- मृत पक्षियों का सैंपल जांच के लिए भेजा जा रहा भोपाल
- पशु चिकित्सा विभाग की टीम ने स्थिति का लिया जायजा
जगन्नाथ स्वामी मंदिर की छत से मृत कबूतर एकत्र करती पशु चिकित्सा विभाग की टीम। |
अरुण सिंह,पन्ना। प्रदेश के डेढ़ दर्जन जिलों में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बीच अन्य जिलों से भी पक्षियों के मरने की खबरें आ रही हैं। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में भी आज बड़ी संख्या में कबूतरों के मरने की जानकारी मिली है। पन्ना शहर के मध्य में स्थित प्राचीन जगन्नाथ स्वामी मंदिर की छत में दो दर्जन से अधिक कबूतर मृत पाए गए हैं। इतनी बड़ी संख्या में कबूतरों के मरने की खबर से शहर में हड़कंप मचा हुआ है। पशु चिकित्सा विभाग की टीम ने आज सुबह 10:30 बजे मंदिर की छत से 26 मृत कबूतर एकत्र कर जांच हेतु सैंपल भोपाल भेजा है। जांच रिपोर्ट आने पर ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
उप संचालक पशु चिकित्सा विभाग डॉ वीके त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए बताया कि सोमवार की सुबह उन्हें सूचना मिली थी कि जगन्नाथ स्वामी मंदिर में कई कबूतर मृत पड़े हैं। सूचना मिलते ही डॉक्टर नरेंद्र सिंह बुंदेला के साथ एक टीम तुरंत भेजी गई, जहां 26 मृत कबूतर पाये गये हैं। डॉक्टर त्रिपाठी ने बताया कि कबूतर कई दिनों से मर रहे हैं, क्योंकि मृत पाये गये कबूतरों में कई सड़ चुके हैं। पशु चिकित्सक डॉक्टर नरेंद्र सिंह बुंदेला ने बताया कि मंदिर में कबूतरों के मरने की जानकारी नगर पालिका प्रशासन पन्ना को दे दी गई है तथा मंदिर को सैनिटाइज करने के लिए कहा गया है। कबूतरों की मौत कैसे हुई, यह पूछे जाने पर डॉ. बुंदेला ने कहा कि अभी इस संबंध में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। जांच रिपोर्ट आने पर ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी कि कबूतरों की मौत वर्ल्ड फ्लू के संक्रमण से हुई या इसके पीछे अन्य कोई वजह है। आपने बताया कि पन्ना शहर के अलावा जिले के अजयगढ़ व पवई में मुर्गी मरने तथा ककरहटी में एक कौवा के मरने की सूचना मिली है। इन सभी के भी सैंपल जांच के लिए भेजे गये हैं।
इसी मन्दिर से निकलती है सुप्रसिद्ध रथयात्रा
मंदिर के गुम्मद पर बैठे कबूतर। |
मंदिरों के शहर पन्ना स्थित प्राचीन जगन्नाथ स्वामी मन्दिर से ही हर साल सुप्रसिद्ध रथयात्रा निकलती है जिसमें समूचे बुन्देलखण्ड क्षेत्र से हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं। राजमंदिर पैलेस के निकट स्थित यह प्राचीन मन्दिर जन आस्था का केन्द्र है। इस विशाल मन्दिर के ऊँचे गुम्मद ( शिखर ) पर हमेशा कबूतर नजर आते हैं। सैकड़ों कबूतरों का इस मंदिर में बसेरा रहता है। चूँकि मंदिर की छत में आमतौर पर कोई नहीं जाता, इसलिए कबूतरों के मरने की जानकारी तुरंत नहीं हो सकी। जब दर्जनों कबूतर मरकर सड़ने लगे तब तब जाकर इसकी भनक लगी। मालुम हो कि अभी तक जिले में बर्ड फ्लू के संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन कबूतरों के मरने की इस ताजी घटना के बाद से लोग सशंकित हैं। प्रशासन ने बर्डफ्लू से बचाव के लिए सावधानी बरतने की अपील की है।
लक्षण दिखने पर लें डॉक्टर की सलाह
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एल.के. तिवारी ने बर्डफ्लू के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि बर्डफ्लू की बीमारी पूर्व में भी प्रदेश में पक्षियों में फैल चुकी है। मानव में यह बीमारी बहुत कम ही फैलती है। बर्डफ्लू की बीमारी का ईलाज उपलब्ध है। जिला चिकित्सालय में भी इस बीमारी की दवाएं उपलब्ध हैं। इस बीमारी में भी मरीज को सर्दी, जुखाम, बुखार होता है। लापरवाही बरतने पर इसका असर फेफडों में हो जाने पर रोगी गंभीर अवस्था में पहुंच जाता है। किसी भी व्यक्ति को सर्दी, जुखाम, बुखार होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। कलेक्टर संजय कुमार मिश्र के निर्देशानुसार बर्ड फ्लू बीमारी की जानकारियों के आदान-प्रदान के लिए जिला स्तरीय नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। यह नियंत्रण कक्ष 24 घंटे कार्य करेंगा। जिससे कहीं भी बर्डफ्लू की बीमारी संबंधी कार्यवाही के लिए प्रभारी अधिकारी डॉ. प्रियंका सिंह को बनाया गया है।
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