसके गले से रेडियो कॉलर निकाल दिया गया है। श्री शर्मा ने बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व के इस संस्थापक बाघ को पूर्व में 14 नवंबर 2017 को रेडियो कॉलर पहनाया गया था। आप ने बताया कि रेडियो कॉलर टाइट हो जाने के कारण उसके गले में तीन-चार घाव हो गए थे, जिसका मौके पर ही सूक्ष्म शल्यक्रिया (सर्जरी) करके उपचार किया गया। क्षेत्र संचालक ने बताया कि बाघ टी-3 का रेडियो कॉलर उतारने व घावों का उपचार करने के उपरांत उसे स्वच्छंद विचरण हेतु जंगल में छोड़ दिया गया है। यह पूरी कार्यवाही क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व के नेतृत्व में वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ संजीव कुमार गुप्ता के तकनीकी मार्गदर्शन में संपन्न हुई। इस मौके पर उप संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व जरांडे ईश्वर राम हरि, भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के वैज्ञानिक डॉ के. रमेश, सहायक संचालक मंडला, परिक्षेत्र अधिकारी चंद्रनगर व हिनौता तथा वन कर्मी उपस्थित रहे। गौरतलब है कि बाघ टी-3 को पन्ना बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत 6 नवंबर 2009 को पेंच टाइगर रिजर्व सिवनी से लाया गया था। मौजूदा समय इस संस्थापक बाघ की उम्र लगभग 18 वर्ष है।

बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य था बेहोश करके रेडियो कॉलर निकालना 

बाघ टी-3 की अधिक उम्र होने के कारण उसे ट्रैंक्युलाइज करके रेडियो कॉलर निकालना और गले में हो चुके घावों की सर्जरी कर उपचार करना बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य था, जिसे निर्विघ्न सम्पन्न करने में सफलता मिली है। अब तक 68 बाघों को ट्रैंक्युलाइज कर चुके पन्ना टाइगर रिज़र्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि यह पहला मौका है जब उन्होंने 18 वर्ष की उम्र वाले किसी बाघ को ट्रैंक्युलाइज किया है। अधिक आयु हो जाने के कारण इस उम्रदराज़ बाघ के केनाइन (दांत) घिस चुके हैं। अधिक उम्र होने व दांत घिस जाने के बावजूद यह बाघ पूर्णरूपेण स्वस्थ्य है तथा इसका वजन लगभग 250 किग्रा है। जाहिर है कि पन्ना को आबाद करने वाले भारी भरकम डील डौल के मालिक इस संस्थापक बाघ का आकर्षण आज भी कायम है। पन्ना टाइगर रिज़र्व के भ्रमण में आने वाले पर्यटक इस बाघ की एक झलक पाने को लालायित रहते हैं। 

  आपसी जंग में एक वर्ष पूर्व घायल हो गया था टी-3

 

बाघ पुनर्स्थापना  योजना को चमत्कारिक सफलता दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाला पन्ना टाईगर रिजर्व का सबसे बुजुर्ग बाघ टी-3 आपसी जंग में विगत एक वर्ष पूर्व जुलाई 2019 में घायल हो गया था। मालुम हो कि अत्यधिक उम्रदराज हो जाने के कारण यह बाघ ज्यादातर कोर क्षेत्र के बाहर ही विचरण करता है। आपसी जंग के दौरान बाघ टी-3 बलैया सेहा के आस-पास वाले इलाके में अपना ठिकाना बनाये था, जहां पन्ना में ही जन्मे नर बाघ पी-213(31) से इसका आमना-सामना हो गया। इलाके को लेकर इन दोनों के बीच हुई लड़ाई में युवा बाघ पी-213(31) ने टी-3 को बुरी तरह जख्मी कर दिया था। घायल होने पर यह बाघ बलैया सेहा वाला इलाका छोड़कर रमपुरा के जंगल में पहुँच गया था। मालुम हो कि बीते 10 वर्षों में इस बाघ ने पन्ना में एक नया इतिहास रचते हुये बाघ विहीन पन्ना टाईगर रिजर्व को आबाद कर यहां पर बाघों की नई दुनिया बसाई है। पन्ना टाईगर रिजर्व में  मौजूदा समय जितने बाघ हैं उनमें अधिकांश  टी-3 की ही संतान हैं। यही वजह है कि इस बुजुर्ग बाघ को फादर ऑफ दि पन्ना टाईगर रिजर्व भी कहा जाता है। खुले जंगल में आमतौर पर बाघ की औसत उम्र अधिकतम 12 से 14 वर्ष होती है, लेकिन पन्ना का यह बाघ 18 वर्ष का हो चुका है और पूर्ण स्वस्थ्य भी है। खुले जंगल में चुनौतियों के बीच स्वच्छन्द रूप से विचरण करते हुये इतने उम्रदराज बाघ को देखना किसी अजूबा से कम नहीं है। इस बाघ के दांत घिस गये हैं तथा यह अब ज्यादातर कोर क्षेत्र से बाहर पेरीफेरी में रह रहा है। अधिक उम्र हो जाने की वजह से टी-3 वन्यजीवों का शिकार कर पाने में अब ज्यादा सक्षम नहीं है, यही वजह है कि वह कोर क्षेत्र से बाहर पेरीफेरी में रहकर मवेशियों का शिकार करके अपना जीवन यापन बूढ़े हो चुके राजा की तरह शांति के साथ कर रहा है। 

00000

No comments:

Post a Comment