- पार्क प्रबंधन ने अतीत और वर्तमान के परिप्रेक्ष्य में भविष्य का किया आकलन
- टाइगर रिजर्व में इस समय 42 वयस्क व अर्धवयस्क बाघ तथा 15 शावक मौजूद
पन्ना टाईगर रिज़र्व की बाघिन टी-1 नन्हे शावकों के साथ। (फ़ाइल फोटो) |
अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व ने बीते 10 वर्षों के दौरान देश और दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। बाघ पुनर्स्थापना योजना को यहां मिली चमत्कारिक सफलता तथा निरंतर बाघों के बढ़ते कुनबे को देख दुनिया भर के वन्य जीव प्रेमी उत्साहित और हतप्रभ हैं। एक ऐसा वन क्षेत्र जो बाघों की धरती के नाम से अतीत में जाना जाता रहा है, वह वर्ष 2009 में बाघ विहीन हो गया था। लेकिन बाघ पुनर्स्थापना योजना को मिली कामयाबी से यह उजड़ा वन क्षेत्र पुन: आबाद हो गया है। मौजूदा समय पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर व बफर क्षेत्र में 42 वयस्क व अर्ध वयस्क तथा 15 शावक विचरण कर रहे हैं। यहां पर बाघों की वंश वृद्धि, संरक्षण तथा उनके भविष्य के संबंध में पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा व उपसंचालक जरांडे ईश्वर राम हरि ने संयुक्त रूप से एक अध्ययन रिपोर्ट साझा की है। जिसमें पन्ना के बाघों का भविष्य आने वाले वर्षों में कैसा होगा, इस बाबत भी अनुमान लगाया गया है। इस रोचक व भविष्योन्मुख रिपोर्ट में अधिकारी द्वय ने लेख किया है कि पन्ना टाइगर रिजर्व एक अनूठा उदाहरण है, जिसने शून्य से पुन: अपने गौरवशाली अतीत को हासिल करने में सफलता पाई है।
रिपोर्ट में बाघ व बाघिनों का आदर्श अनुपात 1:3 माना गया है। लिंगानुपात सही न होने तथा नर बाघों की संख्या अधिक होने पर मादा के लिए उनके बीच संघर्ष की स्थिति निर्मित होती है। इस संघर्ष में शक्तिशाली नर बाघ दूसरे बाघों के शावकों को भी मार देता है। वर्ष 2009 में यहां बाघों की आबादी शून्य तक पहुंचने की एक मुख्य वजह प्रतिकूल लिंग अनुपात भी थी। लेकिन अब यहां बाघों के बीच लिंगानुपात बेहतर स्थिति 1:2 है, जो कुनबे के विस्तार में मददगार साबित हो रही है। रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि जनवरी 2020 में कैमरा ट्रैप के जरिए 42 वयस्क व अर्ध वयस्क बाघों की तस्वीर ली गई है, जिनमें 14 नर व 26 मादा हैं। इनमें दो बाघों का लिंग अज्ञात है। कैमरा ट्रैप से पहचाने गए 42 बाघों के अलावा तीन अर्द्ध वयस्क बाघिन व 16 से अधिक शावक हैं, जिनकी तस्वीर कैप्चर नहीं की जा सकी है।
ऊपर की तालिका में 29 बाघिनों को दर्शाया गया है जिनका रहवास टाइगर रिजर्व के भीतर है जो निश्चित ही एक स्वस्थ संख्या है। इन 29 बाघिनों में से 10 बाघिनों ने शावकों को जन्म दिया है, जबकि 3 से 4 वर्ष की आयु वर्ग वाली 6 बाघिन हैं जो शावकों को जन्म देंगी। बाघों के जीवन व पिछले आंकड़ों को देखकर यह स्पष्ट होता है कि बाघिन 3-4 साल की उम्र में प्रजनन करना शुरू कर देती है। इस तरह से प्रजनन समूह में 6 और बाघिन जुड़ जाएंगी और वर्ष 2021 के मध्य तक प्रजनन करने वाली बाघिनों की संख्या लगभग 15 हो जाएगी। पन्ना टाइगर रिजर्व में 13 बाघिन 2 से 3 तथा 1 से 2 आयु वर्ग की हैं जो आने वाले दो-तीन वर्षों में प्रजनन शुरू करेंगी। इस तरीके से यह उम्मीद की जा सकती है कि आगामी चार-पांच वर्षों के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व में प्रतिवर्ष कम से कम 12 प्रजनन क्षमता वाली बाघिन होंगी।
शावकों के जन्म व संख्या का अनुमान
(शेष अगली पोस्ट में)
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It's a good thing that Initital Tiger Reintroduction Documents are being referred to and some scientific thinking is on with respect to tiger population dynamics. But the tiger population growth shall not be exponential as it's projected. Some more refinements into projections are required. Better to organize a two day workshop to arrive at a better projections which may help to plan for better futuristic interventions. Congratulations to FD and DD for this paradigm change in management thinking and Kudos to Arunsingh ji for making science a common sense in general public.
ReplyDeleteअपनी प्रतिक्रिया देकर उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद सर।
ReplyDeleteपन्ना जिले की बाघ संरक्षण एवं वन्स वृद्धि के लिए 2009 से विकसित की गई विधा और बाघ संरक्षण के पूर्वानुमान निश्चित रूप से भारत ही नहीं वरन संपूर्ण विश्व में पन्ना जिले का नाम रोशन करने में सहायक होंगे उपरोक्त अनुपात को देखते हुए और बाघ और बाघिन के आपसी समन्वय को देखते हुए यह कहा जा सकता है की पन्ना जिले के समस्त बाघों का कॉलर कर दिया जाना चाहिए यदि अनुमानित रूप से 10 बाग कॉलर किए जाते हैं तो 30 से 40 बाघिन उनके संरक्षित क्षेत्र में विचरण करते हैं साथ ही इनकी ट्रैकिंग में लगी टीम जहां एक तरफ जंगली जानवरों के संरक्षण में सहायक होते हैं वहीं दूसरी ओर वन संपदा के संरक्षण में भी बहुत बड़ी सहायता करते हैं चल रहे इस बाघ संरक्षण के क्षेत्र में सीमा से लगे जिलों के कुछ स्वयंसेवी संगठनों और सहयोगी लोगों को लोगों की भागीदारी भी बढ़ाने का प्रयास किया जाना चाहिए पन्ना जिले में पर्यटन की दृष्टि से टाइगर रिजर्व के एक अन्य क्षेत्र अकोला गेट को भी विकसित और विस्तारित किया जाना चाहिए साथ ही एक अन्य दिशा से भी पर्यटन के एक विकसित कर परीक्षेत्र निश्चित किया जाना चाहिए ऐसा करने से पन्ना टाइगर रिजर्व के पर्यटन क्षेत्र के विस्तार के साथ-साथ लोगों की भागीदारी भी बढ़ेगी पर्यटकों का जिले में आना जाना भी निश्चित रूप से बढ़ेगा और इस प्रकार पर्यटकों के जिले में पर्यटन से अन्य क्षेत्रों का भी विकास और विस्तार होगा जैसा कि कुछ दिन पूर्व अरुण सिंह सर ने स्वयं कौआ सेहा का अवलोकन किया था और वहां के सौंदर्य का विवरण अपनी लेखनी से अंकित किया था निश्चित रूप से टाइगर रिजर्व के चारों ओर इस तरह की प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को लुभाने के लिए पर्याप्त है ऐसी शांति और ऐसा पर्यावरण देखने उसमें रहने उसका एहसास करने और ऐसे नजारे देखने के लिए महानगरों से भी लोग पढ़ना नियमित रूप से पधारेंगे
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