- इस अंजाने धान में निकलते हैं चावल के दो दाने
- कौतूहल का विषय बनी हुई है धान की यह किस्म
दाहिया जी के खेत में मिली धान की वह किस्म जिससे चावल के दो दाने निकलते हैं। |
धान की पुरानी लुप्तप्राय हो चुकी किस्मों को बड़े ही जतन के साथ संजोने और सहेजने वाले कृषक बाबूलाल दाहिया जी जिन्हे उनके योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। उनके खेत में अनजाने ही धान की एक ऐसी अनूठी किस्म मिली है, जिसके अन्दर चावल के एक नहीं बल्कि दो दाने निकलते हैं। धान की यह किस्म इन दिनों किसानों सहित कृषि विशेषज्ञों के बीच कौतूहल का विषय बनी हुई है। इस अनूठे किस्म के धान की खोज कैसे हुई इसके बारे में दाहिया जी ने सोसल मीडिया में एक पोस्ट डाली है, जिसे जस की तस दिया जा रहा है। ताकि अनजाने में ही मिली धान की इस किस्म से आप भी परचित हो सकें।
चित्र में दिख रही यह ऐसी धान है जिस के दाने को छीलने पर एक दाने में ही दो चावल निकलते है। आज मध्यप्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड़ भोपाल की बैठक में जब हमने जबलपुर विश्व विद्यालय के विशेषज्ञ डा, संजय वैसम्पायन जी से उसके बारे में पूछा तो उनने अनभिज्ञता जताई और कहा कि ऐसी धान के बारे में हम पहली बार सुन रहे हैं।
किन्तु दो चावल वाली धान एक सच्चाई है। और यह अनजाने ही अस्तित्व में आजाने वाली धान है। हुआ यह था कि हमारा पोता अनुपम अपनी एक टीम के साथ हमारे खेत मे लगी दो सौ प्रकारों की धानो के गुण धर्मो का अध्ययन कर रहा था। तो उसने देखा कि 140 दिन में पकने वाली लेट किस्म की एक धान का दाना अन्य के मुकाबले काफी मोटा है। उसने जब उसे छील कर उसका चावल देखा तो पाया कि उसमें एक ही धान में दो चावल हैं। उसमें एक छोटा है और दूसरे का आकार कुछ बड़ा सा। पर यह आश्चर्य चकित करने वाली धान हमारे 200 धानो में कैसे आई? यह जानकारी में नही है। दर असल हुआ यह था कि जब 2017 में हम लोगों की 6 सदस्सीय टीम मध्यप्रदेश के 40 जिलो की बीज बचाओ कृषि बचाओ यात्रा की थी तो हमें अनेक अनाज सब्जियों के बीज के साथ - साथ धान की भी अनेक किस्मे मिली थीं। बालाघाट, छिदवाड़ा, मण्डला, सीधी, शहडोल, रीवा, सतना आदि जिलों में तो हमे धान के कई कई किस्मो के ऐसे बीज मिले थे जहां किसानों ने उन धानो के नाम भी बताए थे। किन्तु जो जिले धान बाहुल नही थे वहां के किसानों ने अगर एक दो धान की किस्म दी भी तो उनका नाम भी उनने धान ही बताया था। कोई अलग से नाम नहीं था। इसलिए हमने ऐसी किस्मो को अपनी सुविधा के लिए नाम के स्थान पर अंजान नाम रख दिया था। कहना न होगा कि इसी अंजान वाली धानो में एक धान यह दो चावल वाली भी है जो अब कौतूहल का केंद्र बनी हुई है।
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